Kim jong un security -बीजिंग। उत्तर कोरिया के सुप्रीम लीडर किम जोंग उन बुधवार को चीन की राजधानी बीजिंग में रूसी राष्ट्रपति व्लादिमिर पुतिन से मिले। इस मुलाकात के बाद किम के बॉडीगार्ड्स ने उनका जूठा गिलास और कुर्सी-टेबल को अपने साथ ले लिया। उन्होंने यह भी सुनिश्चित किया कि वहां किम के फिंगरप्रिंट या DNA के कोई निशान न रह जाएं।
रूसी पत्रकार अलेक्जेंडर युनाशेव के मुताबिक, मीटिंग खत्म होते ही गार्ड्स ने पूरे टेबल और आसपास की चीजों को साफ किया। एक्सपर्ट्स का मानना है कि यह कदम रूस और चीन की जासूसी से बचने और किम की हेल्थ से जुड़ी जानकारी गुप्त रखने के लिए उठाया गया।
The staff accompanying the North Korean leader meticulously erased all traces of Kim's presence.
They took the glass he drank from, wiped down the chair's upholstery, and cleaned the parts of the furniture the Korean leader had touched. pic.twitter.com/JOXVxg04Ym
— Russian Market (@runews) September 3, 2025
क्यों उठाया जाता है ऐसा कदम?
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फिंगरप्रिंट का खतरा: किसी नेता के फिंगरप्रिंट से उनके सीक्रेट डाटा, फोन, लैपटॉप और ठिकानों तक पहुंच संभव है।
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DNA से हेल्थ रिपोर्ट लीक: मल-मूत्र या DNA से किसी भी इंसान की बीमारियां और हेल्थ रिपोर्ट पता की जा सकती हैं।
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राजनीतिक असर: अगर विरोधी देश ये जानकारी लीक कर दें कि कोई राष्ट्रपति बीमार या कमजोर है, तो उसकी छवि और जनता का भरोसा डगमगा सकता है।
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यही वजह है कि कई देशों की सिक्योरिटी एजेंसियां अपने नेताओं की विदेश यात्राओं पर उनके फिंगरप्रिंट साफ करती हैं और मल-मूत्र तक साथ ले जाती हैं।
कोरोना के बाद पहली बार चीन दौरे पर किम
यह किम का कोविड-19 महामारी के बाद पहला चीन दौरा था। उन्होंने पुतिन के साथ विक्ट्री डे परेड में हिस्सा लिया। मुलाकात के दौरान किम ने कहा—
“अगर मैं रूस के लिए कुछ कर सकता हूं, तो मुझे खुशी होगी।”
वहीं पुतिन ने उत्तर कोरिया को यूक्रेन में सैनिक भेजने के लिए धन्यवाद दिया।

पुतिन भी मल-मूत्र ले जाते हैं साथ
डेली मेल और पेरिस मैच की रिपोर्ट्स के मुताबिक, सिर्फ किम ही नहीं बल्कि पुतिन की टीम भी विदेश दौरे पर उनका मल-मूत्र इकट्ठा करती है।
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पिछले महीने अलास्का में ट्रम्प-पुतिन मीटिंग के दौरान गार्ड्स एक खास “पूप सूटकेस” लेकर आए थे।
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फ्रांस और वियना यात्राओं में भी यही सुरक्षा प्रोटोकॉल अपनाया गया था।
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क्रेमलिन ने हमेशा इन रिपोर्ट्स को अफवाह बताया है, लेकिन सिक्योरिटी एक्सपर्ट्स इसे आम प्रैक्टिस मानते हैं।

