
Israel Iran War: तेल अवीव की सड़कों पर सन्नाटा, सायरन और धमाकों के बीच लोग बंकर में कैद
इजराइल के तेल अवीव शहर में 21 जून की शाम 6 बजे एक बार फिर युद्ध का खौफनाक चेहरा सामने आया। बीच पर सैर कर रहे लोग अचानक बजते सायरन के साथ भागते नजर आए। तीन मिनट बाद ज़ोरदार धमाका हुआ। यह मिसाइल तेल अवीव के पास गिर चुकी थी। बीते 6 दिनों से इजराइल के नागरिक बम शेल्टर और मोबाइल अलर्ट के भरोसे अपनी जान बचा रहे हैं।
‘हर तरफ बूम-बूम-बूम…’ इजराइल की जमीनी हकीकत
इजराइल के अधिकांश हिस्सों में स्कूल, कॉलेज, दफ्तर बंद हैं, और हर कोई बंकर या सेफ हाउस में रहने को मजबूर है। एक स्थानीय महिला इफरात तबारी कहती हैं— “बूम…बूम…बूम… हर वक्त, हर जगह सिर्फ धमाके ही सुनाई देते हैं।”
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जॉर्डन होते हुए इजराइल पहुंचे पत्रकार, हर रास्ता खतरनाक
13 जून से शुरू हुई इस जंग में इजराइल ने पहले हमला किया। भारत से रिपोर्टिंग टीम ने दिल्ली से कुवैत, फिर जॉर्डन होते हुए यरुशलम और फिर 4500 किलोमीटर का सफर तय कर तेल अवीव में प्रवेश किया। जॉर्डन में भी डर का माहौल है। टैक्सी ड्राइवर मोहम्मद ने बताया—”हर सुबह-शाम मिसाइलें आसमान में उड़ती नजर आती हैं, और हम छिपने के लिए सुरक्षित जगह ढूंढते हैं।”
बम शेल्टर में छुपते लोग, अलर्ट के 3 मिनट बाद धमाका
तेल अवीव में रिपोर्टिंग टीम को पहला मिसाइल अटैक होटल में रुकते ही देखने को मिला। फोन पर मिसाइल अलर्ट, फिर पूरे शहर में सायरन, और फिर एक भीषण धमाका। होटल के नीचे बने बंकर में सभी लोग करीब 15 मिनट तक छुपे रहे।
तेल अवीव के बच्चे बोले— ‘ईरान बहुत बुरा है, हम फुटबॉल खेलना चाहते थे’
13 वर्षीय छात्र ओरेन कहते हैं—”मेरा स्कूल बंद है। अगर ये युद्ध नहीं होता, तो मैं इस वक्त बाहर दोस्तों के साथ फुटबॉल खेल रहा होता। अब हम बस बंकर में बैठे रहते हैं।”
इजराइल की एयरस्ट्राइक के जवाब में ईरान ने दागी हाइपरसोनिक मिसाइलें
इजराइल ने 13 जून को ऑपरेशन राइजिंग लायन की शुरुआत की, जिसमें ईरान के परमाणु ठिकानों पर हमला किया गया। इसके जवाब में ईरान ने फतह हाइपरसोनिक और सेजिल बैलिस्टिक मिसाइलें दागीं। इनमें से एक की रेंज 2000 किलोमीटर है और वह महज़ 7 मिनट में इजराइल को निशाना बना सकती है।
भारत का ऑपरेशन सिंधु शुरू, स्टूडेंट्स की वापसी
भारत सरकार ने “ऑपरेशन सिंधु” के तहत ईरान और इजराइल में फंसे नागरिकों को निकालना शुरू कर दिया है। पहले बैच में 110 स्टूडेंट ईरान से सुरक्षित निकाले गए हैं। वहीं इजराइल में करीब 85,000 भारतीय मूल के यहूदी और 32,000 भारतीय स्टूडेंट/वर्कर्स मौजूद हैं।
हर घर के नीचे बंकर, हर सड़क पर डर
तेल अवीव में रहने वाले खाइम कहते हैं—”हमेशा लगता है अगली मिसाइल हमारे घर पर न गिर जाए। मेरे घर से चंद मीटर दूर ईरानी मिसाइल गिरी। अब बंकर ही हमारी सुरक्षा है।”
निष्कर्ष
ईरान-इजराइल युद्ध अब एक फुल-स्केल मिडिल ईस्ट क्राइसिस बन चुका है, जिसमें केवल दो देश नहीं, बल्कि पूरा क्षेत्र और उसमें मौजूद नागरिक प्रभावित हो रहे हैं। सवाल अब यह नहीं कि कौन जीतेगा, बल्कि यह है कि कब तक निर्दोष लोगों की जानें जाती रहेंगी?
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