
Chhattisgarh School Time Change-
छत्तीसगढ़ में बदला स्कूलों का समय: गर्मी को देखते हुए सुबह 7 बजे से लगेंगी कक्षाएं, बच्चों का मिठाई से हुआ स्वागत
छत्तीसगढ़ में गर्मी के बढ़ते प्रकोप को ध्यान में रखते हुए राज्य सरकार ने स्कूलों के समय में बदलाव किया है। अब 17 जून से प्रदेशभर के सभी सरकारी और अशासकीय स्कूलों में कक्षाएं सुबह 7:00 बजे से 11:00 बजे तक संचालित की जाएंगी। यह अस्थायी बदलाव 23 जून तक प्रभावी रहेगा, जिसके बाद स्कूल सामान्य समय पर चलेंगे।
स्कूलों के ग्रीष्मावकाश समाप्त होने के साथ ही आज से प्रदेश में फिर से पढ़ाई शुरू हो गई है। रायपुर के जेएन पांडे स्कूल समेत प्रदेश के विभिन्न जिलों में शाला प्रवेश उत्सव का आयोजन किया गया, जहां बच्चों का टीचर्स ने मिठाई खिलाकर स्वागत किया।

प्रदेशभर में मनाया गया शाला प्रवेश उत्सव
रायपुर, बिलासपुर, जगदलपुर, रायगढ़, दुर्ग, भिलाई सहित राज्य के सभी जिलों में स्कूलों ने शाला प्रवेश उत्सव मनाया। शिक्षकों ने छात्रों का स्वागत कर माहौल को खुशनुमा बनाया। रायपुर के जिला शिक्षा अधिकारी विजय खंडेलवाल ने बताया कि 18 जून को ब्लॉक स्तर पर और 20 जून को जिला स्तर पर यह कार्यक्रम आयोजित किया जाएगा।
अब कोई भी स्कूल शिक्षक विहीन नहीं: सरकार का दावा
राज्य सरकार बीते कुछ महीनों से युक्तियुक्तकरण की प्रक्रिया में जुटी हुई थी। इसके तहत अब दावा किया गया है कि राज्य में एक भी ऐसा स्कूल नहीं बचा है जो शिक्षकविहीन हो। पहले राज्य में 212 प्राथमिक स्कूल और 48 पूर्व माध्यमिक स्कूल शिक्षक विहीन थे, जबकि 6872 प्राथमिक शालाएं और 255 पूर्व माध्यमिक शालाएं सिर्फ एक शिक्षक के भरोसे संचालित हो रही थीं।
मर्ज किए गए कम छात्रों वाले स्कूल
छत्तीसगढ़ सरकार ने 166 स्कूलों को मर्ज कर दिया है। इनमें 133 ग्रामीण क्षेत्र के और 33 शहरी क्षेत्र के स्कूल शामिल हैं। इन स्कूलों में छात्रों की संख्या बहुत कम थी—ग्रामीण स्कूलों में 10 से कम और शहरी स्कूलों में 30 से कम विद्यार्थी थे।
मुख्यमंत्री ने सभी जनप्रतिनिधियों को भेजा पत्र
मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने प्रदेश के सभी जनप्रतिनिधियों को पत्र लिखकर ‘शाला प्रवेश उत्सव’ में सक्रिय भागीदारी की अपील की। मुख्यमंत्री ने लिखा कि शत-प्रतिशत साक्षरता का लक्ष्य कठिन जरूर है लेकिन असंभव नहीं। समाज के हर वर्ग को इस अभियान में भागीदारी निभानी होगी ताकि कोई भी बच्चा स्कूल से बाहर न रहे।
स्कूल छोड़ने की दर को शून्य करने का लक्ष्य
मुख्यमंत्री साय ने जानकारी दी कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के तहत यह सुनिश्चित किया जा रहा है कि कक्षा 12वीं तक कोई भी बच्चा स्कूल न छोड़े। शिक्षा के अधिकार अधिनियम को प्रभावी ढंग से लागू करते हुए सरकार प्रयास कर रही है कि सभी शैक्षणिक अवरोधों की पहचान कर उन्हें दूर किया जाए।
मुख्यमंत्री शिक्षा गुणवत्ता अभियान की शुरुआत
राज्य सरकार ने “मुख्यमंत्री शिक्षा गुणवत्ता अभियान” की शुरुआत करने का ऐलान किया है, जिसका मकसद शासकीय विद्यालयों की शिक्षा गुणवत्ता को सुधारना है। इसके तहत युक्तियुक्तकरण के जरिए शिक्षकविहीन और एकल-शिक्षकीय स्कूलों में प्राथमिकता के आधार पर शिक्षकों की पदस्थापना की गई है।
इंफ्रास्ट्रक्चर पर भी जोर
मुख्यमंत्री ने यह भी स्पष्ट किया कि राज्य सरकार स्कूलों के बुनियादी ढांचे और मूलभूत सुविधाओं के विकास को अपनी शीर्ष प्राथमिकताओं में शामिल कर चुकी है। सभी जनप्रतिनिधियों से यह भी आग्रह किया गया है कि वे शाला प्रवेश उत्सव में सक्रिय भागीदारी निभाएं और यह सुनिश्चित करें कि कोई बच्चा शिक्षा से वंचित न रहे।