Ladakh Protest News | Sonam Wangchuk NGO | Leh Violence: धारा 370 हटने के बाद अलग केंद्र शासित प्रदेश बना लद्दाख एक बार फिर सुर्खियों में है। लेह में 24 सितंबर को पूर्ण राज्य का दर्जा और 6वीं अनुसूची की मांग को लेकर हुआ प्रदर्शन हिंसक हो गया। इस घटना में 4 लोगों की मौत और 45 से अधिक लोग घायल हुए।
क्यों भड़का लद्दाख का आंदोलन?
5 अगस्त 2019 को जम्मू-कश्मीर से धारा 370 हटने के साथ लद्दाख को UT का दर्जा मिला।
शुरुआत में खुशी, लेकिन जल्द ही पूर्ण राज्य और 6वीं अनुसूची में शामिल करने की मांग तेज हो गई।
10 सितंबर से भूख हड़ताल और अनशन चल रहा था, 24 सितंबर को आंदोलन पहली बार हिंसक हो गया।
सोनम वांगचुक का आरोप
सोशल एक्टिविस्ट और आंदोलन का चेहरा सोनम वांगचुक ने कहा:
“पिछले 5 साल से शांति के रास्ते पर थे, लेकिन सरकार ने अनसुना किया। 24 सितंबर मेरी जिंदगी का सबसे दुखद दिन रहा। अगर सरकार अब भी नहीं सुनेगी तो बदकिस्मती से आगे भी ऐसी घटनाएं होंगी।”
उन्होंने यह भी कहा कि उन्हें “बलि का बकरा” बनाया जा रहा है। सरकार ने उनके NGO – SECMOL और HIAL की विदेशी फंडिंग से जुड़े लाइसेंस कैंसिल कर दिए हैं और CBI जांच कर रही है।
24 सितंबर को क्या हुआ?
भूख हड़ताल पर बैठे दो लोगों की तबीयत बिगड़ने से युवाओं में गुस्सा बढ़ा।
भीड़ काउंसिल दफ्तर की ओर बढ़ी, लेकिन पुलिस ने रोका।
झड़प के बाद हिंसा भड़क गई।
पुलिस ने आंसू गैस और कथित तौर पर फायरिंग की, जिसमें 4 लोगों की मौत हो गई।
मारे गए लोग
त्सेवांग थारचिन (46)
स्टानजिन नामग्याल (24)
जिगमेत दोरजय (25)
रिनचेन ददुल (21)
आंदोलन की अगुवाई कौन कर रहा?
लद्दाख एपेक्स बॉडी (LAB) और कर्जोक डेमोक्रेटिक अलायंस (KDA) मिलकर आंदोलन का नेतृत्व कर रहे हैं।
LAB–KDA ने संयुक्त समिति बनाकर सरकार से बातचीत की ज़िम्मेदारी ली है।
सोनम वांगचुक आंदोलन का चेहरा हैं, लेकिन औपचारिक नेतृत्व LAB–KDA के पास है।
सरकार की प्रतिक्रिया
25 सितंबर को गृह मंत्रालय के अधिकारी बातचीत के लिए लेह पहुंचे।
हाई पावर्ड कमेटी बनाकर वार्ता की जा रही है।
नौकरियों में आरक्षण पर आंशिक सहमति बनी है, लेकिन पूर्ण राज्य का दर्जा और 6वीं अनुसूची पर बातचीत अधर में है।
लेह में कर्फ्यू लगा दिया गया है और सुरक्षा बलों की भारी तैनाती की गई है।
CBI जांच और NGO विवाद
वांगचुक के NGO SECMOL और HIAL पर FCRA उल्लंघन का आरोप।
CBI उनकी संस्थाओं के खातों और रिकॉर्ड की जांच कर रही है।
सोनम का कहना है कि उनकी संस्थाएं विदेशी चंदे पर निर्भर नहीं हैं और बच्चों को मुफ्त शिक्षा देती हैं।
