
Chenab Railway Bridge -दुनिया का सबसे ऊंचा रेलवे आर्च ब्रिज तैयार: चिनाब पुल से अब ट्रेन से श्रीनगर तक सीधी पहुंच, PM मोदी आज करेंगे उद्घाटन
क्या आपने कभी कश्मीर की यात्रा की है? चाहे जवाब हां हो या नहीं, अब जब भी आप कश्मीर जाएंगे, सफर का अनुभव पहले से अलग होगा। पहली बार ट्रेन श्रीनगर तक पहुंचेगी, और इसके पीछे है चिनाब नदी पर बना वह आर्च ब्रिज, जिसे दुनिया का सबसे ऊंचा रेलवे पुल कहा जाता है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज इस ऐतिहासिक चिनाब रेलवे ब्रिज का उद्घाटन करेंगे। यह पुल न केवल कश्मीर को भारत से सीधे जोड़ेगा, बल्कि इस क्षेत्र में व्यापार, पर्यटन और सैन्य संचालन को भी नई गति देगा। उद्घाटन समारोह में प्रधानमंत्री कटरा से वंदे भारत ट्रेन को हरी झंडी दिखाएंगे और उसके बाद उसी ट्रेन से चिनाब ब्रिज तक जाकर उसका लोकार्पण करेंगे।
16 साल, 1486 करोड़ रुपये और 10 पुलों जितना लोहा
भारतीय रेलवे के सबसे कठिन प्रोजेक्ट्स में से एक यह पुल 1486 करोड़ रुपये की लागत से 16 वर्षों में तैयार हुआ है। इसका निर्माण उधमपुर-श्रीनगर-बारामूला रेल लिंक प्रोजेक्ट (USBRL) के तहत हुआ है, जिसकी कुल लागत लगभग 43,000 करोड़ रुपये है।
चिनाब ब्रिज जम्मू-कश्मीर के रियासी ज़िले में स्थित है। इसका निर्माण धनुष के आकार में हुआ है और यह चिनाब नदी के तल से 359 मीटर ऊंचा है — यानी एफिल टावर से भी 35 मीटर ऊंचा।
इंजीनियरिंग का अजूबा: पुल में लगा 29,000 मीट्रिक टन स्टील
पुल को बनाने में 29,000 मीट्रिक टन स्टील का इस्तेमाल हुआ है, जो आमतौर पर बनने वाले पुलों से करीब 10 गुना ज्यादा है। इसकी लाइफ कम से कम 120 साल मानी जा रही है। आर्च के दो सिरों की नींव अलग-अलग ऊंचाई पर है और इसे बोल्टिंग तकनीक से जोड़ा गया है। आर्च के पास की चौड़ाई 30 मीटर से घटकर बीच में पटरी के पास 9 मीटर रह जाती है, जिससे पुल पर लगने वाला बल नियंत्रित रहता है।
2003 में योजना बनी, लेकिन निर्माण 2010 में शुरू हुआ
इस प्रोजेक्ट को 2003 में स्वीकृति मिली थी और इसे 2009 तक पूरा करने का लक्ष्य था। लेकिन भौगोलिक और सुरक्षा कारणों से निर्माण में देरी होती गई। 2009 में डिजाइन रिव्यू के बाद 2010 में निर्माण कार्य शुरू हो सका। 2017 में बेस सपोर्ट तैयार हुआ और 2022 में इसका निर्माण पूरा हुआ।
कोंकण रेलवे ने निभाई अहम भूमिका
इस पुल के निर्माण की जिम्मेदारी कोंकण रेलवे कॉर्पोरेशन लिमिटेड को सौंपी गई थी, जिसने पहले भी इस तरह के कठिन प्रोजेक्ट्स को पूरा किया है। डिप्टी चीफ इंजीनियर रश्मि रंजन मलिक बताते हैं कि इस प्रोजेक्ट में सिविल, मैकेनिकल और इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग का अनोखा संगम हुआ है।
भूकंप और तूफानों से भी सुरक्षित
यह पुल सिस्मिक ज़ोन 5 के मानकों के अनुसार डिजाइन किया गया है और 8 तीव्रता तक के भूकंप को झेलने में सक्षम है। तेज हवाओं से बचाव के लिए इसमें 3 लाख से ज्यादा बोल्ट और विंड ब्रेसिंग का इस्तेमाल हुआ है। पुल 266 किमी प्रति घंटे की रफ्तार तक की हवा का भी सामना कर सकता है।
सेना और पर्यटन दोनों को फायदा
रेलवे के इस प्रोजेक्ट से न केवल आम यात्रियों को लाभ होगा, बल्कि रक्षा क्षेत्र को भी रणनीतिक बढ़त मिलेगी। सेवानिवृत्त लेफ्टिनेंट जनरल संजय कुलकर्णी के अनुसार, अब सेना के लिए हथियार और रसद तेजी से घाटी में पहुंचाई जा सकेगी। बारामूला तक रेल कनेक्शन सेना की मूवमेंट को तेज करेगा।
पाकिस्तान और चीन को क्यों है चिंता?
डिफेंस एक्सपर्ट जेएस सोढ़ी बताते हैं कि चिनाब ब्रिज जिस क्षेत्र — अखनूर — में बना है, वह सामरिक दृष्टि से बेहद संवेदनशील है। जैसे नॉर्थ ईस्ट में सिलीगुड़ी कॉरिडोर “चिकन नेक” कहलाता है, वैसे ही अखनूर कश्मीर का “चिकन नेक” है। ऐसे में इस क्षेत्र में ब्रिज का बनना भारत की सुरक्षा के लिहाज से एक बड़ी उपलब्धि है।
अब वंदे भारत ट्रेन से श्रीनगर का सफर
प्रधानमंत्री मोदी आज कटरा से श्रीनगर तक वंदे भारत ट्रेन को भी हरी झंडी दिखाएंगे। यह ट्रेन श्रीनगर से कटरा होते हुए जम्मू तवी तक चलेगी। इस रूट पर दो ट्रेनें चलाई जाएंगी, जो आने-जाने में कुल चार फेरे लगाएँगी। यह रेल संपर्क कश्मीर को देश के बाकी हिस्सों से पूरी तरह जोड़ देगा।
निष्कर्ष
चिनाब रेलवे ब्रिज न केवल एक इंजीनियरिंग का चमत्कार है, बल्कि भारत की रणनीतिक शक्ति और पर्यटन संभावनाओं का प्रतीक भी बन गया है। यह पुल कश्मीर को भारत से स्थायी रूप से जोड़ने की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम है।
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