
Mamata Banerjee Protest March
Mamata Banerjee Protest March -पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने बुधवार को भाजपा शासित राज्यों में बंगाली भाषी नागरिकों के साथ हो रहे कथित भेदभाव के विरोध में कोलकाता की सड़कों पर पैदल मार्च निकाला। उन्होंने केंद्र सरकार और भाजपा पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि बंगालियों को विदेशी और घुसपैठिया बताकर प्रताड़ित किया जा रहा है।
ममता ने कहा, “भाजपा का रवैया बंगालियों के प्रति शर्मनाक है। मुझे इस पर गहरी निराशा है। अब मैंने तय किया है कि मैं ज्यादा से ज्यादा बांग्ला में बात करूंगी। अगर मुझे इसके लिए डिटेंशन सेंटर में भेजना है, तो भेजिए।”
यह रैली कॉलेज स्क्वायर से धर्मतला के दोरीना क्रॉसिंग तक आयोजित हुई, जिसमें पार्टी के वरिष्ठ नेता अभिषेक बनर्जी समेत कई बड़े चेहरे शामिल हुए। इसके अलावा, टीएमसी ने राज्य के विभिन्न जिलों में भी इसी मुद्दे पर विरोध प्रदर्शन किया।
🔶 ममता का सीधा हमला:

सीएम ममता ने कहा, “अगर आप (BJP) यह साबित कर सकते हैं कि बंगाली भाषी प्रवासी लोग रोहिंग्या मुसलमान हैं, तो करिए। बंगाल के करीब 22 लाख प्रवासी श्रमिक देश के अन्य राज्यों में काम कर रहे हैं और उनके पास सभी वैध दस्तावेज हैं। उन्हें घुसपैठिया बताना शर्मनाक है।”
उन्होंने आगे कहा, “दूसरे राज्यों में बैठकर बंगाल के वोटर लिस्ट से नाम हटाया जा रहा है। महाराष्ट्र में यही रणनीति अपनाई गई और अब बिहार में भी यही हो रहा है। यह चुनाव आयोग की निष्पक्षता पर सवाल खड़े करता है। ऐसा लगता है मानो आयोग भाजपा की कठपुतली बन गया है।”
🔶 सुवेंदु अधिकारी का पलटवार:
ममता की इस रैली पर भाजपा नेता सुवेंदु अधिकारी ने तीखा हमला बोला। उन्होंने कहा, “ममता बनर्जी की ‘बंगाली अस्मिता’ की बातें सिर्फ अवैध घुसपैठियों को बचाने की कोशिश हैं। जब हजारों बंगाली शिक्षक भ्रष्टाचार के कारण नौकरी से निकाले गए, तब ममता कहां थीं?”
उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि ममता सरकार स्वयं बंगाली अफसरों की उपेक्षा करती है। अधिकारी ने पूछा कि अत्री भट्टाचार्य और सुब्रत गुप्ता जैसे वरिष्ठ अफसरों को मुख्य सचिव क्यों नहीं बनाया गया? और बंगाली आईपीएस संजय मुखोपाध्याय को डीजीपी पद से क्यों वंचित किया गया?
🔶 ममता का आरोप: NRC को लागू करने की कोशिश

टीएमसी की यह रैली उस वक्त हुई है जब हाल ही में ओडिशा में अवैध बांग्लादेशियों की गिरफ्तारी, दिल्ली में बांग्लादेशियों के खिलाफ अभियान और असम में एक बंगाली किसान को फॉरनर्स ट्रिब्यूनल का नोटिस भेजे जाने की घटनाएं सामने आई हैं।
ममता बनर्जी ने आशंका जताई कि यह सब NRC (नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटिजंस) को चुपचाप लागू करने की रणनीति है। उन्होंने चुनाव आयोग पर भी सवाल उठाया कि मतदाता सूची में संशोधन कहीं इसी एजेंडे का हिस्सा तो नहीं है।
राजनीतिक विश्लेषकों के अनुसार, अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले टीएमसी फिर से भाषा, अस्मिता और बंगाली पहचान के मुद्दे को केंद्र में लाकर भाजपा के खिलाफ जनमत तैयार करने की रणनीति अपना रही है।
✅ निष्कर्ष:
ममता बनर्जी का विरोध मार्च जहां भाजपा शासित राज्यों में बांग्ला भाषियों की स्थिति को उजागर करने का प्रयास था, वहीं भाजपा इसे ममता की राजनीतिक रणनीति और अवैध घुसपैठियों के संरक्षण की कोशिश बता रही है। आने वाले दिनों में यह मुद्दा बंगाल की राजनीति का अहम हिस्सा बनने वाला है।
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