PM Modi China Visit On SCO Summit -PM मोदी का चीन दौरा तय: सितंबर में SCO समिट में लेंगे हिस्सा, गलवान संघर्ष के बाद रिश्तों में नई शुरुआत की उम्मीद
नई दिल्ली, 7 अगस्त 2025:
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जल्द ही चीन का दौरा करेंगे। वे सितंबर 2025 के पहले सप्ताह में चीन के क़िंगदाओ में आयोजित होने वाले शंघाई सहयोग संगठन (SCO) शिखर सम्मेलन में भाग लेंगे। यह दौरा खास इसलिए है क्योंकि यह गलवान घाटी में 2020 में भारत-चीन के बीच हुई हिंसक झड़प के बाद पीएम मोदी की पहली चीन यात्रा होगी।

कब और कहां होगा SCO समिट?
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समय: सितंबर 2025 का पहला सप्ताह
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स्थान: क़िंगदाओ, चीन
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आयोजक देश: चीन (वर्तमान SCO अध्यक्ष)
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सभी सदस्य देशों के राष्ट्राध्यक्षों को निमंत्रण भेजा गया है।
क्या है SCO और क्यों है यह अहम?
SCO (Shanghai Cooperation Organisation) एक बहुपक्षीय राजनीतिक, आर्थिक और सुरक्षा सहयोग संगठन है। इसके सदस्य हैं:
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भारत
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चीन
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रूस
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पाकिस्तान
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कज़ाखिस्तान, किर्गिस्तान, ताजिकिस्तान, उज्बेकिस्तान आदि मध्य एशियाई देश
इस मंच पर आतंकवाद, सीमा सुरक्षा, व्यापार, ऊर्जा सहयोग और क्षेत्रीय स्थिरता जैसे मुद्दों पर चर्चा होती है।
गलवान के बाद पहली कूटनीतिक मुलाकात
2020 में लद्दाख के गलवान क्षेत्र में भारत और चीन के सैनिकों के बीच हुई झड़प में भारत के 20 जवान शहीद हुए थे। इसके बाद दोनों देशों के रिश्तों में तनाव बना रहा। सैन्य और राजनयिक स्तर पर कई दौर की वार्ताएं भी कोई ठोस समाधान नहीं ला पाईं।
PM मोदी का यह चीन दौरा दोनों देशों के बीच जमी बर्फ को पिघलाने का प्रयास माना जा रहा है।
क्या हो सकती है चर्चा के प्रमुख मुद्दे?
सूत्रों के अनुसार, पीएम मोदी और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच निम्नलिखित मुद्दों पर बातचीत संभव है:
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सीमावर्ती तनाव और सैन्य गतिरोध
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द्विपक्षीय व्यापार असंतुलन
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अंतरराष्ट्रीय स्थिरता और BRICS सहयोग
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वैश्विक आतंकवाद के खिलाफ साझा रणनीति
भारत का रुख रहेगा स्पष्ट और सख्त
भारत पहले ही स्पष्ट कर चुका है कि SCO को वह एक विकास और सहयोग का मंच मानता है, लेकिन सीमा की मर्यादा और संप्रभुता सर्वोच्च प्राथमिकता है।
PM मोदी इस मंच से:
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आतंकवाद के खिलाफ सख्त रुख
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क्षेत्रीय शांति और स्थायित्व
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व्यापार में पारदर्शिता
की पुरज़ोर वकालत कर सकते हैं।
दुनिया की निगाहें इस मुलाकात पर
यह दौरा न सिर्फ भारत-चीन संबंधों के लिए, बल्कि वैश्विक कूटनीतिक समीकरणों के लिहाज से भी बेहद अहम माना जा रहा है।
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अमेरिका, रूस, और यूरोपीय संघ इस मीटिंग पर खास नजर बनाए हुए हैं।
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इस बात पर बारीकी से निगरानी रखी जा रही है कि भारत और चीन कैसे एक साझा मंच पर अपनी स्थिति रखते हैं।
निष्कर्ष:
गलवान के बाद पहली बार प्रधानमंत्री मोदी का चीन दौरा नई उम्मीदें और संभावनाएं लेकर आ रहा है। SCO जैसे मंच पर भारत की सक्रिय भागीदारी न केवल दक्षिण एशिया, बल्कि पूरे वैश्विक परिदृश्य को प्रभावित कर सकती है। अब देखना यह होगा कि यह दौरा भारत-चीन संबंधों में कोई ठोस बदलाव ला पाता है या नहीं।
