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Naxal attack in Chhattisgarh: नक्सलियों ने दो ग्रामीणों को अगवा कर की हत्या, एक था सरेंडर नक्सली; अमित शाह के दौरे से ठीक पहले दिया वारदात को अंजाम
बीजापुर, 22 जून 2025।
छत्तीसगढ़ के बीजापुर जिले में एक बार फिर नक्सलियों की बर्बरता सामने आई है। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के छत्तीसगढ़ दौरे से ठीक पहले नक्सलियों ने दो ग्रामीणों को अगवा कर उनकी निर्मम हत्या कर दी। मृतकों में एक ग्रामीण पूर्व नक्सली भी शामिल है, जिसने हाल ही में आत्मसमर्पण किया था। इस नृशंस वारदात के बाद क्षेत्र में दहशत का माहौल बन गया है।
घटना पामेड़ थाना क्षेत्र की, गांव में मचा हड़कंप
यह हत्या बीजापुर जिला के पामेड़ थाना क्षेत्र की है। प्राप्त जानकारी के अनुसार मृतकों की पहचान समैय्या और वेको देवा के रूप में हुई है। समैय्या ने वर्ष 2025 में ही नक्सलियों से नाता तोड़ते हुए सरेंडर किया था, जबकि वेको देवा स्थानीय निवासी और साधारण ग्रामीण था।
दोनों मृतक नक्सल प्रभावित गांव सेंड्राबोर और एमपुर के रहने वाले थे। शनिवार की रात, बड़ी संख्या में नक्सली गांव में घुसे और दोनों ग्रामीणों को पहले पीटा, फिर उन्हें अगवा कर जंगल की ओर ले गए।
पुलिस मुखबिरी का आरोप, शव गांव के पास फेंके
नक्सलियों ने दोनों ग्रामीणों पर पुलिस को सूचना देने यानी मुखबिरी करने का आरोप लगाया था। इसके बाद दोनों की निर्मम हत्या कर उनके शव गांव के पास फेंक दिए। रविवार सुबह जब गांववालों ने लाशें देखीं तो पूरे इलाके में हड़कंप मच गया। तुरंत पुलिस को सूचना दी गई, जिसके बाद खोडरी चौकी पुलिस मौके पर पहुंची।
पुलिस ने इलाके में सर्च ऑपरेशन तेज कर दिया है और आसपास के क्षेत्रों में जांच जारी है।
6 दिन में 5 हत्याएं, नक्सली तांडव चरम पर
गौरतलब है कि बीते 6 दिनों में नक्सलियों ने 5 ग्रामीणों की हत्या कर दी है। इससे पहले 17 जून को नक्सलियों ने एक ही दिन में 3 ग्रामीणों की हत्या कर दी थी और आधा दर्जन से ज्यादा लोगों की निर्दयता से पिटाई की थी। यह घटना पेद्दाकोरमा गांव में हुई थी, जिसने पहले ही इलाके में दहशत फैला रखी थी।
अब इस ताजा वारदात के बाद नक्सलियों ने फिर से आतंक फैलाने की कोशिश की है। लगातार हो रही हिंसक घटनाओं से ग्रामीणों में गहरी असुरक्षा की भावना घर कर गई है।
सरकार और सुरक्षा बलों के सामने नई चुनौती
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के दौरे से पहले हुई यह घटना सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल खड़े करती है। जहां एक ओर केंद्र सरकार नक्सल उन्मूलन को लेकर कड़े कदमों की बात करती है, वहीं दूसरी ओर ग्राउंड लेवल पर हालात चिंताजनक बने हुए हैं।
इस घटना के बाद यह जरूरी हो गया है कि सुरक्षा बलों की तैनाती, सर्च ऑपरेशन, और आंतरिक सुरक्षा रणनीतियों की दोबारा समीक्षा की जाए।
निष्कर्ष:
बीजापुर की यह दोहरी हत्या न केवल नक्सलियों की कायरता को दर्शाती है बल्कि यह भी बताती है कि आत्मसमर्पण करने वाले नक्सलियों और आम ग्रामीणों की सुरक्षा को लेकर और अधिक गंभीरता बरतने की जरूरत है। अमित शाह के दौरे से पहले हुई यह घटना सरकार और सुरक्षा एजेंसियों के लिए चुनौतीपूर्ण संकेत है।