
ACB-EOW Raid: छत्तीसगढ़ शराब घोटाले में 20 से अधिक ठिकानों पर ACB-EOW की रेड, कवासी लखमा के करीबियों पर कार्रवाई
छत्तीसगढ़ में चल रहे शराब घोटाले के मामले में एसीबी (ACB) और आर्थिक अपराध अन्वेषण शाखा (EOW) की टीमों ने एक बड़ी कार्रवाई को अंजाम दिया है। दुर्ग-भिलाई क्षेत्र में कुल 22 स्थानों पर छापेमारी की जा रही है। जानकारी के अनुसार, एसीबी और ईओडब्ल्यू की टीमें चार वाहनों में सवार होकर सुबह करीब 4 बजे भिलाई पहुंचीं।
इनमें से एक टीम आम्रपाली अपार्टमेंट, हाउसिंग बोर्ड कॉलोनी में अशोक अग्रवाल के निवास पर पहुंची। दूसरी टीम नेहरू नगर में बंसी अग्रवाल और विशाल केजरीवाल के घर पर छापा मार रही है, जबकि खुर्सीपार क्षेत्र में विनय अग्रवाल के घर पर दस्तावेजों की जांच चल रही है। छावनी चौक, भिलाई स्थित अशोक अग्रवाल की फैब्रिकेशन फैक्ट्री और अन्य परिसरों में भी कार्रवाई की जा रही है।
अशोक अग्रवाल को ACB की एक टीम वाहन में बैठाकर किसी अज्ञात स्थान पर ले गई, जबकि एक अन्य टीम उनके आवास पर तलाशी ले रही है। सूत्रों के अनुसार, एक टीम उन्हें लेकर उनकी फैक्ट्री भी पहुंची है, जहां दस्तावेजों की विस्तृत जांच की जा रही है। अशोक अग्रवाल, पूर्व आबकारी मंत्री कवासी लखमा के करीबी माने जाते हैं, और उन पर लखमा के साथ मिलकर घोटाले को अंजाम देने का आरोप है।
तीन दिन पहले भी हुई थी छापेमारी
तीन दिन पूर्व भी ACB और EOW की टीमों ने कवासी लखमा और उनके सहयोगियों के 13 ठिकानों पर छापेमारी की थी। यह कार्रवाई रायपुर, दंतेवाड़ा, सुकमा, जगदलपुर और अंबिकापुर में हुई थी। इस दौरान दस्तावेज, मोबाइल फोन, इलेक्ट्रॉनिक उपकरण, बैंक खाता संबंधित जानकारी, जमीन से जुड़े कागजात और करीब 19 लाख रुपये नकद जब्त किए गए थे।
क्या है शराब घोटाले का मामला?
छत्तीसगढ़ में सामने आए इस शराब घोटाले की जांच ED कर रही है। प्रवर्तन निदेशालय ने ACB में एक एफआईआर दर्ज कराई है, जिसमें 2,000 करोड़ रुपये से अधिक के घोटाले की बात कही गई है। जांच में सामने आया है कि भूपेश बघेल सरकार के कार्यकाल में IAS अधिकारी अनिल टुटेजा, आबकारी विभाग के तत्कालीन एमडी एपी त्रिपाठी और कारोबारी अनवर ढेबर मिलकर इस घोटाले को अंजाम दे रहे थे।
ACB के अनुसार, वर्ष 2019 से 2022 के बीच सरकारी शराब दुकानों से नकली होलोग्राम लगाकर अवैध शराब बेची गई, जिससे शासन को राजस्व में भारी नुकसान हुआ।
लखमा पर सिंडिकेट से जुड़े होने का आरोप
ED का आरोप है कि कवासी लखमा इस पूरे शराब सिंडिकेट का एक अहम हिस्सा थे। उनके निर्देशों पर ही यह नेटवर्क काम करता था। उन्होंने शराब नीति में बदलाव कर FL-10 लाइसेंस को लागू करवाने में मुख्य भूमिका निभाई। इसके अंतर्गत निजी कंपनियों को विदेशी शराब के व्यापार का अवसर मिला।
ED का दावा है कि लखमा को आबकारी विभाग में हो रही अनियमितताओं की जानकारी थी, लेकिन उन्होंने इसे रोकने के लिए कोई कदम नहीं उठाया। बल्कि, कथित रूप से इन अवैध कमाई का उपयोग अपने बेटे हरीश कवासी के घर और सुकमा स्थित कांग्रेस भवन के निर्माण में किया गया।
ईडी का दावा: हर महीने दो करोड़ की कमाई
ईडी के वकील सौरभ पांडेय ने बताया कि तीन वर्षों तक चलने वाले इस घोटाले में कवासी लखमा को हर महीने दो करोड़ रुपये मिलते थे। इस तरह उन्होंने कुल 72 करोड़ रुपये की अवैध कमाई की। यह राशि उनके परिवार और पार्टी भवन के निर्माण में उपयोग की गई।
2100 करोड़ रुपये की अवैध कमाई का आरोप
ED के अनुसार, छत्तीसगढ़ में चल रहे इस शराब सिंडिकेट के जरिए सरकारी खजाने को भारी नुकसान पहुंचाया गया और करीब 2100 करोड़ रुपये की अवैध कमाई की गई। प्रारंभिक जांच में सामने आया है कि अनवर ढेबर, अनिल टुटेजा और अन्य अधिकारी/व्यवसायी मिलकर यह सिंडिकेट चला रहे थे।
ED की रिपोर्ट में खुलासा: ऐसे होती थी कमाई
पार्ट-A: कमीशन मॉडल
राज्य के स्वामित्व वाली संस्था CSMCL के माध्यम से शराब की खरीदी होती थी। इसके तहत प्रति केस डिस्टिलरी कंपनियों से रिश्वत ली जाती थी।
पार्ट-B: कच्ची शराब की बिक्री
बिना रिकॉर्ड के बड़ी मात्रा में देसी शराब बेची गई। इस अवैध बिक्री से होने वाली पूरी कमाई सिंडिकेट के सदस्यों ने हड़प ली।
पार्ट-C: थर्ड पार्टी कमीशन
शराब निर्माताओं से गठजोड़ करके बाजार में उनकी हिस्सेदारी सुनिश्चित कराने के एवज में रिश्वत ली गई। FL-10A लाइसेंस धारकों से भी कमीशन वसूला गया।
FL-10 लाइसेंस क्या है?
FL-10 का पूर्ण रूप है Foreign Liquor-10। यह लाइसेंस राज्य सरकार द्वारा उन कंपनियों को दिया जाता था जो विदेशी शराब निर्माताओं से शराब खरीदकर राज्य सरकार को सप्लाई करती थीं। ये कंपनियाँ तीसरे पक्ष (Third Party) के रूप में कार्य करती थीं। इस लाइसेंस के अंतर्गत भंडारण और परिवहन की भी जिम्मेदारी शामिल होती थी, हालांकि बाद में यह काम बेवरेज कॉर्पोरेशन को सौंप दिया गया।
FL-10 दो श्रेणियों में बांटा गया था:
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FL-10A: ये लाइसेंस-धारक देश के किसी भी राज्य से विदेशी ब्रांड की शराब खरीद सकते थे।
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FL-10B: ये केवल छत्तीसगढ़ राज्य के निर्माताओं से विदेशी ब्रांड की शराब खरीद सकते थे।