
Supreme Court Dismisses Bhupesh Baghel Plea -भूपेश बघेल को बड़ा झटका, सुप्रीम कोर्ट ने नहीं दी राहत
नई दिल्ली, 4 अगस्त 2025।
छत्तीसगढ़ के बहुचर्चित शराब घोटाले में नामजद पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और उनके बेटे चैतन्य बघेल को सुप्रीम कोर्ट से बड़ा झटका लगा है। सुप्रीम कोर्ट ने गिरफ्तारी से बचाव के लिए दायर याचिका पर सुनवाई से इनकार करते हुए उन्हें हाईकोर्ट का रुख करने की सलाह दी है।
क्या है मामला?
18 जुलाई को ईडी (प्रवर्तन निदेशालय) की टीम ने भिलाई स्थित बघेल निवास पर तड़के छापेमारी कर चैतन्य बघेल को गिरफ्तार किया था। दिलचस्प बात यह है कि गिरफ्तारी उनके जन्मदिन के दिन हुई थी। गिरफ्तारी के बाद उन्हें कोर्ट में पेश किया गया, जहां से उन्हें 14 दिन की न्यायिक रिमांड पर जेल भेज दिया गया। अब 18 अगस्त को अगली पेशी होगी।
ED का दावा: ₹16.70 करोड़ की अवैध कमाई
ईडी की जांच के मुताबिक, चैतन्य बघेल को शराब घोटाले से 16.70 करोड़ रुपये की अवैध संपत्ति (POC) प्राप्त हुई, जिसे उन्होंने अपनी रियल एस्टेट कंपनियों के ज़रिए नकद निवेश में बदल दिया।
ईडी ने खुलासा किया कि इस राशि का उपयोग:
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ठेकेदारों को नकद भुगतान
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नकद के बदले बैंक एंट्रीज
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और फर्जी फ्लैट खरीदारी
जैसे तरीकों से किया गया।
त्रिलोक सिंह ढिल्लों से मिलीभगत का आरोप
ईडी ने दावा किया कि चैतन्य बघेल ने त्रिलोक सिंह ढिल्लों के साथ मिलकर अपनी कंपनियों के नाम पर “विठ्ठलपुरम प्रोजेक्ट” में फर्जी फ्लैट बुकिंग के माध्यम से 5 करोड़ रुपये की घूस ली।
ईडी के पास मौजूद बैंकिंग ट्रेल यह साबित करता है कि ढिल्लों को शराब सिंडिकेट से भुगतान मिला था और यह राशि बघेल परिवार तक पहुंची।
1000 करोड़ से ज्यादा की संपत्ति के प्रबंधन का आरोप
जांच में यह भी सामने आया कि चैतन्य बघेल और उनके करीबी:
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शराब घोटाले से प्राप्त 1000 करोड़ से अधिक की POC का प्रबंधन करते थे।
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प्रदेश कांग्रेस के तत्कालीन कोषाध्यक्ष को भी नकदी ट्रांसफर किया गया।
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अनवर ढेबर और अन्य आरोपियों से समन्वय कर पैसा छुपाने और निवेश की स्कीम बनाई गई।
अब तक कई बड़े चेहरे गिरफ्तार
इस मामले में पहले ही कई दिग्गज आरोपी बनाए जा चुके हैं:
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पूर्व IAS अनिल टुटेजा
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व्यवसायी त्रिलोक सिंह ढिल्लों
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शराब व्यवसायी अनवर ढेबर
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वरिष्ठ अधिकारी ITS अरुण पति त्रिपाठी
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और कांग्रेस विधायक कवासी लखमा
अब अगला कदम हाईकोर्ट में
सुप्रीम कोर्ट ने भूपेश बघेल और चैतन्य को यह कहते हुए राहत देने से इनकार कर दिया कि वह पहले हाईकोर्ट में याचिका दायर करें। यह संकेत है कि न्यायिक स्तर पर मामला और गहराएगा