
Trump Qatar Relationship
Trump Qatar Relationship: क़तर को लेकर ट्रंप की नीति में बड़ा बदलाव: कभी विरोध में थे, आज निकटतम सहयोगी क्यों बन गया क़तर?
2025 में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के विमान के दोहा हवाई अड्डे पर उतरने के साथ ही अमेरिका और क़तर के संबंधों में एक नए युग की शुरुआत हुई। ट्रंप की यह यात्रा इस क्षेत्र में उनकी दूसरी बड़ी यात्रा थी, और इससे भविष्य में कई अहम व्यापारिक समझौतों की संभावनाएं खुलती दिख रही हैं।
अमेरिकी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता माइकल मिशेल ने बीबीसी अरबी को बताया, “क़तर और अमेरिका के रिश्ते रणनीतिक रहे हैं और आज भी हैं। खाड़ी क्षेत्र में ये संबंध अमेरिकी नीति की रीढ़ की हड्डी माने जाते हैं।”
हालांकि यह रिश्ता हमेशा इतना मधुर नहीं रहा। 2017 में जब खाड़ी संकट अपने चरम पर था, तब ट्रंप का रुख क़तर के प्रति काफी कठोर था। लेकिन अब यह रिश्ता प्रतिद्वंद्विता से गठबंधन की ओर बढ़ चुका है। ऐसे में सवाल यह उठता है कि ऐसा क्या बदला, जिसने ट्रंप को क़तर का सबसे करीबी साझेदार बना दिया?
2017 का खाड़ी संकट: शुरुआत कहां से हुई?
ट्रंप के पहले कार्यकाल के दौरान, जून 2017 में, खाड़ी देशों में एक बड़ा राजनीतिक संकट पैदा हुआ। सऊदी अरब, यूएई, बहरीन और मिस्र ने क़तर का बहिष्कार कर दिया। यह संकट अचानक नहीं आया, बल्कि वर्षों से चले आ रहे राजनीतिक और वैचारिक मतभेदों का नतीजा था।
क़तर पर आरोप थे कि उसने अरब स्प्रिंग के दौरान मिस्र समेत कई देशों में हुए आंदोलनों का समर्थन किया। इसके अलावा, मुस्लिम ब्रदरहुड के साथ उसके संबंधों और ईरान से निकटता ने भी विवाद को बढ़ाया। साथ ही अल जज़ीरा जैसे मीडिया संस्थानों का राजनीतिक प्रभाव के लिए इस्तेमाल भी एक कारण बना।
क़तर ने इन सभी आरोपों से इनकार करते हुए कहा कि यह उसकी संप्रभुता का उल्लंघन है। उसने ईरान से रिश्ते तोड़ने, तुर्की के सैन्य अड्डों को बंद करने और अल जज़ीरा को बंद करने जैसी शर्तों को भी खारिज कर दिया।
अमेरिका की स्थिति और ट्रंप का शुरुआती रुख

उस समय ट्रंप ने क़तर के बहिष्कार का समर्थन किया और ट्वीट्स के जरिए यह संकेत दिया कि क़तर चरमपंथ का समर्थन कर रहा है। लेकिन अमेरिकी विदेश और रक्षा मंत्रालय ने जल्द ही ट्रंप की राय से अलग स्वर में बयान दिया और क़तर की खाड़ी क्षेत्र में एकता बनाए रखने की भूमिका को सराहा।
क़तर में मौजूद अमेरिका का अल उदीद एयरबेस ट्रंप की रणनीति में अहम भूमिका निभा रहा था। यह मध्य पूर्व में अमेरिका का सबसे बड़ा सैन्य अड्डा है जहां 10,000 से अधिक सैनिक तैनात थे। रक्षा मंत्रालय ने चेतावनी दी कि प्रतिबंधों की वजह से इस बेस के संचालन में कठिनाइयां हो रही हैं।
कूटनीतिक वार्ता और रिश्तों की नई दिशा
इस मतभेद को सुलझाने के लिए तत्कालीन विदेश मंत्री रेक्स टिलरसन ने बातचीत के जरिए समाधान का आह्वान किया। 2018 में अमेरिका और क़तर के बीच हुई रणनीतिक वार्ता में क़तर की सुरक्षा और साझेदारी को लेकर साझा बयान जारी किया गया।
इसके बाद क़तर ने अमेरिकी रक्षा मंत्रालय से अपने रिश्ते और मजबूत किए और 12 अरब डॉलर में एफ-15 लड़ाकू विमानों की डील की। अल उदीद एयरबेस के विस्तार के लिए अरबों डॉलर का निवेश किया गया और अमेरिकी सैनिकों के परिवारों के लिए सुविधाएं बढ़ाई गईं।
वैश्विक मध्यस्थ के रूप में क़तर की भूमिका

क़तर ने खुद को एक विश्वसनीय मध्यस्थ के रूप में स्थापित किया। उसने अमेरिका और तालिबान के बीच शांति वार्ता की मेजबानी की, जिसका परिणाम 2020 में एक ऐतिहासिक समझौते के रूप में सामने आया। इससे क़तर की वैश्विक भूमिका और अमेरिका के साथ उसकी निकटता और मजबूत हुई।
2021 तक, ट्रंप के पहले कार्यकाल के अंत तक, क़तर ने अमेरिका के सहयोग से क्षेत्रीय संतुलन को फिर से स्थापित किया और बहिष्कार की समाप्ति भी हुई।
ट्रंप की वापसी और नए समीकरण
2025 में ट्रंप के फिर से राष्ट्रपति बनने पर क़तर के साथ अमेरिका के संबंधों में एक नया अध्याय शुरू हुआ। अमेरिकी मीडिया रिपोर्टों में दावा किया गया कि ट्रंप प्रशासन एयरफोर्स वन के अस्थायी विकल्प के रूप में क़तर से एक लग्ज़री बोइंग 747-8 विमान लेने की योजना बना रहा है।
रिपोर्ट के अनुसार, यह 400 मिलियन डॉलर का विमान ट्रंप के राष्ट्रपति पुस्तकालय को उपहार स्वरूप दिए जाने की बात भी सामने आई। ट्रंप ने खुद ट्रुथ सोशल पर यह स्पष्ट किया कि यह पूरी पारदर्शिता के साथ उपहार स्वरूप पेश किया गया है।
हालांकि डेमोक्रेटिक पार्टी के नेताओं और कुछ कांग्रेस सदस्यों ने इस पर आपत्ति जताई और इसे संभावित “विदेशी प्रभाव” बताया। क़तर सरकार ने बयान जारी कर बताया कि यह मुद्दा अभी अमेरिकी रक्षा मंत्रालय के साथ विचाराधीन है और कोई अंतिम निर्णय नहीं लिया गया है।
क़तर-अमेरिका साझेदारी का भविष्य(Trump Qatar Relationship)

तेजी से बदलते वैश्विक परिदृश्य में अमेरिका और क़तर के संबंध पहले से कहीं अधिक स्थिर और मजबूत नजर आ रहे हैं। अमेरिकी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता मिशेल के अनुसार, अल उदीद एयरबेस अब भी अमेरिकी अभियानों का केंद्रीय केंद्र बना हुआ है।
मिशेल ने बताया कि वर्तमान में सैन्य प्रशिक्षण, तकनीक के आदान-प्रदान, साइबर और ड्रोन हमलों से निपटने की साझा तैयारी और रक्षा बुनियादी ढांचे का आधुनिकीकरण प्राथमिकताओं में शामिल हैं।
क़तर की राजनीतिक भूमिका को मिशेल ने “विश्वसनीय मध्यस्थ” की संज्ञा दी, जिसकी संवाद क्षमता असाधारण मानी जाती है। उन्होंने यह भी कहा कि अमेरिका क़तर को एक दीर्घकालिक रणनीतिक साझेदार के रूप में देखता है, विशेषकर वैश्विक प्रतिस्पर्धियों जैसे रूस और चीन की चुनौती के बीच।
Source -BBC Hindi(Trump Qatar Relationship)