
Hormuz Strait Closure Impact : ईरान की धमकी से बढ़ा वैश्विक तनाव, भारत ने तेल आपूर्ति को लेकर बनाई वैकल्पिक रणनीति
नई दिल्ली, 22 जून 2025।
होर्मुज जलडमरूमध्य को लेकर ईरान की धमकी के बाद वैश्विक ऊर्जा बाजार में हलचल मच गई है। अमेरिका और ईरान के बीच बढ़ते तनाव और इजराइल की भागीदारी के बाद यह आशंका जताई जा रही है कि ईरान होर्मुज स्ट्रेट को बंद कर सकता है — जो विश्व तेल व्यापार का एक अहम समुद्री मार्ग है। इस स्थिति में भारत सहित कई देशों की ऊर्जा आपूर्ति प्रभावित हो सकती है।
क्या है होर्मुज जलडमरूमध्य और क्यों है यह महत्वपूर्ण?

होर्मुज जलडमरूमध्य फारस की खाड़ी को अरब सागर से जोड़ता है और यह दुनिया के सबसे महत्वपूर्ण चोक पॉइंट्स में से एक माना जाता है।
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यह जलमार्ग हर दिन वैश्विक तेल आपूर्ति का लगभग 30% और तरलीकृत प्राकृतिक गैस (LNG) का एक-तिहाई भाग दुनिया को पहुंचाता है।
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इसकी चौड़ाई केवल 33 किमी है और जहाजों के लिए लेन केवल 3 किमी चौड़ी होती है, जिससे यह क्षेत्रीय तनाव के समय सबसे अधिक संवेदनशील हो जाता है।
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सऊदी अरब, ईरान, इराक, यूएई, कतर और कुवैत जैसे देशों का तेल इसी मार्ग से होकर निकलता है।
भारत की स्थिति: क्या भारत पर पड़ेगा असर?
भारत के कुल कच्चे तेल आयात (5.5 मिलियन बैरल प्रतिदिन) में से लगभग 2 मिलियन बैरल प्रतिदिन का हिस्सा होर्मुज जलडमरूमध्य से होकर आता है। हालांकि, हाल के वर्षों में भारत ने अपनी आपूर्ति के स्रोतों में विविधता लाई है।
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रूस, अमेरिका और ब्राजील जैसे वैकल्पिक स्रोत भारत के लिए तैयार हैं।
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रूसी तेल होर्मुज से होकर नहीं आता, बल्कि स्वेज नहर, केप ऑफ गुड होप या प्रशांत मार्ग से आता है।
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गैस के मामले में भारत के प्रमुख आपूर्तिकर्ता कतर, ऑस्ट्रेलिया, रूस और अमेरिका हैं, जिनकी आपूर्ति इस जलमार्ग से प्रभावित नहीं होती।
भारत की तैयारी क्या है?
केंद्रीय पेट्रोलियम मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने बयान में कहा कि भारत सरकार हालात पर बारीकी से नजर बनाए हुए है और जरूरी कदम उठा रही है।
उन्होंने कहा:
“हमारी तेल विपणन कंपनियों के पास कई सप्ताह का भंडार है और सप्लाई के लिए कई विकल्प मौजूद हैं। नागरिकों तक ईंधन की आपूर्ति बनी रहे, इसके लिए सरकार सभी आवश्यक उपाय करेगी।”
पुरी ने आगे बताया कि सरकार ने ऊर्जा आपूर्ति में विविधता लाई है, जिससे भारत की निर्भरता केवल होर्मुज जलमार्ग पर नहीं रही।
खतरे की गंभीरता और वैश्विक प्रभाव
विशेषज्ञों का मानना है कि यदि होर्मुज स्ट्रेट एक सप्ताह के लिए भी बंद होता है, तो यह वैश्विक अर्थव्यवस्था को गंभीर झटका दे सकता है।
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वैश्विक कच्चे तेल की कीमतें 105 डॉलर प्रति बैरल से ऊपर जा सकती हैं।
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भारत को उत्पाद शुल्क में कटौती जैसे विकल्पों पर विचार करना पड़ सकता है।
हालांकि, सरकार का मानना है कि यह संकट स्थायी नहीं रहेगा और निकट भविष्य में स्थिति सामान्य हो सकती है।
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