Raipur Commissionerate System- कमिश्नर प्रणाली: रायपुर में अब कलेक्टर नहीं, पुलिस कमिश्नर के हाथों होगी लॉ एंड ऑर्डर की जिम्मेदारी, जानें क्या बदलेगा
रायपुर। स्वतंत्रता दिवस के मौके पर मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने राजधानी रायपुर के लिए बड़ा ऐलान किया है। उन्होंने घोषणा की कि रायपुर में अब पुलिस आयुक्त (कमिश्नरेट) प्रणाली लागू होगी। इस फैसले से राजधानी की कानून-व्यवस्था में बड़ा बदलाव देखने को मिलेगा। आइए जानते हैं, इस प्रणाली में क्या-क्या बदलाव होंगे।
क्या है पुलिस कमिश्नरेट प्रणाली?
पुलिस कमिश्नरेट सिस्टम पहले से दिल्ली, मुंबई, अहमदाबाद, भोपाल, इंदौर जैसे बड़े महानगरों में लागू है। इस व्यवस्था में शहर की कमान एक वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी के पास होती है, जो आमतौर पर डीजी, एडीजी या आईजी रैंक के होते हैं। किस रैंक का अधिकारी पुलिस कमिश्नर बनेगा, यह राज्य सरकार तय करती है और यह शहर की जनसंख्या व अपराध के स्तर पर निर्भर करता है।

पुलिस कमिश्नर के अधिकार और जिम्मेदारियां
कमिश्नर के पास कई ऐसे अधिकार होंगे, जो वर्तमान में कलेक्टर या मजिस्ट्रेट के पास होते हैं। इनमें शामिल हैं:
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धारा 144 या कर्फ्यू लगाने का निर्णय
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धरना-प्रदर्शन की अनुमति देना
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आर्म्स एक्ट के तहत कार्रवाई
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बड़े सार्वजनिक आयोजनों की अनुमति देना
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जिला बदर और अन्य प्रतिबंधात्मक कार्रवाई का आदेश
इस बदलाव से पुलिस को किसी भी आपात स्थिति में तुरंत निर्णय लेने की शक्ति मिलेगी और कलेक्टर पर निर्भरता खत्म हो जाएगी।
कलेक्टर के अधिकार होंगे सीमित
कमिश्नरेट सिस्टम लागू होने के बाद कलेक्टर के अधिकार सीमित हो जाएंगे। वे केवल राजस्व (रेवेन्यू) संबंधी कार्य देखेंगे, जबकि अन्य अनुमति से जुड़े कार्य पुलिस कमिश्नर के अधिकार क्षेत्र में आ जाएंगे।
एसपी और आईजी का क्या होगा?
प्रणाली लागू होने के बाद जिले में कानून-व्यवस्था की पूरी जिम्मेदारी पुलिस कमिश्नर के पास होगी। यदि सरकार चाहेगी तो ग्रामीण क्षेत्रों के लिए अलग से एसपी (रूरल) नियुक्त किए जा सकते हैं। अगर पूरा जिला कमिश्नरेट के तहत आ गया तो एसपी रैंक के अधिकारियों को डीसीपी बनाया जा सकता है।
फिलहाल सीएम विष्णुदेव साय ने केवल इसकी घोषणा की है। अधिकारों का दायरा और तैनाती की प्रक्रिया आने वाले दिनों में तय होगी।
