
शिल्प ग्राम थनौद पर मंडराया खतरा: भारतमाला परियोजना के तहत बन रहे अंडरब्रिज की हाइट कम, निकल नहीं पाएंगी ऊंची मूर्तियां
देशभर में प्रसिद्ध दुर्ग जिले के शिल्प ग्राम थनौद के मूर्ति कारों का भविष्य संकट में आ गया है। अब अगले साल से यहां के कलाकार बड़ी मूर्तियों का निर्माण नहीं कर पाएंगे। विघ्नहर्ता श्री गणेश और मां दुर्गा की मिट्टी से बड़ी मूर्तियों को गढ़ने के नाम से छत्तीसगढ़ ही नहीं, बल्कि पूरे देशभर में प्रसिद्ध दुर्ग जिले के शिल्प ग्राम थनौद के मूर्ति कारों का भविष्य संकट में आ गया है। गांव से गुजरने वाले भारतमाला प्रोजेक्ट में बन रहे एक अंडरब्रिज की हाइट को कम किए जाने से अब अगले साल से यहां के कलाकार बड़ी मूर्तियों का निर्माण नहीं कर पाएंगे। मूर्तिकारों का कहना है कि पिछले एक साल से वे केंद्र और राज्य सरकार से पुल की हाईट बढ़ाने की मांग कर रहे हैं, लेकिन शासन स्तर पर कोई पहल नहीं होने के चलते अब आक्रोश की स्थिति निर्मित हो रही है।
राजनांदगांव और दुर्ग की सीमा पर स्थित शिल्प गांव थनौद के मूर्ति कारों की पहचान श्री गणेश और मां दुर्गा की नयनाभिराम बड़ी मूर्तियों को गढ़ने की है। गांव के हर घर में मूर्तिकार है और उनके जीवनयापन का केंद्र बिन्दु भी मूर्तियां गढ़ना है। पिछले लंबे अरसे से इस गांव को देशभर में काफी प्रसिद्धि भी हासिल हुई है। छत्तीसगढ़ के अलावा महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश और ओडिशा सहित कई राज्यों से यहां हर साल सैकड़ों मूर्तियां भेजी जाती है, लेकिन शिल्प गांव का वैभव अब खतरे में पड़ गया है। गांव के मूर्तिकार और किसान पिछले एक साल से सरकारी दफ्तरों के चक्कर काट रहे हैं। गांव में भारतमाला प्रोजेक्ट के तहत सड़क का निर्माण चल रहा है।
नदी में पुल की लंबाई भी कम
भारतमाला प्रोजेक्ट के तहत चल रहे सड़क निर्माण में शिवनाथ नदी में एक पुल का भी निर्माण किया जा रहा है। पुल का निर्माण सिर्फ दो सौ फीट तक किए जाने से अब कई गांव बाढ़ की चपेट में आ जाएंगे। ग्रामीणों का कहना है कि नदी की लंबाई करीब दो किलोमीटर है, लेकिन प्रोजेक्ट के अधिकारी सिर्फ दो सौ फीट तक ही पुल बना रहे हैं। जिससे बारिश में कई गांव बाढ़ की चपेट में आ जाएंगे।
अंडरब्रिज की हाइट सिर्फ -चार मीटर
प्रोजेक्ट के तहत अंडरब्रिज की हाइट सिर्फ चार मीटर निर्धारित की गई है। मूर्तिकारों का कहना है कि गांव में 20 से 22 फीट ऊंची मूर्तियों का निर्माण किया जाता है। यदि अंडर ब्रिज की हाईट सिर्फ चार मीटर रहेगी तो बड़ी मूर्तियां यहां से नहीं निकल पाएगी और उनका पुश्तैनी काम बंद हो जाएगा। मूर्तिकारों का कहना है कि अंडर ब्रिज की हाइट को छह मीटर किए जाने के लिए वे पिछले एक साल से नेताओं और अधिकारियों के चक्कर काट रहे हैं, लेकिन आज पर्यन्त तक उन्हें न्याय नहीं मिल पाया है।
खेती-किसानी में भी संकट
अंडर ब्रिज की हाईट नहीं बढ़ने से यहां शिल्प गांव थनौद का भविष्य संकट में है। वहीं आसपास में स्थित ग्राम बिरेझर, चंगोरी और अंजोरा के किसानों को भी खेती-किसानी के लिए अब अच्छी खासी दिक्कतों का सामना करना पड़ेगा। इन गांव में करीब ढाई हजार हेक्टेयर में खेती-किसानी होती है। किसानों का कहना है कि हाइट के कम होने के कारण कृषि यंत्र हार्वेस्टर का परिवहन भी गांव में नहीं हो पाएगा।
मूर्तिकला पर संकट
मूर्तिकार राधे चक्रधारी ने बताया कि, पिछले एक साल से हम मूर्तिकार शासन और प्रशासन से गुहार लगा रहे हैं, लेकिन आज पर्यन्त तक कोई पहल नहीं हो सकी है। हाइट नहीं बढ़ी तो मूर्तिकला पर संकट आ जाएगा।