PM-CM Arrest Resignation Bill -गिरफ्तारी या 30 दिन हिरासत पर PM-CM का पद जाएगा: 5 साल+ सजा वाले क्राइम में लागू होगा नया प्रावधान, JPC को भेजा गया बिल
लोकसभा में बुधवार को गृह मंत्री अमित शाह ने तीन अहम बिल पेश किए। इसमें यह प्रावधान है कि प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री या कोई भी मंत्री यदि ऐसे अपराध में गिरफ्तार होता है जिसकी सजा 5 साल या उससे अधिक है और वह 30 दिन तक हिरासत में रहता है, तो उसे पद छोड़ना पड़ेगा।
तीन प्रमुख बिल पेश किए गए
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गवर्नमेंट ऑफ यूनियन टेरिटरीज (संशोधन) बिल 2025
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फिलहाल केंद्र शासित प्रदेशों में ऐसा कोई प्रावधान नहीं था कि गंभीर अपराधों में गिरफ्तार मुख्यमंत्री या मंत्री को हटाया जा सके।
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नए संशोधन में स्पष्ट कर दिया गया है कि ऐसे मामलों में कानूनी रूप से उन्हें पद से हटाया जाएगा।
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130वां संविधान संशोधन बिल 2025
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संविधान के अनुच्छेद 75, 164 और 239AA में संशोधन कर यह व्यवस्था की जाएगी।
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अब गंभीर अपराध में गिरफ्तार प्रधानमंत्री, केंद्रीय मंत्री, राज्य मुख्यमंत्री या मंत्री को हटाना संभव होगा।
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जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन (संशोधन) बिल 2025
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जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम 2019 की धारा 54 में संशोधन किया गया।
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नए नियम के तहत यदि मुख्यमंत्री या मंत्री को 5 साल+ सजा वाले अपराध में गिरफ्तार कर 30 दिन हिरासत में रखा जाता है, तो उसे पद से हटाना अनिवार्य होगा।
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विपक्ष का विरोध और हंगामा
लोकसभा में इन बिलों का कांग्रेस, AIMIM और सपा ने जमकर विरोध किया। विपक्ष ने इसे संविधान विरोधी और न्याय विरोधी बताया और बिलों को वापस लेने की मांग की। विरोध के दौरान विपक्षी सांसदों ने गृह मंत्री शाह की ओर कागज के गोले भी फेंके।
आख़िरकार, शाह ने इन बिलों को संयुक्त संसदीय समिति (JPC) को भेजने का प्रस्ताव दिया।
पुराने उदाहरण बने बहस का कारण
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दिल्ली के CM अरविंद केजरीवाल गिरफ्तारी के बाद भी 6 महीने तक पद पर बने रहे थे।
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तमिलनाडु के मंत्री वी. सेंथिल बालाजी 241 दिन जेल में रहने के बावजूद बिना विभाग के मंत्री बने रहे।
इन घटनाओं ने इस मुद्दे पर कानूनी अस्पष्टता को उजागर किया था।
ऑनलाइन गेमिंग पर भी बिल पेश
लोकसभा में केंद्र सरकार ने ऑनलाइन गेमिंग पर प्रतिबंध लगाने वाला बिल भी पेश किया।
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इसमें मनी गेमिंग, विज्ञापन और उकसावे पर रोक होगी।
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उल्लंघन करने पर 3 साल तक की कैद या 1 करोड़ रुपए तक का जुर्माना, या दोनों हो सकते हैं।
सरकार का तर्क
केंद्र का कहना है कि यह कदम लोकतंत्र और सुशासन की साख मजबूत करेगा। अब तक केवल दोषी ठहराए गए जनप्रतिनिधियों को ही पद से हटाया जा सकता था, लेकिन नए प्रावधान से गंभीर अपराधों में आरोपी और हिरासत में रहने वाले नेता भी पद छोड़ने को बाध्य होंगे।
निष्कर्ष
गृह मंत्री अमित शाह द्वारा पेश किए गए ये बिल सत्ता, राजनीति और कानून व्यवस्था पर बड़ा असर डाल सकते हैं। विपक्ष इसे सत्ता का दुरुपयोग बता रहा है, जबकि केंद्र सरकार इसे लोकतांत्रिक व्यवस्था की मजबूती मान रही है।

