
Sikkim का भारत में विलय: एक ऐतिहासिक और सामरिक आवश्यकता
आज से 50 वर्ष पूर्व, सिक्किम भारत गणराज्य का 22वां राज्य बना था। यह विलय केवल राजनीतिक निर्णय नहीं था, बल्कि भारत की भौगोलिक और सामरिक सुरक्षा के दृष्टिकोण से एक अत्यंत आवश्यक कदम था। यदि सिक्किम एक स्वतंत्र देश बना रहता, तो भारत का उत्तर-पूर्वी राज्यों से संबंध हमेशा संकट में पड़ सकता था, विशेषकर उस समय जब वैश्विक महाशक्तियाँ भारत को अस्थिर करने की कोशिश कर रही थीं।
शीत युद्ध और अफगानिस्तान का उदाहरण
शीत युद्ध के दौर में अमेरिका और सोवियत संघ दुनियाभर के देशों पर अपना प्रभाव जमाना चाहते थे। भारत के पड़ोसी अफगानिस्तान का उदाहरण हमारे सामने है, जहां 1977 से पहले विकास की दिशा में ठोस कदम उठाए जा रहे थे, लेकिन महाशक्तियों की आपसी खींचतान ने इस देश को दशकों पीछे धकेल दिया। अमेरिका और सोवियत संघ की पकड़ से निकलने में अफगानिस्तान को कई दशक लग गए।
सिक्किम में अमेरिका और चीन की दिलचस्पी
सिक्किम में भी अमेरिका ने अपनी चालें चलनी शुरू कर दी थीं, वहीं चीन भी क्षेत्र में अपने पैर पसार रहा था। सोवियत लॉबी भी अप्रत्यक्ष रूप से चीन के पक्ष में झुकी हुई थी। भारत पहले ही 1962 के युद्ध में चीन से पराजय झेल चुका था। ऐसे में सिक्किम की स्थिति भारत के लिए चिंताजनक बनी हुई थी।
चोग्याल राजा की अमेरिकी रानी
सिक्किम के शासक नामग्याल वंश के राजा चोग्याल ने अमेरिकी नागरिक होप कुक से विवाह किया था। रानी होप कुक की भूमिका संदिग्ध मानी गई, जो राजा को भारत से अलग होकर स्वतंत्र राष्ट्र बनने के लिए प्रेरित करती थीं। जबकि भारत पहले ही सिक्किम और भूटान की रक्षा की जिम्मेदारी निभा रहा था।
भारत सरकार की कूटनीति और संवैधानिक कदम
सिक्किम की स्थिति को ध्यान में रखते हुए भारत सरकार ने 23 अप्रैल 1975 को संविधान संशोधन विधेयक लोकसभा में प्रस्तुत किया, जिसे भारी बहुमत से पारित किया गया। तीन दिन बाद राज्यसभा ने भी इस विधेयक को पारित कर दिया और 15 मई 1975 को राष्ट्रपति के हस्ताक्षर के साथ यह कानून बन गया। 16 मई से भारत सरकार के कानून सिक्किम में लागू हो गए और नामग्याल वंश का शासन समाप्त हो गया।
NEFA और सिलीगुड़ी कॉरिडोर पर संकट
सिक्किम से गुजरने वाला सिलीगुड़ी कॉरिडोर, जिसे ‘चिकन नेक’ कहा जाता है, महज 21 किमी चौड़ा है। यदि सिक्किम भारत से अलग होता तो यह मार्ग कट जाता और पूर्वोत्तर भारत से संपर्क टूट सकता था। यह क्षेत्र तत्कालीन NEFA (North East Frontier Agency) में आता था, जो बाद में अरुणाचल प्रदेश बना।
जनता का विद्रोह और रानी से असंतोष
राजा चोग्याल के शासन के विरुद्ध सिक्किम की जनता में असंतोष था। जनता का मानना था कि राजा अपनी अमेरिकी रानी के प्रभाव में फैसले ले रहे हैं। राजा के नशे की लत और रानी की मनमानी शासन शैली ने जनता का विश्वास तोड़ दिया। विदेशी रानी द्वारा राजसी संपत्तियों की अमेरिका में तस्करी की खबरें भी सामने आईं।
जनमत संग्रह और चोग्याल का पतन
भारत सरकार ने जनता की भावना को समझते हुए जनमत संग्रह का आयोजन करवाया। इसमें 90% से अधिक लोगों ने राजा के विरोध में मतदान किया। भारतीय सेना ने गंगटोक को घेर लिया और चोग्याल को इस्तीफा देने के लिए विवश किया गया। अंततः 16 मई 1975 को सिक्किम आधिकारिक रूप से भारत का हिस्सा बन गया।
ऐतिहासिक पृष्ठभूमि
1641 में लेप्चा समुदाय द्वारा सिक्किम में स्वतंत्र शासन की स्थापना की गई थी, जिसे 1642 में नामग्याल वंश ने बौद्ध साम्राज्य में परिवर्तित किया। 1835 में दार्जिलिंग को अंग्रेजों ने सिक्किम से अलग कर लिया और 1861 में सिक्किम ब्रिटिश संरक्षण में आ गया। स्वतंत्रता के बाद भी इसकी यही स्थिति बनी रही।
सिक्किम, भूटान और नेपाल: बफर स्टेट्स की भूमिका
ब्रिटिश काल में सिक्किम, भूटान और नेपाल को चीन और भारत के बीच बफर स्टेट की तरह रखा गया था। भारत ने आजादी के बाद भी इनकी स्थिति में बदलाव नहीं किया। परंतु चीन द्वारा तिब्बत पर कब्जा और 1962 के भारत-चीन युद्ध के बाद भारत को अपनी रणनीतिक सुरक्षा को लेकर गंभीरता से सोचना पड़ा।
भारत की अलग-अलग नीतियाँ
भूटान के साथ भारत ने 1949 में संधि कर विदेशी मामलों में मार्गदर्शन की भूमिका ली, जबकि सिक्किम के साथ रक्षा और विदेश नीति में संरक्षक की भूमिका निभाई। लेकिन चोग्याल राजा 1970 के दशक में भूटान जैसी स्वतंत्रता की मांग करने लगे, जो भारत को स्वीकार्य नहीं था।
सुरक्षा की दृष्टि से जरूरी था विलय
सिक्किम की भौगोलिक स्थिति और सामरिक महत्व को देखते हुए भारत में उसका विलय आवश्यक हो गया था। देश का ‘चिकन नेक’ क्षेत्र कभी भी विदेशी शक्तियों के हाथ में जाकर भारत की प्रभुसत्ता को खतरे में डाल सकता था। यही कारण था कि भारत सरकार ने निर्णायक कदम उठाते हुए सेना भेजी और जनमत संग्रह के बाद सिक्किम को भारत का पूर्ण राज्य घोषित कर दिया।
आज का सिक्किम: प्रगति का प्रतीक
आज सिक्किम शिक्षा, स्वास्थ्य, महिला सशक्तिकरण और जैविक खेती के क्षेत्र में भारत का अग्रणी राज्य है। 7096 वर्ग किमी क्षेत्रफल वाले इस राज्य की साक्षरता दर 90.67% है और प्रति व्यक्ति वार्षिक आय 7.07 लाख रुपये है। महिला आरक्षण की दृष्टि से भी यह राज्य अग्रणी है – सरकारी नौकरियों में 33% और स्वायत्त निकायों में 50% आरक्षण महिलाओं के लिए है। यहां की पूरी कृषि प्रणाली ऑर्गेनिक है और स्वास्थ्य योजनाएं पूरी तरह निःशुल्क हैं। शिशु मृत्यु दर भी सबसे कम है – प्रति 1000 नवजातों में मात्र 4 की मृत्यु होती है।
यह सफलता केवल एक राज्य के विकास की कहानी नहीं है, बल्कि उस दूरदृष्टि की गवाही है, जिससे भारत ने समय रहते हुए अपने उत्तर-पूर्व को सुरक्षित रखा और सिक्किम को राष्ट्र की मुख्यधारा से जोड़ा।
Source- TV9
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