
Surendra Dube Death -विदेशों में गूंजती थी सुरेंद्र दुबे की कविताएं, ‘एला कहिथे छत्तीसगढ़’ सबकी जुबां पर
रायपुर।
छत्तीसगढ़ के गौरव, प्रख्यात हास्य कवि और व्यंग्यकार पद्मश्री डॉ. सुरेंद्र दुबे की कविताएं न केवल भारत बल्कि विदेशों में भी खूब गूंजती थीं। अमेरिका, यूके जैसे देशों में उन्होंने छत्तीसगढ़ी और हिंदी भाषा की कविताओं से कई बार श्रोताओं को लोटपोट किया। उनकी लोकप्रिय रचना “एला कहिथे छत्तीसगढ़” से लेकर “टाइगर अभी जिंदा है” तक — उनकी पंक्तियाँ आम जनमानस की जुबां पर आज भी बसी हुई हैं।
विदेशों तक पहुंची कविताएं, 11 देशों में किया कविता पाठ
डॉ. दुबे ने अमेरिका के 52 शहरों समेत कुल 11 देशों में कविता पाठ किया था। वे 1980 में पहली बार अमेरिका गए थे और उसके बाद अंतरराष्ट्रीय मंचों पर छत्तीसगढ़ी भाषा को प्रतिष्ठा दिलाने वाले स्तंभ बन गए।
साहित्य और व्यंग्य में उनका योगदान अमूल्य

हास्य और व्यंग्य साहित्य में उन्होंने 5 पुस्तकें लिखीं।
उनकी कविताएं सिर्फ हँसी नहीं बटोरती थीं, बल्कि समाज पर तीखा व्यंग्य करती थीं।
उन्होंने कहा था – “हास्य का कोकड़ा हूँ, ठहाकों का परिंदा हूँ।”
राजनीतिक मोड़ और उपेक्षा

साल 2018 में उन्होंने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की मौजूदगी में बीजेपी का दामन थामा। इसके बाद कांग्रेस सरकार ने उन्हें सरकारी मंचों और सांस्कृतिक आयोजनों से दूर कर दिया, जिसकी पीड़ा वे अपने व्यंग्यात्मक अंदाज़ में अक्सर मंचों पर बयां करते थे।
जन्म, पेशा और साहित्यिक सफर
जन्म: 8 जनवरी 1953, बेमेतरा (तत्कालीन दुर्ग)।
मूल पेशा: आयुर्वेदिक डॉक्टर।
पहचान: हास्य और व्यंग्य कवि।
उन्होंने छत्तीसगढ़ी बोली और क्षेत्रीय भाषा को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय पहचान दिलाई।
सम्मान और उपलब्धियाँ
2010 – पद्मश्री सम्मान
2008 – काका हाथरसी हास्य रत्न पुरस्कार
2012 – पं. सुंदरलाल शर्मा सम्मान
अमेरिका – लीडिंग पोएट ऑफ इंडिया सम्मान
वाशिंगटन – हास्य शिरोमणि सम्मान 2019
उनकी रचनाओं पर तीन विश्वविद्यालयों ने पीएचडी दी है।
अंतिम विदाई
डॉ. सुरेंद्र दुबे का गुरुवार, 27 जून 2025 को रायपुर के एसीआई अस्पताल में हार्ट अटैक से निधन हो गया।
अंतिम यात्रा: अशोका प्लेटिनम, बंगला नंबर-25 से मारवाड़ी श्मशान घाट
अंतिम संस्कार: सुबह 10:30 बजे
कुछ चर्चित कविताएं
▶️ “एला कहिथे छत्तीसगढ़”
▶️ “टाइगर अभी जिंदा है”
मेरे दरवाजे पर लोग आ गए
यह कहते हुए की दुबे जी निपट गे भैया
बहुत हंसात रिहीस..
मैं निकला बोला- अरे चुप यह हास्य का कोकड़ा है, ठहाके का परिंदा है
टेंशन में मत रहना बाबू टाइगर अभी जिंदा है.
मेरी पत्नी को एक आदमी ने फोन किया
वो बोला- दुबे जी निपट गे,
मेरी पत्नी बोली ऐसे हमारे भाग्य कहां है
रात को आए हैं पनीर खाए हैं
पिज़्ज़ा उनका पसंदीदा है
टेंशन में तो मैं हूं कि टाइगर अभी जिंदा है.
एक आदमी उदास दिखा मैंने पूछा तो बोला मरघट की लकड़ी वाला हूं
बोला वहां की लकड़ी वापस नहीं हो सकती आपको तो मरना पड़ेगा
नहीं तो मेरे 1600 रुपए का नुकसान हो जाएगा
मैंने कहा- अरे टेंशन में मत रह पगले टाइगर अभी जिंदा है.
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