
Shahid Aakash Rao -5 राज्यों की PSC क्रैक करने वाले जांबाज़ अफसर की अमर कहानी
शहीद आकाश राव गिरिपुंजे केवल एक पुलिस अधिकारी नहीं थे, बल्कि वे उन दुर्लभ भारतीय युवाओं में शामिल थे जिनका सपना था सिस्टम का हिस्सा बनकर बदलाव लाना। जिन्होंने अपने प्रयास और समर्पण से 5 राज्यों की पीएससी परीक्षाएं पास की और अंततः छत्तीसगढ़ पुलिस सेवा को चुना। लेकिन किसे पता था कि यह निडर योद्धा नक्सलियों द्वारा बिछाए गए IED ब्लास्ट में शहीद हो जाएगा।
उनकी शहादत भले ही देश के लिए एक बलिदान है, लेकिन उनके परिवार, दोस्तों और बैचमेट्स के लिए यह एक अपूरणीय क्षति है। उनकी यादें अब भी सभी के दिलों में जिंदा हैं — स्कूल के दिनों के समोसे से लेकर ट्रेनिंग के जोशीले गानों तक।
स्कूल के दिनों के दोस्त आदित्य नामदेव की भावनाएं
कब से थी दोस्ती?
आकाश और मेरी दोस्ती 9वीं-10वीं कक्षा से शुरू हुई थी। हम कालीबाड़ी स्कूल में साथ पढ़ते थे। आकाश बेहद इंटेलिजेंट था, डिबेट कॉम्पिटिशन और समोसे खाने का शौक भी साझा करते थे।
यादगार किस्सा?
स्कूल के बाहर 1 रुपए में समोसा मिलता था, जिसे हम दोनों मिलकर खाते थे। फिल्म देखना और सप्रे ग्राउंड में क्रिकेट खेलना हमारे रूटीन का हिस्सा था।
क्या पुलिस सेवा की बात उस समय होती थी?
हाँ, आकाश शुरू से ही क्लियर था कि उसे कुछ बड़ा करना है। उसने मैथ्स छोड़कर कॉमर्स लिया ताकि वह प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर सके।
बैंकिंग से PSC तक का सफर?
बैंकिंग के दौरान भी वो PSC की तैयारी कर रहा था। 2013 में सफलता पाकर वह पुलिस अधिकारी बना।
बतौर अफसर उसकी सबसे बड़ी बात?
अनुशासन, समर्पण और सबसे आगे रहने की प्रवृत्ति। वो कभी टीम को अकेला नहीं छोड़ता था।
बैचमेट और मित्र अविनाश सिंह ठाकुर की भावनाएं
दोस्ती कब और कैसे हुई?
हम एक ही बैच में थे। ट्रेनिंग के दौरान जो दोस्ती बनी, वह जिंदगी भर कायम रही। रायपुर में एक साथ पोस्टिंग भी हुई।
कोई निजी याद?
दिवाली पर उसने मुझे और मेरे परिवार को बुलाया था। वो पल आज भी आंखें नम कर देता है।
बिलासपुर की पोस्टिंग?
हम दोनों साथ रहते थे, घूमते थे, काम पर भी साथ जाते थे। वो किसी भी माहौल को अपनाने वाला व्यक्ति था।
व्यक्तिगत सीख?
वो लोगों को जोड़ने की कला जानता था। उसकी इंसानियत और अपनापन सभी को भाता था।
बैचमेट रामगोपाल करियारे की भावनाएं
पहली मुलाकात?
सेलेक्शन लिस्ट के बाद और फिर ट्रेनिंग में। जल्द ही हमारा रिश्ता पारिवारिक बन गया।
बतौर अफसर यादें?
वो बेहद सहयोगी, खुशमिजाज और मजबूत इंसान था। देशभक्ति गीतों से ट्रेनिंग के समय जोश भर देता था।
शहादत की खबर?
सब स्तब्ध रह गए थे। वो हमेशा मोर्चे पर सबसे आगे रहता था, और भारत सरकार से गैलेन्ट्री अवॉर्ड भी पाया था।
सबसे खास बात?
वो हर परिस्थिति में ढल जाता था। सबके साथ खाना-पीना करता, चाहे कोई भी रैंक हो।
शहादत का संदेश?
उनकी शहादत समर्पण का प्रतीक है। यह आने वाली पीढ़ियों को प्रेरणा देती है।
भाई ऋषभ की आंखों से देखा गया भाई ‘आकाश’
घर में व्यवहार कैसा था?
हमारे ‘भैय्या’ हमेशा हंसते रहते थे, कभी गुस्से में नहीं देखा। पढ़ाई में अव्वल और सभी के लिए हमेशा खड़े रहते।
तैयारी का सफर?
ग्रेजुएशन के बाद दिल्ली गए, चार बार UPSC मेन्स तक पहुंचे। 5 राज्यों की PSC पास की। बैंकिंग की जॉब छोड़ी, पुलिस सेवा को चुना।
घर का संघर्ष?
पिता किराए का गैरेज चलाते थे, लेकिन बेटे की पढ़ाई के लिए सबकुछ दांव पर लगा दिया।
ऑपरेशन से जुड़ी बातें?
नक्सल ऑपरेशन के दौरान कभी कुछ नहीं बताते थे। कई बार पूरे क्षेत्र में नए कैंप स्थापित किए जहां सुरक्षा बल पहले कभी नहीं पहुंचे थे।
अंतिम मुलाकात?
20 मई को बेटे का जन्मदिन मनाने रायपुर आए थे। बेटी का बर्थडे 11 जून को था, लेकिन अब वो पल अधूरा रह गया।
एक प्रेरणा जो अमर रहेगी
शहीद आकाश राव गिरिपुंजे केवल एक नाम नहीं, एक आदर्श हैं। उन्होंने न केवल सिस्टम का हिस्सा बनकर बदलाव लाने का सपना देखा, बल्कि उसे जीकर दिखाया। उनकी शहादत एक संदेश है — देश सेवा केवल शब्द नहीं, एक जीवित भावना है, जिसे उन्होंने निभाया अपने प्राणों से।
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