
Neurocysticercosis Symptoms -बारिश में दिमाग को डैमेज कर सकता है यह कीड़ा: न्यूरोसिस्टिसर्कोसिस से कैसे बचें?
बरसात का मौसम जहां एक ओर ठंडक और राहत लेकर आता है, वहीं दूसरी ओर यह कई गंभीर बीमारियों को भी जन्म देता है। मुंबई जैसे बड़े शहरों में मॉनसून के दौरान संक्रमण का खतरा तेजी से बढ़ जाता है। इन्हीं में से एक घातक बीमारी है न्यूरोसिस्टिसर्कोसिस (Neurocysticercosis), जो दिमाग पर गंभीर असर डाल सकती है। डॉक्टरों ने इसे लेकर चेतावनी भी जारी की है।
न्यूरोसिस्टिसर्कोसिस क्या है?
न्यूरोसिस्टिसर्कोसिस एक मस्तिष्क संबंधी संक्रमण है, जो पोर्क टेपवर्म (Taenia solium) के लार्वा से फैलता है। यह बीमारी तब होती है जब कोई व्यक्ति अधपका पोर्क खा ले या दूषित पानी व भोजन का सेवन करे। शुरुआत में ये लार्वा आंतों में पहुंचकर टीनियासिस (Taeniasis) नामक संक्रमण पैदा करते हैं। यदि इसका इलाज न हो, तो ये लार्वा रक्त प्रवाह के जरिए दिमाग में पहुंचकर वहां सिस्ट बना लेते हैं, जिसे न्यूरोसिस्टिसर्कोसिस कहते हैं।
क्या हैं इसके लक्षण?
शुरुआत में इसके लक्षण सामने नहीं आते, लेकिन जब दिमाग में सिस्ट बनने लगते हैं, तो कई गंभीर समस्याएं उभरती हैं:
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बार-बार दौरे (Seizures) आना
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लगातार तेज सिरदर्द
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चक्कर आना या भ्रम की स्थिति
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कभी-कभी स्थायी ब्रेन डैमेज
यह बीमारी खासकर उन लोगों में ज्यादा खतरनाक होती है जिनकी इम्यूनिटी कमजोर होती है, जैसे कि बच्चे या बुजुर्ग।
मॉनसून में क्यों बढ़ता है खतरा?
बरसात के मौसम में जगह-जगह पानी भरने, गंदगी और खराब सफाई के कारण खाद्य और जलजनित संक्रमणों की आशंका बढ़ जाती है। ऐसे में टेपवर्म के अंडे आसानी से फैल सकते हैं और यह गंभीर संक्रमण लोगों को अपनी चपेट में ले सकता है।
कैसे होती है जांच?
इस संक्रमण की पहचान के लिए डॉक्टर आमतौर पर MRI या CT स्कैन की सलाह देते हैं। इसके तहत यह देखा जाता है कि दिमाग में बना सिस्ट किस स्टेज में है:
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Vesicular Stage: शुरुआती स्थिति, जब सिस्ट में सूजन नहीं होती।
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Colloidal Stage: सिस्ट में सूजन और इंफ्लेमेशन बढ़ता है।
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Calcified Stage: पुराना और सख्त हो चुका सिस्ट, जो उपचार से हटता नहीं।
बचाव के आसान लेकिन प्रभावी उपाय
इस घातक संक्रमण से बचने के लिए कुछ जरूरी सावधानियां बरतना बेहद जरूरी है:
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अधपका या कच्चा पोर्क कभी न खाएं
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सब्जियों और फलों को अच्छी तरह धोकर ही खाएं
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सिर्फ फिल्टर्ड या उबला हुआ पानी ही पिएं
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खाना बनाने और खाने से पहले हाथ धोना न भूलें
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मांस हमेशा प्रमाणित और स्वच्छ दुकान से ही खरीदें
इन साधारण लेकिन अहम आदतों से न्यूरोसिस्टिसर्कोसिस का खतरा काफी हद तक कम किया जा सकता है।
इलाज में देरी क्यों है खतरनाक?
यदि किसी को अचानक दौरे पड़ने लगें या लगातार सिरदर्द बना रहे तो तुरंत न्यूरोलॉजिस्ट से संपर्क करना चाहिए। विशेषज्ञों के अनुसार, समय पर इलाज न मिलने से यह बीमारी स्थायी मानसिक विकलांगता का कारण बन सकती है। बरसात के मौसम में थोड़ी सी लापरवाही भी बड़ी समस्या का रूप ले सकती है।
निष्कर्ष:
मॉनसून का मौसम जितना सुंदर होता है, उतना ही सतर्कता की मांग भी करता है। न्यूरोसिस्टिसर्कोसिस जैसी गंभीर बीमारियों से बचने के लिए साफ-सफाई और सुरक्षित खानपान बेहद जरूरी है। सावधानी ही सबसे बड़ा इलाज है।
डिस्क्लेमर:
यह जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स और विशेषज्ञों की राय पर आधारित है। किसी भी प्रकार की स्वास्थ्य संबंधी सलाह के लिए डॉक्टर से संपर्क अवश्य करें।
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