
विराट कोहली
कहा जाता है कि रिकॉर्ड बनते हैं टूटने के लिए, लेकिन क्रिकेट में कुछ रिकॉर्ड ऐसे भी होते हैं, जो समय की कसौटी पर अडिग रहते हैं। इनमें डॉन ब्रैडमैन का 99.94 का टेस्ट औसत और मुथैया मुरलीधरन के 1347 इंटरनेशनल विकेट शामिल हैं, जिन्हें तोड़ना लगभग असंभव माना जाता है।
अब इस सूची में सचिन तेंदुलकर का 100 अंतरराष्ट्रीय शतकों का कीर्तिमान भी जुड़ सकता है। विराट कोहली, जो कभी इस रिकॉर्ड को चुनौती देने की स्थिति में थे, अब टेस्ट क्रिकेट से संन्यास ले चुके हैं। उनके खाते में फिलहाल 82 शतक हैं और अब उन्हें केवल वनडे क्रिकेट के जरिए ही इस आंकड़े तक पहुंचना होगा। आगे जानिए क्यों यह अब नामुमकिन जैसा हो गया है और भविष्य में भी कोई खिलाड़ी इसके करीब क्यों नहीं पहुंच सकता।
विराट की वनडे पर निर्भरता
टी-20 इंटरनेशनल से पहले ही अलविदा कह चुके विराट कोहली ने अब टेस्ट क्रिकेट से भी संन्यास ले लिया है। ऐसे में अगर वे 100 शतक तक पहुंचना चाहें, तो केवल वनडे फॉर्मेट ही विकल्प है। अनुमान के मुताबिक, विराट हर छह पारियों में एक शतक बनाते हैं, ऐसे में उन्हें 18 और शतक बनाने के लिए लगभग 108 पारियां खेलनी होंगी।
भारत हर साल औसतन 16 वनडे मैच खेलता है। अगले वनडे वर्ल्ड कप तक लगभग 40 से 50 मैचों की संभावना है। अगर विराट सभी मैच खेलते हैं, तब भी वे 7-8 शतक ही बना पाएंगे। इस लिहाज से यह रिकॉर्ड तोड़ पाना अब उनके लिए बेहद कठिन हो गया है।
सक्रिय खिलाड़ियों में कोई प्रतिस्पर्धा नहीं
फैब-4 कहे जाने वाले विराट कोहली, जो रूट, स्टीव स्मिथ और केन विलियम्सन में से कोई भी अभी तक 60 शतक तक नहीं पहुंच पाया है। रूट 53, स्मिथ और विलियम्सन 48-48 शतक के साथ काफी पीछे हैं। इन आंकड़ों को देखते हुए लगता है कि 100 शतक का रिकॉर्ड उनके लिए भी दूर की कौड़ी है।
रोहित शर्मा के नाम 49 शतक दर्ज हैं, लेकिन वे भी टेस्ट और टी-20 से रिटायर हो चुके हैं। ऐसे में उनकी संभावनाएं भी सीमित रह गई हैं।
घटती टेस्ट और वनडे की संख्या
सचिन तेंदुलकर का रिकॉर्ड इसलिए भी अडिग नजर आता है क्योंकि वनडे और टेस्ट मैचों की संख्या में लगातार गिरावट देखी जा रही है। पिछले एक दशक में वनडे मैच 22% घट चुके हैं। वहीं, टेस्ट क्रिकेट की स्थिति भी टी-20 लीग्स के कारण प्रभावित हो रही है।
विशेषज्ञ मानते हैं कि वनडे और टेस्ट जैसे लंबे फॉर्मेट्स में शतक बनाने के ज्यादा अवसर मिलते हैं, जबकि टी-20 में कम गेंदों में तेज रन बनाने की जरूरत के कारण जोखिम ज्यादा होता है। इससे बल्लेबाजों के शतक लगाने की संभावना भी घट जाती है।
2005 से 2014 तक टॉप-10 टीमें 1196 वनडे मैच खेलीं, जबकि 2015 से अब तक यह आंकड़ा 937 रहा है। टेस्ट की संख्या 430 रही है, लेकिन भविष्य में इसमें भी गिरावट की आशंका है।
युवा खिलाड़ियों की संभावनाएं
30 साल से कम उम्र के किसी भी बल्लेबाज ने अब तक 30 अंतरराष्ट्रीय शतक नहीं बनाए हैं। ऐसे में यह उम्मीद करना कि कोई युवा खिलाड़ी 100 शतक तक पहुंचेगा, फिलहाल संभव नहीं लगता। सचिन ने यह कीर्तिमान 664 मैचों में हासिल किया था, और मौजूदा समय में किसी खिलाड़ी को इतने लंबे करियर और मौके मिलना चुनौतीपूर्ण है।
वर्तमान में बल्लेबाज सीमित ओवर्स क्रिकेट पर अधिक ध्यान दे रहे हैं, जिससे यह रिकॉर्ड और भी दूर होता जा रहा है।
निष्कर्ष
सचिन तेंदुलकर का 100 शतकों का रिकॉर्ड क्रिकेट इतिहास की उन महानतम उपलब्धियों में से एक है, जिसे अब तोड़ना न केवल विराट कोहली के लिए मुश्किल है, बल्कि भविष्य के किसी भी बल्लेबाज के लिए भी लगभग असंभव नजर आता है।
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