
पहलगाम हमला: शांति की अपील करने पर हिमांशी खुराना ट्रोल्स के निशाने पर क्यों आईं?
“हम नहीं चाहते कि लोग मुसलमानों या कश्मीरियों के विरुद्ध जाएं। हमारा उद्देश्य केवल और केवल शांति है। निश्चित रूप से हम न्याय चाहते हैं और जो दोषी हैं, उन्हें सज़ा मिलनी चाहिए।”
ये शब्द हिमांशी नरवाल ने पत्रकारों से बातचीत के दौरान कहे थे।
वही हिमांशी, जिन्होंने 22 अप्रैल को पहलगाम में हुए आतंकी हमले में अपने पति, भारतीय नौसेना के लेफ्टिनेंट विनय नरवाल को खो दिया।
1 मई को विनय का 27वां जन्मदिन था। उसी दिन हिमांशी ने यह बयान दिया। लेकिन इसके बाद से उन्हें सोशल मीडिया पर लगातार ट्रोल किया जा रहा है। उन पर आपत्तिजनक टिप्पणियां की जा रही हैं और उन्हें हिंसा की धमकियाँ तक मिल रही हैं।
राष्ट्रीय महिला आयोग ने लिया संज्ञान
यह मामला अब राष्ट्रीय महिला आयोग तक पहुँच चुका है। आयोग ने स्पष्ट किया है कि किसी महिला को उसकी सोच या निजी विचारों के कारण निशाना बनाना स्वीकार्य नहीं है।
अपने आधिकारिक बयान में आयोग ने कहा, “पूरा देश इस आतंकी हमले से आहत और क्रोधित है। लेफ्टिनेंट विनय नरवाल की शहादत के बाद उनकी पत्नी हिमांशी द्वारा दिए गए एक बयान पर जिस तरह से उन्हें निशाना बनाया जा रहा है, वह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण और निंदनीय है।”
आयोग ने आगे कहा कि किसी भी प्रकार की सहमति या असहमति को संवैधानिक और सभ्य दायरे में व्यक्त किया जाना चाहिए।
‘ट्रोलिंग के ज़रिए ध्रुवीकरण की कोशिश’
हिमांशी के खिलाफ हो रही ट्रोलिंग की आलोचना कई सामाजिक कार्यकर्ताओं ने की है।
सामाजिक कार्यकर्ता कविता कृष्णन का कहना है, “कुछ दिन पहले तक हिमांशी और उनके पति की तस्वीरें सोशल मीडिया पर श्रद्धांजलि के साथ साझा की जा रही थीं। लोग न्याय की मांग कर रहे थे। लेकिन अब वही लोग हिमांशी के देशभक्ति पर सवाल उठा रहे हैं।”
उनका मानना है कि इस तरह की ट्रोलिंग का उद्देश्य मुसलमानों के खिलाफ माहौल बनाना है। “जब कोई महिला इस प्रचलित नैरेटिव को चुनौती देती है, तो उसे निशाना बनाया जाता है,” वह कहती हैं।
कविता ने यह भी जोड़ा कि सोशल मीडिया पर दक्षिणपंथी समूह हिमांशी को जेएनयू से जोड़ने की कोशिश कर रहे हैं ताकि उन्हें राष्ट्रविरोधी बताया जा सके।
कानूनी कार्रवाई की मांग तेज
महिला आयोग के बयान के बाद यह मांग भी उठ रही है कि ऐसे सोशल मीडिया हैंडल्स पर कड़ी कानूनी कार्रवाई होनी चाहिए जो नफरत फैलाते हैं। कई संगठनों ने इन अकाउंट्स के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने की मांग की है।
राजनीतिक विश्लेषक और एक संगठन से जुड़ीं जगमती सांगवान ने कहा, “हर बार सोशल मीडिया पर इस तरह की ट्रोलिंग और धमकी भरे बयान सामने आते हैं। हमें यह सोचना होगा कि क्या हमारे पास हेट स्पीच पर काबू पाने का कोई उपाय बचा है या नहीं? साथ ही इन प्लेटफॉर्म्स की भी जिम्मेदारी तय होनी चाहिए।”
राजनीतिक समर्थन भी मिला
विभिन्न राजनीतिक दलों के नेताओं ने भी इस मामले में प्रतिक्रिया दी है और ट्रोलिंग पर कार्रवाई की मांग की है।
शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) की सांसद प्रियंका चतुर्वेदी ने हिमांशी का समर्थन करते हुए लिखा, “उन्हें गालियां दी जा रही हैं, ट्रोल किया जा रहा है और नफरत का शिकार बनाया जा रहा है क्योंकि उन्होंने नफरत नहीं, बल्कि न्याय की बात की। वह अपने पति की यादों के साथ जी रही हैं और ये ट्रोल्स उन्हें और अधिक तकलीफ दे रहे हैं।”
तृणमूल कांग्रेस के सांसद साकेत गोखले ने भी हिमांशी के समर्थन में उतरते हुए एफआईआर की मांग की है।
कुछ ने किया हिमांशी का समर्थन
ट्रोलिंग के बीच सोशल मीडिया पर ऐसे भी लोग हैं जो हिमांशी के बयान का समर्थन कर रहे हैं।
एक यूज़र ने लिखा, “विनय नरवाल अमर रहें, हिमांशी नरवाल जिंदाबाद। ये देश ऐसे ही लोगों की वजह से मजबूत है, न कि ट्रोल्स की वजह से।”
दूसरे ने कहा, “इस तरह की ट्रोलिंग से तो आतंकियों की ही मंशा पूरी हो रही है।”
अन्य लोग भी हुए निशाने पर
हिमांशी अकेली नहीं हैं जिन्हें ट्रोल किया गया। पहलगाम हमले के बाद ओलंपिक स्वर्ण पदक विजेता नीरज चोपड़ा भी ट्रोलिंग का शिकार बने। उन्होंने पाकिस्तानी एथलीट अरशद नदीम को भारत आमंत्रित किया था, जिसे लेकर विवाद खड़ा हो गया।
नीरज को सोशल मीडिया पर सफाई देनी पड़ी। उन्होंने कहा, “मैं कम बोलता हूं, इसका मतलब यह नहीं कि गलत के खिलाफ खड़ा नहीं हो सकता। देश के सम्मान और परिवार की गरिमा पर कोई सवाल उठे तो मैं जरूर बोलूंगा।”
उन्होंने आगे कहा, “अरशद को मेरा निमंत्रण एक एथलीट से दूसरे एथलीट को दिया गया आमंत्रण था। न इससे अधिक, न कम। ‘नीरज चोपड़ा क्लासिक’ का उद्देश्य था कि दुनिया के बेहतरीन खिलाड़ी भारत आएं और यहां वर्ल्ड क्लास खेल हो सके।”