India Russia Oil Energy Deal: ट्रंप की टैरिफ वाली धमकी के बीच भारत-रूस ने कर ली बड़ी डील! तेल, ऊर्जा संसाधनों की सप्लाई पर बड़ा खेल
अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की टैरिफ धमकी के बीच भारत और रूस ने तेल व ऊर्जा संसाधनों की आपूर्ति को लेकर बड़ी साझेदारी की है. रूस के प्रथम उप प्रधानमंत्री डेनिस मंटुरोव ने बुधवार (21 अगस्त 2025) को कहा कि रूस से भारत को तेल और ऊर्जा आपूर्ति बिना किसी रुकावट के जारी रहेगी. उन्होंने यह भी संकेत दिया कि रूस भविष्य में भारत को LNG (Liquified Natural Gas) निर्यात करने की संभावनाओं को देख रहा है.
यह बयान ऐसे समय में आया है जब अमेरिका ने भारत पर रूस से तेल खरीदने को लेकर 25% टैरिफ लगाने का ऐलान किया है. इसके बावजूद भारत और रूस ने स्पष्ट कर दिया है कि उनकी साझेदारी किसी बाहरी दबाव से प्रभावित नहीं होगी.
जयशंकर और मंटुरोव की अहम बैठक
व्यापार, आर्थिक, वैज्ञानिक-तकनीकी और सांस्कृतिक सहयोग पर भारत-रूस अंतर-सरकारी आयोग (IRIGC-TEC) के 26वें सत्र की सह-अध्यक्षता भारतीय विदेश मंत्री एस. जयशंकर और रूस के उप प्रधानमंत्री डेनिस मंटुरोव ने की.
मंटुरोव ने कहा,
“हम कच्चे तेल और तेल उत्पादों, तापीय ऊर्जा और कोयले सहित ईंधन का निर्यात जारी रखे हुए हैं. इसके साथ ही हम भारतीय बाजार में रूसी LNG के निर्यात की संभावना भी तलाश रहे हैं.”
उन्होंने यह भी जोड़ा कि दोनों देश शांतिपूर्ण परमाणु ऊर्जा सहयोग को आगे बढ़ाने पर सहमत हैं, जिसमें कुडनकुलम परमाणु ऊर्जा संयंत्र का अनुभव महत्वपूर्ण आधार बनेगा.
भारत-रूस व्यापार और ऊर्जा साझेदारी मजबूत
मंटुरोव ने बताया कि मौजूदा परिस्थितियों में सबसे अहम कार्य यह सुनिश्चित करना है कि दोनों देशों के बीच व्यापारिक लेन-देन निर्बाध रूप से हो.
उन्होंने कहा कि रूस और भारत पहले ही 90% से अधिक भुगतान राष्ट्रीय मुद्राओं (रूबल और रुपया) में करने में सफल हो चुके हैं.
बैठक के बाद जयशंकर ने सोशल मीडिया पर लिखा,
“हमने व्यापार और आर्थिक क्षेत्र, कृषि, ऊर्जा, उद्योग, कौशल विकास, गतिशीलता, शिक्षा और संस्कृति सहित कई अहम मुद्दों पर विस्तृत चर्चा की.”
उन्होंने विश्वास जताया कि IRIGC-TEC की यह बैठक भारत-रूस की समय-परीक्षित साझेदारी को और मजबूत बनाएगी, खासकर तब जब दोनों देश आगामी वार्षिक शिखर सम्मेलन की तैयारी कर रहे हैं.
समझौतों पर हस्ताक्षर
बैठक के अंत में जयशंकर और मंटुरोव ने IRIGC-TEC सत्रों के प्रोटोकॉल पर हस्ताक्षर किए. इसके विस्तृत विवरण भारत और रूस की सरकारें आगे जारी करेंगी.
भारत-रूस की यह नई डील साफ संकेत देती है कि ऊर्जा सुरक्षा और व्यापारिक सहयोग के मोर्चे पर दोनों देश किसी भी बाहरी दबाव से पीछे हटने वाले नहीं हैं.

