Poonch Maulana Iqbal Defamation Case -: मौलाना इकबाल की पत्नी ने की 10 करोड़ की मांग
जम्मू-कश्मीर के पुंछ जिले के बैला गांव में शहीद मौलाना कारी मोहम्मद इकबाल के घर में पिछले तीन महीनों से मातम पसरा है। पाकिस्तान की गोलाबारी में 7 मई को उनकी मौत हो गई थी। वे पुंछ के प्रसिद्ध मदरसे जामिया जिया-उल-उलूम में शिक्षक थे।
लेकिन मौत के कुछ ही घंटों बाद, प्रमुख हिंदी न्यूज चैनलों — Zee News, News18 India, Republic TV और ABP News — ने उन्हें आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा से जोड़ते हुए झूठी खबरें प्रसारित कीं। इन चैनलों ने यह भी दावा किया कि वे पुलवामा हमले से जुड़े थे।


पत्नी की मांग: माफी नहीं, सज़ा चाहिए
कारी मोहम्मद इकबाल की पत्नी नसीम अख्तर ने इस झूठी रिपोर्टिंग पर नाराज़गी जाहिर की है। उन्होंने कहा, “मेरे पति देश के लिए शहीद हुए हैं, लेकिन मीडिया ने बिना सबूत उन्हें आतंकी बना दिया। हमें माफी नहीं, न्याय चाहिए।” उन्होंने Zee News और News18 India को 5-5 करोड़ का मानहानि नोटिस भेजा है।

FIR दर्ज, कोर्ट के सख्त निर्देश
मामले को लेकर पुंछ के स्थानीय वकील शेख मोहम्मद सलीम ने कोर्ट में याचिका दायर की। इस पर सुनवाई करते हुए पुंछ के सब-जज शफीक अहमद ने संबंधित चैनलों और अज्ञात संपादकीय स्टाफ के खिलाफ FIR दर्ज करने का आदेश दिया।
कोर्ट ने स्पष्ट कहा, “एक सम्मानित शिक्षक को आतंकी बताना पत्रकारिता की गलती नहीं, गैर-जिम्मेदाराना कृत्य है। माफी देने से अपराध की गंभीरता कम नहीं होती।”


सरकार ने दी नौकरी और मुआवजा
कारी मोहम्मद इकबाल के परिवार में दो पत्नियां और आठ बच्चे हैं। सरकार ने छोटी पत्नी शहनाज को मत्स्य पालन विभाग में नौकरी दी है और दोनों पत्नियों को कुल मिलाकर करीब 9 लाख रुपए की राहत राशि प्रदान की है।
मदरसे ने उठाई जिम्मेदारी

मदरसों के प्रिंसिपल सैयद हबीब ने जानकारी दी कि “कारी साहब 2004 से मदरसे में पढ़ा रहे थे। जिस दिन बमबारी हुई, उस दिन मॉक ड्रिल की तैयारी चल रही थी। सुबह 8 बजे एक गोला मदरसे में गिरा और उनकी जान चली गई।” हबीब ने बताया कि मौलाना के निधन के बाद से मदरसा उनके परिवार की आर्थिक जिम्मेदारी उठा रहा है।
BJP नेता ने दी गवाही
7 मई को कारी मोहम्मद के मदरसे पर बमबारी हुई, तब BJP नेता और पूर्व MLC प्रदीप शर्मा 80 मीटर दूर थे। प्रिंसिपल सैयद हबीब के कॉल करने पर प्रदीप शर्मा मदरसा पहुंचे। अस्पताल ले जाते हुए कारी मोहम्मद ने प्रदीप शर्मा के सामने ही दम तोड़ा था।
प्रदीप शर्मा बताते हैं, सुबह 7 बजे के करीब भयंकर फायरिंग हो रही थी। कारी साहब और चार बच्चे जख्मी हो गए।
मैंने अपने दोस्त मौलवी सैयद साहब के साथ मिलकर कारी साहब को बाहर निकाला और अस्पताल पहुंचाया। कारी साहब मेरे सामने तड़पते हुए शहीद हो गए।
मीडिया कवरेज के बारे में प्रदीप शर्मा कहते हैं, ‘किसी शहीद को मिलिटेंट बताना देश के साथ गद्दारी है। माफी मांगने से कुछ नहीं होगा। उनकी इज्जत के साथ खिलवाड़ हुआ है, इसके लिए मुआवजा देना चाहिए। कुछ लोग अभी भी अस्पताल में हैं। उनके बाजू या आंखें चली गईं। उनके लिए सरकार को प्रावधान करना चाहिए।’
पत्रकारिता में सत्य की जिम्मेदारी
वकील शेख मोहम्मद सलीम ने यह भी बताया कि Zee News की ओर से उनसे संपर्क किया गया था, लेकिन उन्होंने कोई समझौता करने से इंकार कर दिया। उनका कहना है कि “देशहित में पत्रकारों को बिना जांच रिपोर्टिंग से बचना चाहिए।”
पुंछ पर पाकिस्तानी बमबारी का असर
7 मई को भारत द्वारा ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के अंतर्गत पाकिस्तान में आतंकी ठिकानों पर हमला किए जाने के बाद, पाकिस्तान ने पुंछ जिले में भारी बमबारी शुरू की। इसमें 13 लोगों की जान चली गई, जिसमें कारी मोहम्मद भी शामिल थे। यह बमबारी पुंछ के इतिहास की सबसे घातक घटनाओं में से एक मानी जा रही है।
क्यों बना पुंछ आसान निशाना
पुंछ की भौगोलिक स्थिति — जो तीन तरफ पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर की पहाड़ियों से घिरी हुई है — उसे दुश्मन के लिए आसान निशाना बना देती है। ऊंचाई पर स्थित पाकिस्तानी पोस्टों से पुंछ शहर पर सीधा हमला करना उनके लिए रणनीतिक रूप से आसान है।
