
Raipur child shelter rape case -बाल आश्रम रेप केस में आरोपी बरी ,पीड़िता के झूठे बयान से फंसा निर्दोष, 4 साल बाद कोर्ट ने दी राहत
रायपुर के एक बाल आश्रम में वर्ष 2021 में दर्ज हुए नाबालिग से दुष्कर्म के मामले में विशेष पॉक्सो अदालत ने एक बड़ा फैसला सुनाया है। चार साल से जेल में बंद युवक को कोर्ट ने सभी आरोपों से बरी कर दिया है, क्योंकि पीड़िता ने अपने प्रेमी को बचाने के लिए झूठा बयान दिया था। DNA टेस्ट में भी आरोपी की भूमिका साबित नहीं हो सकी।
क्या था मामला?
घटना 26 नवंबर 2021 की है, जब रायपुर स्थित एक बाल आश्रम में रहने वाली 14 वर्षीय किशोरी के गर्भवती होने की जानकारी सामने आई। संस्था ने पूछताछ की तो नाबालिग ने आश्रम में रहने वाले युवक पर दुष्कर्म का आरोप लगाया। उसके बयान के आधार पर युवक को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया।
DNA रिपोर्ट ने खोली सच्चाई
मामले की सुनवाई के दौरान नवजात शिशु और आरोपी का DNA मिलान कराया गया।
-
रिपोर्ट में साफ हुआ कि आरोपी बच्ची का पिता नहीं है।
-
कोर्ट में जब DNA रिपोर्ट पीड़िता को दिखाई गई, तो वह टूट गई और स्वीकार किया कि उसने अपने प्रेमी को बचाने के लिए झूठ बोला था।
पलटी गवाही, बदला बयान
-
पीड़िता ने कहा कि डर और भ्रम की स्थिति में उसने गलत नाम लिया।
-
कोर्ट ने माना कि पीड़िता के बयान भरोसेमंद नहीं हैं, क्योंकि वह अपने ही दावों से पलट गई है।
-
DNA परीक्षण से आरोपी को दोषमुक्त पाया गया।
कोर्ट का फैसला
विशेष न्यायाधीश अच्छे लाल काछी की अदालत ने कहा कि
“जब मुख्य सबूत ही पीड़िता का बयान है और वह बार-बार बदल रहा है, साथ ही वैज्ञानिक साक्ष्य (DNA) से आरोपी की संलिप्तता नहीं साबित होती — तो उसे दोषी नहीं ठहराया जा सकता।”
इस आधार पर युवक को पूरी तरह से निर्दोष घोषित कर दिया गया।
4 साल की सजा, अब मिला न्याय
आरोपी लगभग 4 सालों से जेल में बंद था।
बचाव पक्ष के अधिवक्ता प्रणय थिटे ने कहा कि
“एक नाबालिग के झूठे बयान की वजह से एक निर्दोष युवक को सालों तक जेल में रहना पड़ा। यह न्याय व्यवस्था की परीक्षा थी, जिसमें आखिरकार सच्चाई सामने आई।”