लद्दाख (Leh Ladakh Violence) में बुधवार को हालात अचानक बिगड़ गए। पूर्ण राज्य का दर्जा (Full Statehood Demand) और संविधान की छठी अनुसूची (Sixth Schedule) में शामिल करने की मांग को लेकर पर्यावरणविद सोनम वांगचुक (Sonam Wangchuk) के समर्थन में छात्रों और युवाओं ने सड़क पर उतरकर जोरदार प्रदर्शन किया। देखते ही देखते आंदोलन हिंसक हो गया और लेह में भाजपा कार्यालय (BJP Office in Leh) समेत कई वाहनों को आग के हवाले कर दिया गया।
15 दिन से भूख हड़ताल पर सोनम वांगचुक
सोनम वांगचुक 10 सितंबर से अपनी 4 प्रमुख मांगों को लेकर भूख हड़ताल पर हैं। उनके नेतृत्व में एपेक्स बॉडी ऑफ लेह और कारगिल डेमोक्रेटिक अलायंस आंदोलन चला रहे हैं।
प्रमुख मांगें:
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लद्दाख को पूर्ण राज्य का दर्जा मिले
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संविधान की छठी अनुसूची में शामिल किया जाए
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दो लोकसभा सीटों की मांग
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लद्दाख की जनजातियों को आदिवासी दर्जा
लेह में क्यों भड़की हिंसा?
रिपोर्ट्स के अनुसार बुधवार को बड़ी संख्या में प्रदर्शनकारी लेह के NDS मेमोरियल ग्राउंड में इकट्ठा हुए। इसी दौरान माहौल बिगड़ा, प्रदर्शनकारियों ने पत्थरबाजी शुरू कर दी और बीजेपी दफ्तर में आग लगा दी। कई वाहनों व सार्वजनिक संपत्तियों में आगजनी हुई।
स्थिति को काबू में करने के लिए पुलिस को लाठीचार्ज और आंसू गैस का इस्तेमाल करना पड़ा। गृह मंत्रालय के अनुसार भीड़ ने पुलिस पर हमला किया, जिसके बाद आत्मरक्षा में गोली चलानी पड़ी। इस दौरान 4 लोगों की मौत और 70 से अधिक घायल होने की खबर है।
गृह मंत्रालय का बयान
गृह मंत्रालय ने लद्दाख हिंसा पर बयान जारी कर स्पष्ट किया कि केंद्र सरकार लगातार संवाद की प्रक्रिया में लगी थी. मंत्रालय ने बताया कि 10 सितंबर को सोनम वांगचुक ने भूख हड़ताल शुरू की, जबकि उनकी मांगें पहले से ही उच्चाधिकार प्राप्त समिति (HPC) की चर्चा का हिस्सा थीं. सरकार ने लद्दाख में अनुसूचित जनजाति का आरक्षण 45% से बढ़ाकर 84% किया, परिषदों में महिलाओं को 1/3 आरक्षण दिया और भोटी व पुर्गी भाषाओं को आधिकारिक मान्यता दी. साथ ही 1800 पदों पर भर्ती भी शुरू हुई.
मंत्रालय ने आरोप लगाया कि वांगचुक ने ‘अरब स्प्रिंग’ और ‘Gen Z’ आंदोलनों का हवाला देकर भीड़ को भड़काया. 24 सितंबर को लेह में हिंसक भीड़ ने राजनीतिक दल और सीईसी कार्यालय में आगजनी की, पुलिस वाहनों को जलाया और 30 से अधिक सुरक्षाकर्मी घायल हुए. स्थिति काबू से बाहर होने पर पुलिस को आत्मरक्षा में गोली चलानी पड़ी, जिसमें कुछ लोगों की मौत हुई.
मंत्रालय ने कहा कि शाम 4 बजे तक हालात नियंत्रित कर लिए गए. गृह मंत्रालय ने वांगचुक पर हिंसा के बीच अनशन तोड़कर गांव लौटने और स्थिति को शांत करने का प्रयास न करने का भी आरोप लगाया. केंद्र ने कहा कि वह लद्दाख की आकांक्षाओं और संवैधानिक अधिकारों के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है.
सोनम वांगचुक का रुख
ये हिंसा क्यों हुई, अब उसे समझते हैं. दरअसल, सोनम वांगचुक और उनके समर्थक 10 सितंबर से भूख हड़ताल पर बैठे थे लेकिन इस दौरान 23 सितंबर को इस भूख हड़ताल में दो प्रदर्शनकारी बेहोश हो गए, जिनमें एक बुज़ुर्ग महिला भी शामिल थी. इस घटना के बाद लेह एपेक्स बॉडी के प्रदर्शकारी आक्रोशित हो गए और उन्हें ये लगा कि अब भूख हड़ताल से बात नहीं बनेगी. और इसके बाद इस संगठन की युवा शाखा ने बुधवार को लेह में बंद का आह्वान किया और ये कहा गया कि सारे प्रदर्शनकारी लेह में बीजेपी के दफ्तर के बाहर एक विशाल जनसभा में शामिल होंगे.
लेकिन इसके बाद कारगिल डेमोक्रेटिक अलायंस के लोगों ने भी इस बंद को अपना समर्थन दे दिया और ये ऐलान किया कि पूरे लद्दाख में बंद रखा जाएगा. इस सबके बाद लेह में ये बंद हिंसक हो गया और इसमें अब तक 4 लोगों की मौत की पुष्टि हो चुकी है. हालांकि यहां सोनम वांगचुक को लेकर भी सवाल खड़े हो रहे हैं, जिन्होंने अब तक शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शनों की बात कही थी. और वो हर रोज अपनी भूख हड़ताल के नए नए वीडियो बनाकर सोशल मीडिया पर पोस्ट कर रहे थे. लेकिन आज हिंसा के वक्त सोनम वांगचुक का कोई बयान नहीं आया और अब वो ये कह रहे हैं कि ये हिंसा लद्दाख के Gen-Z युवाओं की भड़ास थी. उन्होंने हिंसा के बाद बयान जारी किया और अपना 15 दिन का उपवास तोड़ते हुए युवाओं से शांति बनाए रखने की अपील की.
राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप
बीजेपी आईटी सेल के हेड अमित मालवीय ने इस हिंसा को लेकर कांग्रेस पर गंभीर आरोप लगाए हैं. अमित मालवीय ने X पर अपने पोस्ट में इस हिंसा की कुछ तस्वीरें और वीडियो जारी किए और ये आरोप लगाया है कि इन तस्वीरों में ये जो शख्स दिख रहा है, वह लेह वार्ड का कांग्रेस पार्षद है. बीजेपी इन तस्वीरों को दिखाकर ये पूछ रही है कि क्या इसी हिंसा के लिए पिछले दिनों राहुल गांधी ने अपने एक पोस्ट में Gen-Z युवाओं का जिक्र किया था. इन आरोपों पर अब तक कांग्रेस की तरफ से कोई स्पष्टीकरण नहीं आया है.
3 लाख की आबादी वाले लद्दाख में लगभग 23 प्रतिशत युवा यानी 70 हज़ार युवा Gen Z हैं, जिनकी उम्र 13 से 28 साल है और अभी कहा जा रहा है कि इन्हीं Gen Z युवाओं ने ये हिंसक आंदोलन किया है.
लद्दाख का संवेदनशील पहलू
गौरतलब है कि साल 2019 में जब केन्द्र सरकार ने जम्मू कश्मीर से धारा 370 और अनुच्छेद 35-A को हटाया था, तब जम्मू कश्मीर और लद्दाख केन्द्र शासित प्रदेश बन गए थे. और इसी के बाद से लद्दाख को पूर्ण राज्य का दर्जा देने की मांग हो रही है. तभी से सोनम वांगचुक लद्दाख को छठी अनुसूचि में शामिल करने की मांग कर रहे हैं. लेकिन लद्दाख भारत के लिए काफी संवेदशील है और यहां 1 हजार 597 किलोमीटर लंबी LAC चीन से लगती है. और ऐसे में लद्दाख में इस तरह का कोई भी विरोध प्रदर्शन और हिंसा भारत के लिए सही नहीं है. ऐसे में अगर इस हिंसा के पीछे कोई साज़िश है और इन युवाओं को भड़काया या उकसाया गया है तो ये और भी बड़ा और गंभीर मामला हो जाता है.
