
Muzaffarnagar Controversy Muslim Identification
Muzaffarnagar Controversy Muslim Identification –
Muzaffarnagar Controversy:
पिछले वर्ष 7 जुलाई 2024 को मुजफ्फरनगर पुलिस ने कांवड़ यात्रा को लेकर एक अहम आदेश जारी किया था, जिसमें 240 किलोमीटर के रूट पर सभी दुकानदारों को अपने नाम और मोबाइल नंबर दुकान के बाहर स्पष्ट रूप से लिखने का निर्देश दिया गया। यूपी सरकार ने 9 जुलाई को इस आदेश को पूरे राज्य में लागू किया।
इस बार 11 जुलाई से शुरू हो रही कांवड़ यात्रा के पहले कोई ऐसा आदेश न जारी किया गया है और न कोई सरकारी पाबंदी लागू है। इसके बावजूद कांवड़ रूट पर ढाबों, होटलों और दुकानों पर पहचान चेकिंग का अभियान चलाया जा रहा है – लेकिन न पुलिस, न प्रशासन, बल्कि स्वघोषित हिंदू धर्मगुरु यशवीर महाराज और उनके समर्थकों द्वारा।
28 जून की घटना: मुस्लिम कर्मचारी की ‘पैंट उतरवाकर’ जांच
28 जून को यशवीर महाराज अपने समर्थकों के साथ पंडित जी वैष्णो ढाबा पहुंचे। शक था कि मालिक मुस्लिम है और हिंदू नाम से ढाबा चला रहा है। जब कर्मचारी से आधार कार्ड मांगा गया और उसने मना किया, तो समर्थकों ने गाली-गलौज की। आरोप है कि ‘धर्म’ जानने के लिए उसकी पैंट तक उतरवा दी गई।
पुलिस की प्रतिक्रिया: कार्रवाई समर्थकों पर, यशवीर पर नहीं
हालांकि पुलिस ने इस अभियान को गैरकानूनी माना और 17 लोगों को नोटिस जारी किए, लेकिन स्वामी यशवीर पर कोई कार्रवाई नहीं हुई। सवाल उठ रहा है:
क्या यशवीर महाराज अब कानून, सुप्रीम कोर्ट और राज्य सरकार से भी ऊपर हो गए हैं?
मुख्य सवाल जो उठते हैं:
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क्या धार्मिक संगठन को ऐसे पहचान अभियान चलाने का अधिकार है?
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क्या ‘हिंदू’ नाम से मुस्लिम का व्यापार करना गैरकानूनी है?
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ऐसी घटनाएं साम्प्रदायिक तनाव नहीं बढ़ाएंगी?
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कांवड़ यात्रा से पहले ही माहौल इतना गरम है, यात्रा के समय क्या होगा?
अभियान की पृष्ठभूमि: 2023 में रखी गई थी नींव
मुजफ्फरनगर के पास बघरा गांव में योग साधना यशवीर आश्रम से इस अभियान की शुरुआत 2023 में हुई थी। यहां स्वामी यशवीर ने मुसलमानों द्वारा हिंदू नाम से ढाबे चलाने का विरोध किया। इस अभियान के बाद प्रशासन ने कई ढाबों पर कार्रवाई भी की थी।
मुस्लिम समुदाय का डर और नुकसान
मोहम्मद यूसुफ, जो हिंदू पार्टनर के साथ होटल चलाते हैं, कहते हैं कि 2024 में नामपट्टियों के आदेश के बाद से मुसलमानों को नौकरी से निकाल दिया गया, और डर के चलते होटल-ढाबे बंद हो गए या स्टाफ हटा दिया गया।
मुजफ्फरनगर की मुस्लिम आबादी 41% है, जिसमें 80% गरीब तबके से हैं। इनकी आजीविका अब खतरे में है।
यशवीर महाराज की सफाई और विचारधारा
आरोप: यशवीर की टीम ढाबों में गोमांस मिलाने और थूकने जैसी बातों का आरोप लगाती है।
दावा: ये लोग सनातन धर्म को बचाने के लिए काम कर रहे हैं।
28 जून की घटना पर सफाई: किसी की पैंट नहीं उतरवाई गई, कर्मचारी ‘गोपाल’ नहीं ‘तजम्मुल’ था।
1 लाख समर्थकों का नेटवर्क, 30 हिंदू संगठनों का समर्थन
यशवीर महाराज का नेटवर्क अब मेरठ, शामली, मुरादाबाद, गाजियाबाद तक फैल चुका है।
30 हिंदू संगठन, जिनमें VHP, शिवसेना, अखिल भारतीय हिंदू सुरक्षा संगठन जैसे नाम शामिल हैं, इस अभियान को समर्थन दे रहे हैं।
नेटवर्किंग माध्यम:
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वॉट्सएप ग्रुप
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ग्राउंड इंटेलिजेंस
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हिंदू संघर्ष समिति जैसी यूनिटें
होटल मालिकों और कर्मचारियों की पीड़ा

पंडित जी वैष्णो ढाबा विवाद के बाद 3 दिन बंद रहा, लोकल कस्टमर आने बंद हो गए।
नया मैनेजर सुनील शर्मा कहते हैं, ‘मुस्लिम स्टाफ को हटाना पड़ा, होटल चौपट हो गया।’
कांवड़ियों की चिंताएं
कांवड़ यात्रा पर निकले श्रद्धालु कहते हैं कि खाने में थूक या अशुद्धता का डर उन्हें सताता है।
‘हम सिर्फ हिंदू ढाबों पर खाना खाते हैं।’
‘लहसुन-प्याज रहित खाना ही खाते हैं।’
‘गलती से जूठा खा लिया तो यात्रा अधूरी मानी जाती है।’
सुप्रीम कोर्ट वकील का पक्ष
एडवोकेट शाश्वत आनंद के अनुसार:
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कोई भी नागरिक अपने व्यवसाय को किसी भी नाम से चला सकता है।
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धार्मिक पहचान के आधार पर कार्रवाई संविधान के अनुच्छेद 15 और 19 का उल्लंघन है।
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हां, यदि नाम का उपयोग धोखाधड़ी या धार्मिक भावना को ठेस पहुंचाने के लिए किया गया हो, तब धारा 415 और 295A के तहत केस बन सकता है।
पुलिस और प्रशासन का बयान

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नई मंडी थाना ने 17 लोगों को नोटिस जारी किए।
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यशवीर महाराज को कोई नोटिस नहीं भेजा गया।
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प्रशासन ने कहा, ढाबे के स्टाफ की वेरिफिकेशन के बाद ही नियुक्ति करें और अवैध चेकिंग की सूचना तुरंत पुलिस को दें।
ADG मेरठ ज़ोन का बयान
ADG भानु भास्कर ने साफ कहा:
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कोई भी व्यक्ति पब्लिक प्लेस पर पहचान पूछने का अधिकार नहीं रखता।
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सुप्रीम कोर्ट ने 2024 में ही स्पष्ट कर दिया था कि दुकानदारों को पहचान उजागर करने की जरूरत नहीं।
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होटल यह बता सकते हैं कि वे शाकाहारी हैं या मांसाहारी, लेकिन नाम या धर्म के लिए मजबूर नहीं किया जा सकता।
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