
Principal Promotion High Court Decision: हाईकोर्ट ने हटाया स्टे, प्राचार्य पदोन्नति को दी हरी झंडी, सभी याचिकाएं खारिज
रायपुर |
छत्तीसगढ़ में लंबे समय से लंबित प्राचार्य पदोन्नति विवाद पर हाईकोर्ट की डबल बेंच ने बड़ा फैसला सुनाया है। माननीय जस्टिस श्रीमती रजनी दुबे और जस्टिस श्री अमितेंद्र कुमार प्रसाद की बेंच ने 17 जून को सुरक्षित रखे गए फैसले को आज सुनाते हुए शिक्षा विभाग की जारी प्रमोशन सूची पर लगा स्टे हटा दिया है।
अब छत्तीसगढ़ में 3000 से अधिक प्राचार्य पदोन्नत किए जा सकेंगे, जिससे शिक्षण सत्र 2025-26 की शुरुआत से पहले स्कूलों में रिक्त पदों को भरा जा सकेगा।
क्या है पूरा मामला?
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शिक्षा विभाग ने 30 अप्रैल 2025 को प्राचार्य पदोन्नति की सूची जारी की थी।
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इस पर कई याचिकाकर्ताओं ने 1 मई को हाईकोर्ट में चुनौती दी, जिसके बाद सूची पर स्टे ऑर्डर (स्थगन) लग गया था।
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कोर्ट में 9 जून से 17 जून तक लगातार सुनवाई हुई।
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अंत में 17 जून को फैसला सुरक्षित रखा गया, जिसे आज सुनाया गया।
हाईकोर्ट ने क्या कहा?
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कोर्ट ने सभी याचिकाएं खारिज करते हुए शासन के पक्ष को सही ठहराया।
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प्रमोशन सूची से स्टे हटाने के निर्देश दिए गए।
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कोर्ट ने शिक्षा सेवा नियमों के नियम-15 में संशोधन की सिफारिश भी की है ताकि भविष्य में विवाद की गुंजाइश न रहे।
किसने रखे मजबूत पक्ष?
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शासन की ओर से अतिरिक्त महाधिवक्ता श्री यशवंत सिंह ठाकुर ने प्रभावी दलीलें पेश कीं।
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छत्तीसगढ़ टीचर्स एसोसिएशन के इंटरवीनर्स — अनूप मजूमदार, अमृतोदास, विनोद देशमुख, जमील अख्तर ने लाभार्थियों की ओर से मजबूती से पक्ष रखा।
अब क्या होगा आगे?
छत्तीसगढ़ टीचर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष श्री संजय शर्मा ने शिक्षा विभाग के सचिव और लोक शिक्षण संचालक से मुलाकात कर प्राचार्य पदोन्नति प्रक्रिया को जल्द लागू करने की मांग की है।
स्कूल शिक्षा विभाग भी इस फैसले के बाद नए शिक्षा सत्र की शुरुआत से पहले रिक्त पदों को भरने की प्रक्रिया तेज करने जा रहा है।
सक्रिय भूमिका में रहे ये शिक्षक नेता
न्यायालयीन लड़ाई में टीचर्स एसोसिएशन के कई प्रतिनिधि लगातार सक्रिय रहे —
संजय शर्मा, मनोज सनाढ्य, मुकेश पांडेय, रामगोपाल साहू, राजेश शर्मा, चिंताराम कश्यप, चंद्रशेखर गुप्ता, तोषण गुप्ता, अनामिका तिवारी, मोहन तिवारी आदि।
निष्कर्ष:
हाईकोर्ट का यह निर्णय न्याय और पारदर्शिता के पक्ष में ऐतिहासिक कदम है। इससे हजारों शिक्षक लाभान्वित होंगे और शिक्षा व्यवस्था को मजबूती मिलेगी। लंबे समय से चल रहा असमंजस अब समाप्त हो गया है।
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