
Panchmukhi Shiv Mandir
Panchmukhi Shiv Mandir: संतान प्राप्ति के लिए प्रसिद्ध, सावन सोमवार को उमड़ा श्रद्धालुओं का सैलाब
रायपुर, सरोना: छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर के सरोना गांव स्थित पंचमुखी शिव मंदिर में सावन के दूसरे सोमवार को दर्शन के लिए श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ पड़ी। माना जाता है कि यहां शिवलिंग की पूजा करने से संतान प्राप्ति होती है। मंदिर परिसर सुबह से ही शिवभक्तों के “बम-बम भोले” के जयकारों से गूंजता रहा।
करीब 250 साल पुराने इस मंदिर की विशेषता इसका पंचमुखी शिवलिंग है, जिसका विशेष श्रृंगार मंत्रोच्चारण के बीच किया गया। यह मंदिर दो तालाबों के मध्य स्थित है, जिससे इसकी खूबसूरती और अध्यात्मिक ऊर्जा दोनों बढ़ जाती हैं। इसे स्थानीय लोग कछुआ वाले शिव मंदिर के नाम से भी जानते हैं।
कछुओं और मछलियों की होती है पूजा
तालाबों में 100 साल से अधिक उम्र के दो कछुए और कई मछलियां मौजूद हैं। स्थानीय मान्यता है कि ये शिव के अवतार माने जाते हैं और इनकी पूजा की जाती है। पुजारी शंकर गोस्वामी के अनुसार, तालाब के कछुए और मछलियों को नुकसान पहुँचाने वालों को अनिष्ट का सामना करना पड़ सकता है। यहां श्रद्धालु इन्हें आटा और फल अर्पित करते हैं।
मंदिर का इतिहास और संतान प्राप्ति की मान्यता

पुजारी के अनुसार, मंदिर का निर्माण 1838 ईस्वी में ठाकुर गुलाब सिंह द्वारा कराया गया था, जो नि:संतान थे। नागा साधुओं की सलाह पर उन्होंने तालाब खुदवाकर शिव मंदिर बनवाया, जिसके बाद उन्हें संतान की प्राप्ति हुई। तब से इस मंदिर में संतान की कामना लेकर भक्त पहुंचते हैं। यह मान्यता आज भी कायम है और दूर-दूर से लोग शिवलिंग के दर्शन करने आते हैं।
मंदिर का अद्वितीय गर्भगृह
मंदिर के गर्भगृह में पंचमुखी शिवलिंग के अलावा शिव-पार्वती और भगवान गणेश की अनोखी मूर्ति है, जिसमें शिवजी गणेश को गोद में लिए हुए हैं। साथ ही हंस पर ब्रह्मा, गरुड़ पर विष्णु और द्वाररक्षक कीर्तिमुख की मूर्तियां भी विद्यमान हैं। यह गर्भगृह भक्तों के लिए विशेष आकर्षण का केंद्र है।
सावन सोमवार का महत्व और पूजा विधि
सावन का महीना भगवान शिव की पूजा-अर्चना के लिए अत्यंत शुभ माना जाता है। इस बार सावन की शुरुआत 11 जुलाई 2025 को हुई और समापन 9 अगस्त 2025 को होगा। इसमें चार सावन सोमवार पड़ेंगे:
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पहला सावन सोमवार – 14 जुलाई 2025
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दूसरा – 21 जुलाई 2025
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तीसरा – 28 जुलाई 2025
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चौथा – 4 अगस्त 2025
सावन सोमवार व्रत में भक्त दिनभर उपवास रखते हैं, शिवलिंग पर जलाभिषेक, रुद्राभिषेक करते हैं और बेलपत्र, भस्म, भांग, शमी पत्र, दूध, गंगाजल आदि अर्पित करते हैं। दिनभर भगवान शिव का स्मरण करते हैं और रात्रि में प्रदोष काल में आरती और पूजन करते हैं। व्रत का पारण अगले दिन सूर्योदय के बाद पारंपरिक विधि से किया जाता है।
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