
नक्सलियों के खिलाफ छत्तीसगढ़ और तेलंगाना की सीमा पर चल रहा सबसे बड़ा संयुक्त ऑपरेशन चौथे दिन भी जारी है। लगातार बदलते हालात के बीच एक ओर सुरक्षा बलों ने नक्सलियों के खिलाफ कार्रवाई तेज कर दी है, वहीं दूसरी ओर नक्सलियों की ओर से जारी पत्र ने राजनीतिक बहस को जन्म दे दिया है।
नक्सलियों की वार्ता अपील और कांग्रेस की प्रतिक्रिया
दोपहर में नक्सलियों ने एक पत्र जारी कर सरकार से शांति वार्ता की मांग की है। उन्होंने संविधान और भारत की संप्रभुता को स्वीकारने तथा हथियार छोड़ने की बात कही है। इस पर कांग्रेस प्रवक्ता सुरेंद्र शर्मा ने कहा,
“ऐसा प्रतीत होता है कि नक्सली संघर्ष के अंतिम चरण में हैं। सरकार को इस अवसर का मूल्यांकन कर जनहित में निर्णय लेना चाहिए। यदि वे संविधान को मानते हैं और हथियार छोड़ने को तैयार हैं तो वार्ता का रास्ता खुल सकता है।”
भाजपा ने जताई सख्ती
वहीं भाजपा विधायक राजेश मूणत ने इस प्रस्ताव पर कड़ा रुख अपनाते हुए कहा,
“केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने मार्च 2026 तक राज्य को नक्सल मुक्त करने का लक्ष्य रखा है। नक्सलियों को दो ही विकल्प हैं—समर्पण या परिणाम भुगतने के लिए तैयार रहना। सरकार बातचीत कर सकती है, लेकिन पहली शर्त होगी निःशर्त हथियारों का परित्याग।”
ऑपरेशन की स्थिति
बीजापुर और तेलंगाना सीमा के आसपास के पहाड़ी क्षेत्रों में लगभग 8 से 10 हजार जवान इस संयुक्त ऑपरेशन में तैनात हैं। बीते चार दिनों में रुक-रुक कर फायरिंग की घटनाएं सामने आई हैं और अब तक छह नक्सली मारे जा चुके हैं। जानकारी है कि कई शीर्ष नक्सली नेता इन पहाड़ियों में छिपे हुए हैं और उन्हें सुरक्षा बलों ने चारों ओर से घेर रखा है।
इसी दौरान, उत्तर पश्चिम सब जोनल ब्यूरो के प्रभारी रूपेश द्वारा जारी एक प्रेस नोट में सरकार से आग्रह किया गया है कि ऑपरेशन को रोका जाए और वार्ता की प्रक्रिया शुरू की जाए।