
रोहित शर्मा ने टेस्ट क्रिकेट से लिया संन्यास
लगभग एक साल पहले T20 क्रिकेट को अलविदा कह चुके रोहित शर्मा ने अब टेस्ट क्रिकेट से भी संन्यास की घोषणा कर दी है। बुधवार को उन्होंने अपने इंस्टाग्राम अकाउंट के ज़रिए यह जानकारी साझा की। हालांकि, रोहित अब भी भारत के लिए वनडे प्रारूप में खेलते रहेंगे।
इंस्टाग्राम स्टोरी में उन्होंने लिखा, “मैं यह बताना चाहता हूं कि मैंने टेस्ट क्रिकेट से रिटायर होने का फैसला लिया है। देश के लिए सफेद जर्सी पहनकर खेलना मेरे लिए बड़े सम्मान की बात रही। इतने वर्षों तक मुझे जो प्यार और समर्थन मिला, उसके लिए सभी का धन्यवाद। मैं वनडे में खेलता रहूंगा।”
रोहित की कप्तानी में भारत ने 2024 का T20 वर्ल्ड कप जीता था और उसी के तुरंत बाद उन्होंने T20 अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट को अलविदा कह दिया था। अपने टेस्ट करियर में उन्होंने 67 मैचों की 116 पारियों में 40.57 की औसत से कुल 4301 रन बनाए, जिसमें 12 शतक और 18 अर्धशतक शामिल हैं।
2024 में 17 साल बाद भारत को T20 वर्ल्ड कप दिलाने के बाद रोहित ने कहा था, “यह मेरा आखिरी मुकाबला था। मैंने हर पल का आनंद लिया। मेरा सपना भारत के लिए वर्ल्ड कप जीतना था।” नवंबर 2023 में वनडे वर्ल्ड कप के फाइनल में ऑस्ट्रेलिया के हाथों हार के बाद जहां करोड़ों भारतीयों के साथ रोहित शर्मा की आंखें भी नम थीं, वहीं केवल आठ महीने बाद उन्होंने इतिहास रच दिया।
बारबाडोस में खेले गए फाइनल मुकाबले में भारत ने साउथ अफ्रीका को 7 रन से हराकर खिताब जीता। लेकिन रोहित शर्मा की इस ऊंचाई तक की यात्रा आसान नहीं थी। उनके जीवन में कई संघर्ष और आर्थिक कठिनाइयाँ आईं, जिनका उन्होंने डटकर सामना किया।
1999 की बात है, जब इंग्लैंड में भारत मोहम्मद अज़हरुद्दीन की कप्तानी में वर्ल्ड कप खेल रहा था। उसी साल मुंबई के बोरिवली में रहने वाले 12 वर्षीय रोहित शर्मा को उनके परिवार ने पैसे जोड़कर एक क्रिकेट कैंप में भेजा। उनके पिता ट्रांसपोर्ट वेयरहाउस में काम करते थे और आमदनी कम थी। इसी वजह से रोहित अपने दादा और चाचा के साथ रहते थे।
एक स्कूल मैच ने उनकी ज़िंदगी की दिशा बदल दी। उस साल रोहित, बोरिवली के स्वामी विवेकानंद इंटरनेशनल स्कूल के खिलाफ खेल रहे थे। उसी मैच में कोच दिनेश लाड ने उनका खेल देखा और स्कूल के मालिक योगेश पटेल से अनुरोध किया कि रोहित को स्कॉलरशिप दी जाए, क्योंकि वह 275 रुपये मासिक फीस नहीं चुका सकते।
आज 54 वर्षीय योगेश पटेल कहते हैं, “कोच ने कहा था कि इस लड़के में जबरदस्त टैलेंट है, लेकिन उसके पास फीस भरने के पैसे नहीं हैं। हमने उस पर भरोसा किया और आज वो भारतीय टीम का कप्तान बन चुका है।”
कुछ सालों बाद खुद रोहित ने एक इंटरव्यू में कहा था कि वह विवेकानंद स्कूल में पढ़ना और क्रिकेट खेलना चाहते थे लेकिन पैसे नहीं थे। कोच ने स्कॉलरशिप दिलवाई और चार साल तक उनकी पढ़ाई और खेल का पूरा खर्च उठाया गया।
वहीं, इसी स्कूल में एडमिशन के कुछ महीनों के भीतर ही रोहित ने 140 रनों की नाबाद पारी खेली, जिसने उन्हें मुंबई की स्कूली क्रिकेट में पहचान दिलाई।
शिवाजी पार्क, जहां सचिन तेंदुलकर और विनोद कांबली जैसे दिग्गजों ने क्रिकेट सीखा, वहीं से रोहित की भी शुरुआत हुई। अब वही रोहित वर्ल्ड कप जीतने वाले कप्तान बन चुके हैं। उन्होंने T20 वर्ल्ड कप जीतने के बाद संन्यास की घोषणा करते हुए प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि फाइनल मैच उनके T20 करियर का अंतिम मुकाबला था।
समाचार एजेंसी पीटीआई से बातचीत में उन्होंने कहा, “किसी ने मुझसे कहा कि 2007 में जब मैंने भारत के लिए खेलना शुरू किया था, तब हमने वर्ल्ड कप जीता था। अब मैं वर्ल्ड कप जीतकर इस फॉर्मेट से विदा ले रहा हूं।” उन्होंने आगे कहा, “जब मैंने पहली बार 2007 में भारत के लिए खेला था, तो हम आयरलैंड में थे। इसके बाद हम साउथ अफ्रीका में T20 वर्ल्ड कप खेलने गए और वहां भी जीते थे। अब एक बार फिर जीत मिली है। ऐसा लगता है जैसे एक पूरा चक्र पूरा हो गया हो।”
हालांकि, रोहित शर्मा भारत के लिए वनडे क्रिकेट खेलते रहेंगे।
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