
DNA Test Process -:DNA टेस्ट कैसे होता है? अहमदाबाद प्लेन क्रैश में बुरी तरह जले शवों की पहचान में कैसे करेगा मदद?
DNA Test Process in Plane Crash – 12 जून 2025 को गुजरात के अहमदाबाद में एयर इंडिया की फ्लाइट AI-171 टेकऑफ के कुछ मिनट बाद दुर्घटनाग्रस्त हो गई। हादसा इतना भीषण था कि 241 यात्रियों के शव बुरी तरह जल गए। पारंपरिक पहचान के सारे साधन जैसे चेहरा, उंगलियों के निशान, कपड़े — सब जल गए। ऐसे में अब केवल एक तरीका बचता है: डीएनए टेस्ट।
आइए जानते हैं, डीएनए टेस्ट कैसे किया जाता है, इस प्रक्रिया में किस अंग का सैंपल सबसे उपयोगी होता है, और परिजनों की क्या भूमिका रहती है।
DNA टेस्ट क्या है और क्यों जरूरी होता है?
डीएनए (Deoxyribonucleic Acid) हमारे शरीर की हर कोशिका में मौजूद वह अनोखी कोडिंग है, जो हमें हमारे परिवार और पुश्तैनी पहचान से जोड़ती है। हर व्यक्ति का डीएनए बिल्कुल अलग होता है, इसलिए यह वैज्ञानिक रूप से सटीक पहचान का सबसे भरोसेमंद तरीका है।
जब शव इस कदर जल चुके हों कि पहचान संभव न हो, जैसे कि अहमदाबाद प्लेन क्रैश में हुआ, तब DNA प्रोफाइलिंग ही इकलौता उपाय बचता है।
कैसे होता है डीएनए टेस्ट? – पूरी प्रक्रिया स्टेप-बाय-स्टेप
1. सैंपल कलेक्शन (Sample Collection)
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शव से सैंपल:
बुरी तरह जले शवों से हड्डियां (Femur, Rib, Humerus), दांत और कभी-कभी टिशू लिए जाते हैं क्योंकि ये ऊष्मा सहन कर लेते हैं और डीएनए सुरक्षित रखते हैं। -
परिजनों से सैंपल:
माता-पिता, संतान या भाई-बहन के ब्लड, बुक्कल स्वैब (गाल की कोशिकाएं), या लार के सैंपल लिए जाते हैं।
2. सैंपल की सफाई और शुद्धिकरण (Decontamination)
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शव से लिए गए सैंपल को नल के पानी और 100% इथेनॉल से धोया जाता है ताकि मलबा या बैक्टीरिया हटाए जा सकें।
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हड्डी या दांत को स्टेराइल ग्राइंडर से पाउडर किया जाता है।
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3. डीएनए एक्सट्रैक्शन (DNA Extraction)
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ऑर्गेनिक केमिकल घोल से डीएनए को अलग किया जाता है।
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अहमदाबाद हादसे में 1.25 लाख लीटर ईंधन से जले अवशेषों से डीएनए निकालना चुनौती है, लेकिन एडवांस बायोमॉलिक्यूलर टेक्नोलॉजी से यह संभव हो पाया।
4. क्वालिटी और क्वांटिटी टेस्ट (RT-PCR)
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निकाले गए डीएनए की मात्रा और गुणवत्ता की जांच रियल-टाइम पीसीआर मशीन से की जाती है ताकि यह सुनिश्चित हो कि टेस्ट संभव है।
5. डीएनए प्रोफाइलिंग (DNA Profiling)
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इसमें Short Tandem Repeats (STRs) की जांच होती है जो हर इंसान में अलग होते हैं।
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मृतक और परिजनों के डीएनए प्रोफाइल का मिलान किया जाता है।
कितने दूर के रिश्तेदारों के सैंपल काम आते हैं?
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सबसे सटीक मिलान माता-पिता, बच्चों और भाई-बहनों से होता है क्योंकि इनके डीएनए में 50% से ज्यादा समानता होती है।
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अत्यधिक जटिल मामलों में Extended Family यानी चाचा, चाची, दादा-दादी के सैंपल का भी विश्लेषण हो सकता है।
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ऐसे हादसों में डीएनए प्रोफाइलिंग क्यों है ज़रूरी?
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मानवाधिकार के तहत हर मृतक की पहचान और अंतिम संस्कार सम्मानपूर्वक होना चाहिए।
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दुर्घटना बीमा, कानूनी मुआवजा, और परिवार की closure के लिए यह पहचान अत्यंत आवश्यक है।
चुनौतियां: DNA जांच में देरी क्यों होती है?
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शवों की हालत अत्यधिक जली हुई होने पर डीएनए को संरक्षित निकालना मुश्किल होता है।
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प्रोफाइलिंग में एक से दो सप्ताह तक का समय लग सकता है, विशेषकर जब 1000 से अधिक टेस्ट जैसे अहमदाबाद हादसे में किए जा रहे हों।
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निष्कर्ष: तकनीक से उम्मीद की किरण
डीएनए तकनीक विज्ञान की वह क्रांति है जो नामुमकिन को मुमकिन बनाती है। प्लेन क्रैश जैसे हादसों में जब कोई पहचान शेष नहीं बचती, तब यही विज्ञान परिवारों को closure देता है और सच्चाई सामने लाने का एकमात्र साधन बनता है।
Disclaimer: यह लेख मीडिया रिपोर्ट्स और विशेषज्ञ सूचनाओं पर आधारित है। किसी भी मेडिकल निर्णय या कार्रवाई से पहले विशेषज्ञ सलाह अवश्य लें।
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