NHM Employees strike -22वें दिन भी जारी NHM कर्मचारियों की हड़ताल, आज करेंगे जल सत्याग्रह
छत्तीसगढ़ में 16 हजार से अधिक NHM संविदा कर्मचारी पिछले 22 दिनों से अपनी 10 सूत्रीय मांगों को लेकर हड़ताल पर हैं। आंदोलन आज नए चरण में प्रवेश कर चुका है। मंगलवार को कर्मचारी जल सत्याग्रह करेंगे और विधायक-मंत्रियों के घरों का घेराव करने की रणनीति भी बनाई गई है।
21वें दिन ‘रोटी-सम्मान-न्याय-गारंटी’ थीम पर प्रदर्शन
सोमवार को कर्मचारी ‘रोटी-सम्मान-न्याय-गारंटी’ की थीम पर प्रदर्शन करते नजर आए।
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NHM कर्मचारी संघ के प्रदेश अध्यक्ष डॉ. अमित कुमार मिरी ने कहा, “अब केवल आश्वासन नहीं, ठोस फैसले चाहिए।”
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यदि मांगें पूरी नहीं हुईं तो कर्मचारी विधानसभा घेराव करेंगे।
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रायपुर, दुर्ग और रायगढ़ में सैकड़ों कर्मचारियों ने सामूहिक इस्तीफा भी सौंपा।
हालांकि CMHO ने इस्तीफे को स्वीकार करने से इनकार किया है।
बर्खास्तगी से भड़का आंदोलन

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3 सितंबर को 25 संविदा कर्मचारियों को बर्खास्त कर दिया गया था।
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इनमें संगठन के प्रदेश संरक्षक हेमंत सिन्हा और महासचिव कौशलेश तिवारी भी शामिल हैं।
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इसके बाद आंदोलन और उग्र हो गया।
कर्मचारियों ने कहा कि शासन दबाव बनाने की कोशिश कर रहा है और बातचीत के रास्ते बंद कर दिए गए हैं।
अलग-अलग तरीकों से जारी विरोध

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कर्मचारियों ने पीएम-सीएम और स्वास्थ्य मंत्री का मुखौटा पहनकर डांस किया।
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सरकार को खून से खत लिखा।
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सोशल मीडिया पर पैरोडी गानों और डांस के जरिए प्रदर्शन वायरल हो रहे हैं।
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धमतरी में छत्तीसगढ़ी गीत ‘मोर पथरा के देवता मानत नई हे वो’ पर डांस कर विरोध जताया गया।
स्वास्थ्य सेवाएं पूरी तरह ठप
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हड़ताल से संस्थानिक प्रसव, पैथोलॉजी जांच, एक्स-रे, सोनोग्राफी और टीकाकरण जैसी सेवाएं प्रभावित हुई हैं।
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कई अस्पतालों में ओटी और डिलीवरी सेवाएं बंद हैं।
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गंभीर मरीजों को भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।
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स्थिति को देखते हुए प्रशासन ने रेगुलर कर्मचारियों की छुट्टियां रद्द कर दी हैं।
सरकार और विपक्ष का रुख

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स्वास्थ्य मंत्री श्याम बिहारी जायसवाल का कहना है कि 10 में से 5 मांगें मान ली गई हैं, बाकी पर केंद्र से सिफारिश की जाएगी।
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भाजपा सांसद बृजमोहन अग्रवाल और विजय बघेल ने कर्मचारियों की हड़ताल को जायज बताया।
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पूर्व डिप्टी सीएम टीएस सिंहदेव ने स्वीकार किया कि कांग्रेस सरकार ने NHM कर्मचारियों से किए वादे पूरे नहीं किए, इसी वजह से चुनाव में हार मिली।
आंदोलन की वजह

कर्मचारियों का कहना है कि भाजपा ने चुनाव के दौरान “मोदी की गारंटी” के तहत 100 दिनों में संविदा कर्मचारियों को नियमित करने का वादा किया था। लेकिन 20 महीने और 160 से अधिक ज्ञापन देने के बाद भी कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया।
👉 निष्कर्ष:
छत्तीसगढ़ में NHM कर्मचारियों की हड़ताल से स्वास्थ्य सेवाएं चरमराई हुई हैं। आज का जल सत्याग्रह और नेताओं के घरों का घेराव सरकार पर और दबाव बना सकता है। अब सबकी नजरें इस पर हैं कि क्या सरकार कर्मचारियों की मांगें मानेगी या आंदोलन और लंबा चलेगा।
