Private Schools ESI Act
रायपुर। छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाते हुए स्पष्ट कर दिया है कि अब प्रदेश के सभी निजी और सहायता प्राप्त स्कूल कर्मचारी राज्य बीमा अधिनियम (ESI Act, 1948) के दायरे में आएंगे। इसका सीधा फायदा शिक्षकों और कर्मचारियों को मिलेगा, जिन्हें अब स्वास्थ्य बीमा, मातृत्व लाभ, दुर्घटना सहायता और अन्य सामाजिक सुरक्षा योजनाओं का लाभ मिलेगा।
📌 हाईकोर्ट ने कहा- कर्मचारियों के हितों की रक्षा जरूरी
जस्टिस रजनी दुबे और अमितेंद्र किशोर प्रसाद की डिवीजन बेंच ने एक दर्जन से ज्यादा याचिकाओं पर एक साथ सुनवाई करते हुए यह आदेश दिया। कोर्ट ने कहा कि शिक्षा भले ही समाज सेवा हो, लेकिन स्कूल भी ‘स्थापना’ (Establishment) की श्रेणी में आते हैं। यहां कार्यरत कर्मचारियों को सामाजिक सुरक्षा योजनाओं से वंचित नहीं किया जा सकता।
📌 स्कूल प्रबंधन ने किया था विरोध
रायपुर, बिलासपुर, दुर्ग, राजनांदगांव समेत प्रदेशभर के कई नामी निजी स्कूलों ने राज्य सरकार की 27 अक्टूबर 2005 की अधिसूचना को चुनौती दी थी।
-
स्कूल प्रबंधन का तर्क था कि शिक्षा सेवा है, व्यवसाय नहीं।
-
उनकी गतिविधियां न तो औद्योगिक हैं और न ही वाणिज्यिक, इसलिए उन पर ESI लागू नहीं होना चाहिए।
📌 सरकार और ESIC का पक्ष
राज्य सरकार और कर्मचारी राज्य बीमा निगम (ESIC) ने इन दलीलों का विरोध करते हुए कहा कि:
-
ESI एक्ट एक सामाजिक सुरक्षा कानून है।
-
यह हर उस संस्था पर लागू हो सकता है, जहां 20 या उससे अधिक कर्मचारी कार्यरत हों।
-
स्कूल भी स्थायी स्थापना हैं और कर्मचारियों को बीमा और अन्य सुविधाएं मिलनी चाहिए।
📌 हाईकोर्ट का तर्क
कोर्ट ने अपने आदेश में कहा:
-
सुप्रीम कोर्ट और अन्य हाईकोर्ट पहले ही स्पष्ट कर चुके हैं कि ESI एक्ट केवल उद्योग-कारखानों तक सीमित नहीं है।
-
“स्थापना” शब्द का दायरा व्यापक है, जिसमें शैक्षणिक संस्थान भी शामिल हैं।
-
राज्य सरकार ने अधिसूचना जारी करने से पहले सभी कानूनी प्रक्रियाओं का पालन किया था।
📌 1900 निजी और सहायता प्राप्त स्कूल होंगे प्रभावित
इस फैसले से छत्तीसगढ़ के लगभग 1900 निजी और सहायता प्राप्त स्कूल प्रभावित होंगे। यहां कार्यरत हजारों शिक्षक, कर्मचारी और स्टाफ अब ESIC से मिलने वाले लाभों के हकदार होंगे।
📌 स्कूलों पर होगी कार्रवाई
कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि:
-
सभी निजी स्कूलों को अब ESI एक्ट के तहत पंजीकरण कराना होगा।
-
कर्मचारियों के लिए निर्धारित योगदान (Contribution) नियमित रूप से जमा करना होगा।
-
कोताही करने वाले स्कूलों पर वैधानिक कार्रवाई की जाएगी।
