
Nimisha Priya Case
Nimisha Priya Case -भारतीय नागरिक और नर्स निमिषा प्रिया, जो यमन में एक हत्या के मामले में मौत की सजा का सामना कर रही हैं, को मृतक तलाल अब्दो महदी के परिवार ने माफ करने से साफ इनकार कर दिया है। CNBC की रिपोर्ट के मुताबिक, मृतक के भाई अब्देल फत्तह महदी ने सोशल मीडिया पर कहा कि वे किसी भी सूरत में माफी या समझौते के लिए तैयार नहीं हैं।
उन्होंने लिखा, “हम न्याय चाहते हैं, चाहे इसमें कितनी भी देरी क्यों न हो। हम किसी कीमत पर ब्लड मनी (खून के बदले रकम) स्वीकार नहीं करेंगे और अपराधी को माफ नहीं करेंगे।”
‘शरिया कानून’ के तहत सजा की मांग
BBC अरबी को दिए गए एक इंटरव्यू में अब्देल महदी ने कहा कि वह शरिया कानून के तहत ‘क़िसास’ यानी बदले की सजा चाहते हैं। उनके अनुसार, सिर्फ हत्या ही नहीं बल्कि लंबी कानूनी प्रक्रिया के कारण उनका परिवार मानसिक और आर्थिक रूप से टूट चुका है। इसलिए वे मुआवजे की कोई भी राशि स्वीकार नहीं करेंगे।
भारतीय मीडिया पर लगाया आरोप
महदी ने अपने फेसबुक पोस्ट में आरोप लगाया कि कुछ भारतीय मीडिया संस्थान जानबूझकर यह गलत जानकारी फैला रहे हैं कि मृतक तलाल महदी ने निमिषा का पासपोर्ट जब्त कर लिया था या उनका शोषण किया गया था। उन्होंने कहा कि ना ही निमिषा और ना ही उनकी कानूनी टीम ने अदालत में ऐसा कोई आरोप लगाया। भारतीय मीडिया पर उन्होंने दोषी को पीड़ित के रूप में प्रस्तुत करने का भी आरोप लगाया।
धार्मिक नेताओं की मध्यस्थता भी बेअसर
15 जुलाई को भारतीय मुफ्ती एपी अबूबकर मुसलियार और यमन के सूफी धर्मगुरु शेख हबीब उमर बिन हाफिज ने इस मुद्दे पर बात की थी। इसमें यमन की सुप्रीम कोर्ट के एक जज और महदी परिवार के सदस्य भी शामिल थे। यह बातचीत शरिया कानून के तहत हुई, जिसमें पीड़ित परिवार को दोषी को ब्लड मनी या बिना शर्त माफ करने का अधिकार होता है, लेकिन महदी परिवार ने किसी भी प्रस्ताव को ठुकरा दिया।
भारत सरकार की सीमित भूमिका
भारत सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि वह यमन में निमिषा प्रिया को सजा से बचाने के लिए बहुत कुछ नहीं कर सकती। अटॉर्नी जनरल आर. वेंकटरमणि ने बताया कि भारत की भूमिका सीमित है और जो किया जा सकता था, वह किया जा चुका है। कोर्ट में यह भी बताया गया कि सेव निमिषा प्रिया इंटरनेशनल एक्शन काउंसिल की ओर से मृतक के परिवार को लगभग 10 लाख अमेरिकी डॉलर (8.5 करोड़ रुपये) ब्लड मनी के रूप में देने का प्रस्ताव दिया गया था, लेकिन इसे ठुकरा दिया गया।
यमन में दूतावास नहीं, रियाद के जरिए हो रही बातचीत
भारत के पास यमन में फिलहाल स्थायी दूतावास नहीं है। 2015 में यमन में उथल-पुथल के कारण भारतीय मिशन को बंद कर दिया गया था। अब रियाद में स्थित भारतीय दूतावास के जरिए ही यमन से संपर्क किया जा रहा है।
निमिषा प्रिया का पक्ष: उत्पीड़न, पासपोर्ट जब्ती और आत्मरक्षा
2016 में निमिषा और महदी के संबंध बिगड़ने लगे थे। आरोप है कि महदी ने उनका मानसिक और आर्थिक शोषण किया, क्लिनिक की कमाई भी हड़प ली और पासपोर्ट जब्त कर लिया। पुलिस में शिकायत करने पर भी महदी ने संपादित फोटो दिखाकर खुद को निमिषा का पति बताया, जिससे पुलिस ने उल्टा निमिषा को हिरासत में ले लिया।
2017 में परेशान निमिषा ने महदी को नशे का इंजेक्शन देकर उसका पासपोर्ट लेने की कोशिश की, लेकिन ओवरडोज के कारण महदी की मौत हो गई। इसके बाद निमिषा ने शव के टुकड़े कर पानी की टंकी में फेंक दिए, जिससे मामला हत्या में बदल गया।
कानूनी प्रक्रिया और सजा की पुष्टि
यमन की अदालत ने निमिषा को हत्या का दोषी ठहराते हुए मौत की सजा सुनाई। सुप्रीम कोर्ट में दायर की गई क्षमा याचिका भी 2023 में खारिज कर दी गई थी। यमन के राष्ट्रपति रशद अल अलिमी ने 30 दिसंबर 2024 को इस सजा को मंजूरी दे दी थी। हालांकि, 16 जुलाई को दी जाने वाली सजा पर फिलहाल रोक लगाई गई है।
क्राउड फंडिंग और समाज की मदद
निमिषा की मां ने उनकी सजा माफ करवाने के लिए अपनी संपत्ति बेच दी और ‘ब्लड मनी’ इकट्ठा करने के लिए क्राउड फंडिंग का सहारा लिया। 2020 में इस प्रयास को समर्थन देने के लिए एक संगठन भी बना, जिसमें कई सामाजिक और कारोबारी हस्तियों ने सहयोग दिया।
निष्कर्ष
निमिषा प्रिया का मामला भारत और यमन के बीच कूटनीतिक, धार्मिक और मानवीय पहलुओं से जुड़ा हुआ है। एक तरफ जहां पीड़ित परिवार न्याय और बदले की मांग पर अड़ा है, वहीं दूसरी ओर भारत सरकार और सामाजिक संस्थाएं मानवीय आधार पर राहत दिलाने की कोशिश में लगी हैं। इस मामले का भविष्य अब यमन की अदालत और महदी परिवार के निर्णय पर निर्भर करता है।
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