Raipur Police Commissioner -छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में अब पुलिस प्रशासनिक ढांचे में बड़ा बदलाव होने जा रहा है। 1 नवंबर से रायपुर में पुलिस कमिश्नर प्रणाली (Police Commissionerate System) लागू की जा सकती है।
गृह विभाग ने इस व्यवस्था को लेकर सभी औपचारिक तैयारियां लगभग पूरी कर ली हैं। अब दिवाली के बाद होने वाली कैबिनेट बैठक में इस प्रस्ताव पर अंतिम मुहर लगनी बाकी है।
👮♂️ कमिश्नर और एडिशनल कमिश्नर की रेस में 8 IPS अधिकारी
सूत्रों के अनुसार, रायपुर पुलिस कमिश्नर पद के लिए 4 वरिष्ठ IPS अधिकारी और एडिशनल पुलिस कमिश्नर (APC) पद के लिए 4 नामों पर चर्चा चल रही है।
अंतिम चयन मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में होने वाली कैबिनेट बैठक में तय किया जाएगा।
🧾 एडीजी प्रदीप गुप्ता की कमेटी ने दी रिपोर्ट
गृह विभाग ने कुछ महीने पहले पुलिस मुख्यालय (PHQ) से इस सिस्टम पर प्रतिवेदन मांगा था।
इसके बाद एडीजी प्रदीप गुप्ता की अध्यक्षता में एक उच्चस्तरीय समिति गठित की गई, जिसमें आईजी अजय यादव, आईजी अमरेश मिश्रा, डीआईजी ओपी पाल, एसपी अभिषेक मीणा और एसपी संतोष सिंह शामिल थे।
कमेटी ने ओडिशा, महाराष्ट्र, मध्यप्रदेश और कर्नाटक में लागू कमिश्नर प्रणालियों का अध्ययन कर अपनी रिपोर्ट गृह विभाग को सौंप दी है।
🧩 कमिश्नर की रैंक के लिए तीन विकल्प तैयार
कमेटी ने अपने प्रतिवेदन में तीन संभावित विकल्प दिए हैं—
1️⃣ एडीजी रैंक अधिकारी को पुलिस कमिश्नर बनाना
2️⃣ आईजी रैंक अधिकारी को नियुक्त करना
3️⃣ डीआईजी रैंक अधिकारी को जिम्मेदारी देना
कैबिनेट इन विकल्पों में से किसी एक पर निर्णय लेकर पद संरचना को अंतिम रूप देगी।
🏙️ नई प्रणाली में इतने अधिकारी होंगे शामिल
प्रारंभिक प्रस्ताव के अनुसार, कमिश्नर से लेकर थाना प्रभारी (TI) तक करीब 60 से ज्यादा अधिकारी इस नई व्यवस्था में काम करेंगे।
इस ढांचे में CP, Jt. CP, Addl. CP, DCP, Addl. DCP, ACP, PI/SHO, SI और कॉन्स्टेबल तक के पद होंगे।
⚖️ क्या हैं पुलिस कमिश्नर प्रणाली के अधिकार?
कमिश्नर सिस्टम में पुलिस को कुछ हद तक मजिस्ट्रियल पॉवर्स (Judicial Powers) दिए जाते हैं।
इसमें कमिश्नर को शांति भंग, गुंडा एक्ट, रासुका जैसी धाराओं में सीधे कार्रवाई करने का अधिकार होता है।
इसके अलावा, होटल, बार, हथियारों के लाइसेंस, धरना-प्रदर्शन की अनुमति, दंगा नियंत्रण और सार्वजनिक सुरक्षा से जुड़े निर्णय पुलिस स्तर पर ही लिए जा सकते हैं।
🌏 दूसरे राज्यों से लिया गया मॉडल
राजस्थान में एसीपी को प्रतिबंधात्मक धाराओं से जुड़े केसों में सुनवाई करने का और फैसला करने का अधिकार दिया गया है। कमिश्नरेट में ही न्यायालय लगता है। इनमें से ज्यादातर धाराएं शांतिभंग या पब्लिक न्यूसेंस रोकने से जुड़ी हैं। इन मामलों में जमानत देने या न देने का फैसला पुलिस अधिकारी ही करते हैं।
महाराष्ट्र के नागपुर में पुलिस कमिश्नर के पास अपराधियों को जिला बदर करने, जुलूस और जलसों की अनुमति देने, किसी भी जगह को सार्वजनिक स्थल घोषित करने, आतिशबाजी करने की अनुमति के अधिकार हैं। संतान गोद लेने की अनुमति भी नागपुर में पुलिस कमिश्नर ही देता है।
यूपी के लखनऊ, कानपुर, वाराणसी और नोएडा में पुलिस कमिश्नर सिस्टम लागू है। वहां 14 एक्ट के अधिकार पुलिस को दिए गए हैं। सीआरपीसी की धारा 133 और 145 के तहत पब्लिक न्यूसेंस को काबू में करने के लिए एहतियाती कदम उठाना जैसे अधिकार भी प्रशासन से पुलिस को दे दिए गए हैं।
📅 1 नवंबर से लागू होने की संभावना
राज्य सरकार का लक्ष्य है कि 1 नवंबर, यानी छत्तीसगढ़ स्थापना दिवस से पहले रायपुर में पुलिस कमिश्नर प्रणाली लागू कर दी जाए।
इससे प्रशासनिक निर्णय लेने की प्रक्रिया तेज होगी और कानून-व्यवस्था नियंत्रण में पुलिस की जवाबदेही और प्रभावशीलता बढ़ेगी।
