Govardhan Puja Kyo Manate Hai: दीपावली के अगले दिन मनाया जाने वाला गोवर्धन पूजा पर्व सिर्फ एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि यह प्रकृति, विनम्रता और आस्था का प्रतीक है। यह पर्व उस दिव्य प्रसंग की याद दिलाता है जब भगवान श्रीकृष्ण ने इंद्र के अहंकार को तोड़ा और संसार को सिखाया कि प्रकृति की रक्षा ही सच्ची भक्ति है।
गोवर्धन पूजा की कथा: जब बाल कृष्ण बने प्रकृति के रक्षक
पौराणिक कथाओं के अनुसार, वृन्दावन में एक समय ऐसा आया जब वहां के लोग भगवान इंद्र की पूजा कर वर्षा की कामना करते थे। लेकिन बाल रूप में श्रीकृष्ण ने उन्हें समझाया कि वर्षा केवल इंद्र की देन नहीं, बल्कि गोवर्धन पर्वत, पेड़-पौधों और धरती मां की कृपा से होती है।
कृष्ण के सुझाव पर ग्रामीणों ने इस बार गोवर्धन पर्वत की पूजा की और इंद्र की आराधना करना बंद कर दिया। इससे इंद्र क्रोधित हो गए और उन्होंने आकाश में काले बादल जमा कर दिए।
भारी वर्षा और तूफान से पूरा वृन्दावन डूबने लगा। भय और अंधकार का वातावरण बन गया।
जब इंद्र का अहंकार टूटा और कृष्ण ने दिखाई दिव्य शक्ति
इसी संकट के समय श्रीकृष्ण ने अपनी छोटी उंगली पर गोवर्धन पर्वत उठा लिया।
पूरा वृन्दावन — मनुष्य, गायें और जीव-जंतु — पर्वत के नीचे शरण लिए हुए थे।
सात दिन और सात रात तक लगातार वर्षा होती रही, लेकिन किसी को कोई नुकसान नहीं पहुंचा।
जब इंद्र ने यह देखा कि एक बालक उनकी शक्ति के आगे अडिग खड़ा है, तो उनका अहंकार चूर-चूर हो गया। उन्होंने वर्षा रोक दी और श्रीकृष्ण के आगे शीश नवाया।
गोवर्धन पूजा का महत्व
इस घटना के बाद वृन्दावनवासियों ने कृष्ण और गोवर्धन पर्वत दोनों की पूजा की।
तभी से गोवर्धन पूजा की परंपरा की शुरुआत हुई। यह पर्व हर वर्ष दीपावली के अगले दिन मनाया जाता है।
लोग इस दिन गोबर से गोवर्धन पर्वत की आकृति बनाते हैं, दीप जलाते हैं, और अन्नकूट प्रसाद का आयोजन करते हैं।
यह पूजा हमें सिखाती है कि —
“अहंकार चाहे कितना भी बड़ा क्यों न हो, प्रकृति और सच्ची श्रद्धा के आगे झुक ही जाता है।”
गोवर्धन पूजा का आध्यात्मिक संदेश
इंद्र का वज्र सिर्फ आकाशीय बिजली नहीं था, बल्कि अहंकार का प्रतीक था।
भगवान कृष्ण ने सिखाया कि शक्ति पर विनम्रता की जीत हमेशा होती है।
गोवर्धन पूजा हमें याद दिलाती है कि प्रकृति की रक्षा और संतुलन ही असली धर्म है।
जब जीवन में भय और तूफान आएं, तब हमें धैर्य और विश्वास से डटे रहना चाहिए।
गोवर्धन पूजा कब है?
इस वर्ष गोवर्धन पूजा 22 अक्टूबर 2025 (बुधवार) को मनाई जाएगी।
यह दिन अन्नकूट उत्सव के रूप में भी प्रसिद्ध है, जब मंदिरों में भगवान को विभिन्न प्रकार के व्यंजन अर्पित किए जाते हैं।
