
Indus Waters Treaty एक जल बंटवारा संधि है जिसे भारत और पाकिस्तान के बीच 1960 में कराची में हस्ताक्षरित किया गया था। हाल ही में हुए पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत सरकार ने इस समझौते को निलंबित कर दिया है, जिसे ‘वॉटर स्ट्राइक’ कहा जा रहा है। आइए जानते हैं इस संधि की पृष्ठभूमि, इसके प्रावधान और पाकिस्तान पर इसके प्रभाव के बारे में।
What is Indus Water Treaty:
19 सितंबर 1960 को भारत और पाकिस्तान के बीच जल बंटवारे को लेकर एक समझौता हुआ था। यह समझौता विश्व बैंक की मध्यस्थता में कराची में हस्ताक्षरित किया गया था। इसे सिंधु जल समझौता कहा जाता है। इस संधि में सिंधु नदी और उसकी सहायक नदियों — झेलम, चिनाब, रावी, ब्यास और सतलुज — के जल उपयोग और नियंत्रण को लेकर निर्णय लिया गया था। अब पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत सरकार ने इस समझौते को निलंबित कर दिया है। आइए इसके बारे में विस्तार से जानते हैं।
22 अप्रैल 2025 को पहलगाम में हुए आतंकी हमले में 26 लोगों की मौत के बाद भारत सरकार ने सख्त कदम उठाए। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट बैठक में पाकिस्तान के खिलाफ कई अहम फैसले लिए गए, जिनमें सिंधु जल समझौते को निलंबित करना भी शामिल था। सरकार ने यह संदेश दिया कि “खून और पानी एक साथ नहीं बह सकते।” सिंधु नदी को पाकिस्तान की जीवनरेखा माना जाता है।
सिंधु जल समझौता (IWT) क्या है?
19 सितंबर 1960 को भारत और पाकिस्तान के बीच हुए इस समझौते में दोनों देशों ने सिंधु नदी प्रणाली के जल उपयोग को लेकर समझौता किया था। यह समझौता विश्व बैंक की मध्यस्थता से संभव हुआ। इस पर भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू और पाकिस्तान के राष्ट्रपति मोहम्मद अयूब खान ने हस्ताक्षर किए थे।
पानी का बंटवारा कैसे हुआ?
समझौते के अनुसार सिंधु, झेलम और चिनाब नदियों के जल का अधिकांश भाग (लगभग 80%) पाकिस्तान को दिया गया। भारत इन नदियों पर परियोजनाएं बना सकता है, लेकिन जल के प्रवाह को नहीं रोक सकता। वहीं रावी, ब्यास और सतलुज का जल उपयोग भारत को सौंपा गया।
विश्व बैंक की भूमिका
इस समझौते में विश्व बैंक ने मध्यस्थ की भूमिका निभाई। यह समझौता भारत-पाकिस्तान युद्धों के दौरान (1965, 1971, 1999) भी प्रभावी रहा।
भारत की ओर से सुधार की मांग
जनवरी 2023 और सितंबर 2024 में भारत ने पाकिस्तान को नोटिस भेजकर सिंधु जल समझौते में संशोधन की मांग की थी। भारत का कहना था कि यह समझौता अब अप्रासंगिक हो चुका है और नए स्तर पर पुनर्विचार की आवश्यकता है।
भारत का हालिया कदम
22 अप्रैल 2025 को हुए हमले के बाद भारत ने सिंधु जल समझौते को निलंबित कर दिया। विदेश सचिव विक्रम मिस्त्री ने बताया कि यह निलंबन तब तक लागू रहेगा जब तक पाकिस्तान सीमा पार आतंकवाद को पूरी तरह और विश्वसनीय रूप से रोकने का भरोसा नहीं देता।
भारत सरकार ने इस हमले के बाद न केवल सिंधु जल समझौते को रोका, बल्कि अटारी-वाघा बॉर्डर चेकपोस्ट को बंद कर दिया और पाकिस्तान के नागरिकों को 48 घंटे के भीतर भारत छोड़ने का आदेश दिया। साथ ही पाकिस्तान उच्चायोग के सैन्य सलाहकारों को निष्कासित करने का भी निर्णय लिया गया।
पाकिस्तान पर असर
भारत के इस कदम से पाकिस्तान को मिलने वाले लगभग 39 अरब क्यूबिक मीटर जल की आपूर्ति रुक सकती है, जिससे वहां जल संकट की स्थिति बन सकती है। पाकिस्तान की कृषि भूमि और पेयजल आपूर्ति सिंधु नदी प्रणाली पर निर्भर है। इसके अलावा उद्योग और जल विद्युत परियोजनाएं भी प्रभावित हो सकती हैं।
पाकिस्तान की प्रतिक्रिया
भारत के इस फैसले पर पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि 24 अप्रैल 2025 को प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ की अध्यक्षता में नेशनल सिक्योरिटी कमेटी की बैठक होगी, जिसमें जवाबी कदमों पर चर्चा की जाएगी।