
Strawberry Farming-इंजीनियर से किसान बनीं वल्लरी चंद्राकर: बांस की टनल से स्ट्रॉबेरी उगाकर 35 महिलाओं को दिया रोजगार
छत्तीसगढ़ के महासमुंद जिले में रहने वाली वल्लरी चंद्राकर ने यह साबित कर दिया है कि खेती केवल पारंपरिक किसानों का काम नहीं, बल्कि आधुनिक तकनीकों से इसे लाभकारी व्यवसाय में बदला जा सकता है। असिस्टेंट प्रोफेसर की नौकरी छोड़ उन्होंने खेती को अपनाया और जिले में पहली बार स्ट्रॉबेरी की सफल खेती कर एक मिसाल कायम की।
किसान बनने की प्रेरणा: पढ़ाई से नौकरी और फिर खेती तक का सफर
वल्लरी महासमुंद जिले के बागबाहरा ब्लॉक के सिर्री गांव की रहने वाली हैं। उन्होंने वर्ष 2012 में इंजीनियरिंग की डिग्री प्राप्त की और रायपुर के दुर्गा कॉलेज में सहायक प्राध्यापक (कंप्यूटर साइंस और गणित) के रूप में कार्य किया। वर्ष 2016 में एमटेक करने के बाद, उन्होंने पिता से प्रेरणा लेकर नौकरी छोड़कर खेती को अपनाया।
30 डिसमिल में किया स्ट्रॉबेरी का पहला प्रयोग
वल्लरी ने शुरुआत में केवल 30 डिसमिल जमीन पर स्ट्रॉबेरी के ढाई से तीन हजार पौधे लगाए। उन्होंने मिट्टी की गुणवत्ता की जांच कर यह सुनिश्चित किया कि पौधों को आवश्यक पोषक तत्व सही मात्रा में मिलें। स्ट्रॉबेरी के लिए 18°C से 30°C तापमान और 5.0 से 6.5 पीएच वाली मिट्टी उपयुक्त मानी जाती है।
बांस से बनाए लो टनल, ठंड से बचाने के लिए नेट का उपयोग
स्ट्रॉबेरी के पौधों को ठंड और पाले से बचाने के लिए वल्लरी ने बांस से लो टनल बनाए और रात में नेट से उन्हें ढकने की तकनीक अपनाई। दिन में यह नेट हटा दिया जाता था, जिससे पौधों को प्राकृतिक प्रकाश और तापमान मिल सके।
ड्रिप पद्धति से खेती, कम पानी में अधिक उत्पादन
वल्लरी का फार्म हाउस लगभग 40 एकड़ में फैला हुआ है, जहां वे करेला, खीरा, बरबट्टी, मिर्च, लौकी, पपीता और आम जैसी कई फसलें ड्रिप सिंचाई प्रणाली से उगा रही हैं। कम पानी की जरूरत वाली यह तकनीक पर्यावरण और लागत दोनों के लिहाज से फायदेमंद है।
35 महिलाओं को मिला स्थायी रोजगार
खेती के काम में उन्होंने 35 महिलाओं को रोजगार दिया है। इससे स्थानीय महिलाओं को आत्मनिर्भर बनने का अवसर मिला है। वल्लरी कहती हैं कि खेती केवल मुनाफे के लिए नहीं, बल्कि सामाजिक योगदान के लिए भी है।
स्ट्रॉबेरी की खेती से ज्यादा लाभ
वल्लरी बताती हैं कि एक एकड़ में सब्जियों से जितनी कमाई होती है, उससे अधिक आधा एकड़ में स्ट्रॉबेरी की खेती से लाभ कमाया जा सकता है। हालांकि बड़ी चुनौती बाजार की उपलब्धता है। यदि बाजार की सही व्यवस्था हो, तो जिले के और भी किसान इस खेती को अपना सकते हैं।
स्ट्रॉबेरी के पोषण और व्यवसायिक उपयोग
स्ट्रॉबेरी में भरपूर मात्रा में विटामिन-सी, फाइबर, आयरन और पोटेशियम पाया जाता है। इसका उपयोग एसेंस, जैम, आइसक्रीम, चॉकलेट, केक और सौंदर्य उत्पादों में बड़े पैमाने पर किया जाता है। इसके चलते इसकी व्यवसायिक मांग भी काफी अधिक है।
वल्लरी बनीं जिले की प्रेरणादायक महिला किसान
अपनी मेहनत, तकनीक और नवाचार से वल्लरी ने महासमुंद जिले में खेती की संभावनाओं को एक नया आयाम दिया है। उनकी कहानी उन सभी के लिए प्रेरणा है, जो खेती को घाटे का सौदा मानते हैं।
निष्कर्ष: वल्लरी चंद्राकर ने न केवल खेती को लाभकारी बनाया बल्कि ग्रामीण महिलाओं को रोजगार देकर सामाजिक जिम्मेदारी का भी निर्वहन किया है। यदि सरकार और बाजार की सही मदद मिले, तो महासमुंद जैसे जिलों में भी स्ट्रॉबेरी जैसी हाई-वैल्यू फसलें किसानों के जीवन को बदल सकती हैं।