Valentina Gomez Burns Quran: ट्रंप की पार्टी की नेता वैलेंटिना गोमेज़ ने कुरान को जलाया, बोलीं- “इस्लाम को खत्म कर दूंगी”
अमेरिका में ट्रंप की पार्टी की नेता और रिपब्लिकन उम्मीदवार वैलेंटिना गोमेज़ ने एक बार फिर विवाद खड़ा कर दिया है। टेक्सास की रहने वाली गोमेज ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स (पूर्व ट्विटर) पर एक वीडियो पोस्ट किया, जिसमें वह मुसलमानों के धार्मिक ग्रंथ को जलाती हुई नजर आ रही हैं। वीडियो के कैप्शन में उन्होंने लिखा कि वह टेक्सास से इस्लाम को खत्म कर देंगी।
वीडियो वायरल होते ही गोमेज को मुस्लिम संगठनों, मानवाधिकार कार्यकर्ताओं और राजनीतिक नेताओं की कड़ी आलोचना का सामना करना पड़ा। सोशल मीडिया पर भी लोग उन्हें धार्मिक स्वतंत्रता और सामाजिक एकता के खिलाफ काम करने वाला बता रहे हैं।
पहले भी रह चुकी हैं विवादों में
यह पहली बार नहीं है जब गोमेज विवादों में आई हों। मई 2024 में उन्होंने टेक्सास मुस्लिम कैपिटल डे के दौरान मंच पर घुसकर इस्लाम विरोधी भाषण दिया था। उन्होंने दावा किया था कि टेक्सास में इस्लाम की कोई जगह नहीं है और खुद को “ईश्वर से डरने वाली एकमात्र नेता” बताया।
इससे पहले भी गोमेज अप्रवासियों की नकली फांसी का वीडियो, LGBTQ+ विरोधी बयान, साहित्य जलाना और ट्रांसजेंडर समुदाय पर हमले जैसे विवादास्पद कदमों की वजह से सुर्खियों में रह चुकी हैं।
कौन हैं वैलेंटिना गोमेज़?
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जन्म: 8 मई 1999, मेडेलिन (कोलंबिया)
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पेशा: रियल एस्टेट निवेशक से राजनीतिक करियर की शुरुआत
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2024 में मिसौरी सेक्रेटरी ऑफ स्टेट का चुनाव लड़ा, लेकिन हार गईं।
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खुद को कट्टर दक्षिणपंथी बताती हैं और सोशल मीडिया पर विवादास्पद कंटेंट से पहचान बनाई।
सोशल मीडिया पर प्रतिक्रिया
धार्मिक ग्रंथ जलाने वाले वीडियो पर लोगों ने कड़ी आपत्ति जताई।
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एक यूजर ने लिखा – “यह राजनीति नहीं, बल्कि उकसावे की कार्रवाई है।”
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वहीं गोमेज ने अपने बचाव में कहा कि – “आप उस धर्म से शांति नहीं कर सकते जिसने पहले ही आप पर युद्ध की घोषणा कर दी है।”

अमेरिकी राजनीति पर असर
विशेषज्ञों का कहना है कि गोमेज जैसे नेताओं की हरकतें धार्मिक स्वतंत्रता पर खतरा हैं और इससे अमेरिकी समाज में विभाजन गहरा हो सकता है। आलोचकों का मानना है कि यह नफरत की राजनीति है, जबकि उनके समर्थक इसे “America First एजेंडा” का हिस्सा मानकर सराह रहे हैं।
2026 के चुनावों में गोमेज टेक्सास के 31वें कांग्रेसनल डिस्ट्रिक्ट से उम्मीदवार होंगी। अब सवाल यह है कि क्या इस तरह की बयानबाजी और विवाद उन्हें फायदा दिलाएंगे या अमेरिकी लोकतंत्र और सहिष्णुता इसके खिलाफ खड़ी होगी।

