
जगदलपुर। छत्तीसगढ़ में पहली बार इंद्रावती टाइगर रिजर्व, बीजापुर में दो गिद्धों को GPS ट्रैकर से लैस कर उड़ान के लिए छोड़ा गया। इस पहल का उद्देश्य गिद्धों की गतिविधियों, सुरक्षा और लोकेशन की निगरानी करना है। उन्हें खुले आकाश में उड़ाने से पहले उनकी मेडिकल जांच और मॉर्फोमेट्री की गई।
इंद्रावती टाइगर रिजर्व से लगे गांवों में कुल 205 गिद्ध देखे गए। अब GPS ट्रैकर के जरिए इनकी लोकेशन और हरकतों का डेटा एकत्र कर अध्ययन किया जाएगा। गिद्धों की पीठ पर, पंखों के बीच ट्रैकिंग उपकरण लगाए गए हैं। सेटेलाइट टैगिंग के माध्यम से उनके भोजन, पानी की उपलब्धता और निवास स्थान की भी निगरानी की जा रही है।
रिजर्व के विशेषज्ञ सूरज नायर ने बताया कि गिद्धों के संरक्षण को ध्यान में रखते हुए रिजर्व से लगे मेनूर, बामनपुर और मद्देड़ गांवों में छह “गिद्ध मित्र” नियुक्त किए गए हैं। ये गिद्ध मित्र सर्वेक्षण, निवास स्थानों का निरीक्षण और जनसंख्या पर नजर रखने के साथ-साथ स्थानीय समुदाय में जागरूकता फैलाने का कार्य कर रहे हैं।
गिद्धों के लिए विशेष रेस्टोरेंट
गिद्धों के भोजन की उपलब्धता सुनिश्चित करने हेतु बीजापुर जिले के मद्देड़ क्षेत्र से करीब 12 किलोमीटर दूर, घने नक्सल प्रभावित जंगल में एक “रेस्टोरेंट” की स्थापना की गई है। यह स्थान बांस और बल्ली से घेरकर सुरक्षित किया गया है, जहां ग्रामीण मृत मवेशियों को लाकर छोड़ते हैं, ताकि गिद्धों को प्राकृतिक भोजन मिल सके।
गिद्ध पारिस्थितिकी संतुलन में आवश्यक
इंद्रावती टाइगर रिजर्व बीजापुर के उप निदेशक संदीप बलगा ने कहा कि गिद्ध पारिस्थितिकी तंत्र में अहम भूमिका निभाते हैं। उनका संरक्षण न केवल जैव विविधता की रक्षा करता है, बल्कि पर्यावरण संतुलन बनाए रखने के लिए भी अनिवार्य है।
वन्यजीवन प्रमुख की पुष्टि
इंद्रावती टाइगर रिजर्व, जगदलपुर के मुख्य वन संरक्षक (वन्यजीवन) एवं क्षेत्रीय निदेशक आरसी दुग्गा ने पुष्टि की कि दो गिद्धों पर GPS डिवाइस लगाकर छोड़ा गया है, जिससे उनके भोजन, जल स्रोत और निवास की जानकारी एकत्र की जा सकेगी।
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Source- Haribhoomi