raipur rishwat case -रायपुर/बिलासपुर। छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने 100 रुपए रिश्वत के 40 साल पुराने मामले में बड़ा फैसला सुनाया है। रायपुर स्थित मध्यप्रदेश स्टेट रोड ट्रांसपोर्ट कॉर्पोरेशन (MPSRTC) के बिल सहायक रामेश्वर प्रसाद अवधिया को हाईकोर्ट ने सभी आरोपों से बरी कर दिया। इस केस में उन्हें लगभग चार दशक तक कानूनी लड़ाई लड़नी पड़ी।
क्या है मामला?
साल 1981–1985 के बीच कर्मचारी अशोक कुमार वर्मा ने बकाया बिल (एरियर) पास करने के लिए अवधिया पर 100 रुपए रिश्वत मांगने का आरोप लगाया था।
लोकायुक्त टीम ने ट्रैप कार्रवाई में शिकायतकर्ता को 50-50 रुपए के रासायनिक लगे नोट देकर भेजा।
इसके बाद अवधिया को पकड़कर भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत केस दर्ज किया गया।
साल 2004 में ट्रायल कोर्ट ने उन्हें एक साल की सजा और 1000 रुपए जुर्माना सुनाया था।
हाईकोर्ट ने क्यों बरी किया?
हाईकोर्ट की जस्टिस बी.डी. गुरु की बेंच ने कहा कि, अभियोजन पक्ष यह साबित नहीं कर पाया कि आरोपी ने वास्तव में रिश्वत मांगी या स्वीकार की।
मौखिक, दस्तावेजी और परिस्थितिजन्य साक्ष्य आरोप सिद्ध करने में नाकाम रहे।
कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि 1947 और 1988 के भ्रष्टाचार निवारण कानूनों में अंतर है।
नए कानून के अनुरूप पुख्ता सबूत न होने पर दोषसिद्धि टिक नहीं सकती।
इसी आधार पर हाईकोर्ट ने ट्रायल कोर्ट का आदेश रद्द कर अवधिया को दोषमुक्त कर दिया।
