Vanashakti Judgement -सुप्रीम कोर्ट में मंगलवार (18 नवंबर 2025) को वनशक्ति केस की सुनवाई के दौरान एक बड़ा मोड़ तब आया, जब मुख्य न्यायाधीश (CJI) भूषण रामकृष्ण गवई की तीन जजों की बेंच ने अपने ही 16 मई 2024 के आदेश को वापस ले लिया। यह फैसला 2:1 के बहुमत से आया।
इस निर्णय के बाद देशभर में कई बड़े सार्वजनिक इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स—जिनमें ओडिशा AIIMS का नया 962 बेड वाला अस्पताल और ग्रीनफील्ड एयरपोर्ट शामिल हैं—को ध्वस्तीकरण की आशंका से राहत मिली है।
क्या था 16 मई का विवादित आदेश?
जस्टिस अभय एस. ओका और जस्टिस उज्जल भुइयां की बेंच ने मई 2024 के अपने आदेश में कहा था कि:
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पोस्ट-फैक्टो (निर्माण के बाद) दी गई पर्यावरण मंजूरी अवैध है
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ऐसे सभी निर्माण ढहाए जाएं
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सरकार को भविष्य में ऐसी मंजूरी देने से रोक दिया जाए
इस आदेश के बाद कई बड़े प्रोजेक्ट रुक गए थे और कुछ पर गिराए जाने का खतरा मंडराने लगा था।
क्या कहा बहुमत वाले फैसले में?
CJI गवई और जस्टिस के. विनोद चंद्रन ने बहुमत के फैसले में कहा:
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यदि 16 मई का आदेश जारी रहता, तो 20,000 करोड़ रुपये के सार्वजनिक प्रोजेक्ट्स प्रभावित हो जाते।
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कई निर्माण ऐसे हैं जिनमें बड़ी सार्वजनिक राशि लग चुकी है और उन्हें तोड़ना व्यावहारिक नहीं है।
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पर्यावरण नियमों की कमियों को दूर करने के लिए सरकार के पास वैकल्पिक उपाय मौजूद हैं।
CJI गवई ने 84 पेज का विस्तृत फैसला लिखा।
जस्टिस उज्जल भुइयां का तीखा डिसेंट: “यह पर्यावरण न्यायशास्त्र के खिलाफ कदम”
बेंच के तीसरे सदस्य, जस्टिस उज्जल भुइयां, बहुमत के फैसले से सहमत नहीं थे।
उन्होंने 97 पेज के डिसेंटिंग जजमेंट में लिखा:
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“रिकॉल किया गया आदेश पर्यावरण न्यायशास्त्र के मूल सिद्धांतों को नजरअंदाज करता है।”
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“प्रिकॉशनरी प्रिंसिपल पर्यावरण कानून का आधारस्तंभ है, जिसे पॉल्यूटर-पे सिद्धांत के सहारे कमजोर नहीं किया जा सकता।”
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उन्होंने इस फैसले को “पर्यावरण हितों में पीछे ले जाने वाला कदम” बताया।
जस्टिस भुइयां ने यह भी कहा कि मई का आदेश पूरी तरह कानूनी सिद्धांतों पर आधारित था, और रिव्यू में उसे हटाना न्यायिक दृष्टि से उचित नहीं है।
जस्टिस विनोद चंद्रन ने डिसेंट पर क्या कहा?
जस्टिस चंद्रन ने अलग से लिखा:
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लोकतांत्रिक न्यायिक प्रक्रिया में डिसेंट स्वाभाविक है
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लेकिन डिसेंट व्यक्तिगत ‘सही-गलत’ की राय से ऊपर होना चाहिए
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16 मई का आदेश कई कानूनी शक्तियों और पर्यावरण अधिनियम की वास्तविक प्रक्रिया को नज़रअंदाज़ करता है
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इसलिए उसका वापस लिया जाना “उचित, अनिवार्य और तत्काल” था
केंद्र सरकार की दलीलें
सुनवाई के दौरान केंद्र ने उन प्रोजेक्ट्स की सूची पेश की जो इस आदेश के कारण रुके हुए थे।
इसमें—
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AIIMS ओडिशा
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ग्रीनफील्ड एयरपोर्ट
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कई सरकारी इमारतें
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राष्ट्रीय महत्व की इंफ्रास्ट्रक्चर योजनाएँ
—शामिल थीं, जिन पर भारी सार्वजनिक धन लग चुका है।
