
भारत ने ट्रंप की मध्यस्थता के दावे को नकारा, विदेश मंत्रालय ने साफ कहा – कश्मीर पर कोई तीसरा पक्ष नहीं स्वीकार्य
भारत-पाकिस्तान के बीच संघर्ष विराम को लेकर विदेश मंत्रालय ने प्रेस कॉन्फ्रेंस आयोजित की, जिसमें अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की मध्यस्थता को लेकर स्थिति स्पष्ट की गई। मंत्रालय ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि कश्मीर एक द्विपक्षीय मुद्दा है और इसमें किसी तीसरे पक्ष की भूमिका स्वीकार नहीं की जा सकती। मंत्रालय ने यह भी कहा कि पाकिस्तान को अवैध रूप से कब्जाए गए पीओके को खाली करना ही पड़ेगा।
मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा कि ऑपरेशन सिंदूर के आरंभ से लेकर 10 मई को संघर्ष विराम पर बनी सहमति तक, भारत और अमेरिका के नेताओं के बीच केवल सैन्य स्थिति पर बातचीत हुई, व्यापार से जुड़ी कोई चर्चा नहीं हुई। ट्रंप के व्यापार वार्ता के दावे को स्पष्ट रूप से खारिज किया गया।
रणधीर जायसवाल ने दोहराया कि भारत का यह दीर्घकालिक और स्पष्ट रुख रहा है कि जम्मू-कश्मीर से जुड़ी सभी समस्याएं केवल भारत और पाकिस्तान के बीच आपसी वार्ता से सुलझेंगी। भारत की नीति में कोई बदलाव नहीं आया है, और पाकिस्तान को उसके कब्जे वाले भारतीय क्षेत्र को खाली करना होगा।
उन्होंने बताया कि 10 मई को दोपहर 3:35 बजे भारत और पाकिस्तान के डीजीएमओ के बीच संघर्ष विराम पर चर्चा हुई। यह बातचीत पाकिस्तान की तकनीकी समस्याओं के कारण थोड़ी देर से शुरू हुई, लेकिन विदेश मंत्रालय को पाकिस्तान उच्चायोग के माध्यम से पहले ही इसकी जानकारी दे दी गई थी।
मंत्रालय के मुताबिक 10 मई की सुबह भारतीय सेना ने पाकिस्तान के कुछ एयरबेस को निशाना बनाकर निष्क्रिय कर दिया था। इसके बाद पाकिस्तान का रुख बदल गया और उसने गोलीबारी रोकने का फैसला लिया। विदेश मंत्रालय ने स्पष्ट किया कि भारतीय सेना ने पाकिस्तान को संघर्ष विराम पर मजबूर किया।
मंत्रालय ने यह भी बताया कि भारत ने 22 अप्रैल के आतंकी हमलों का जवाब आतंकवाद के ढांचे को निशाना बनाकर दिया था। जब पाकिस्तानी सेना ने जवाबी कार्रवाई की, तो भारतीय सेना ने भी पूरी ताकत से पलटवार किया।
सीसीएस (कैबिनेट कमेटी ऑन सिक्योरिटी) के निर्णय के अनुसार, सिंधु जल संधि को अस्थायी रूप से निलंबित कर दिया गया है। संधि का उद्देश्य दोस्ती और सद्भावना था, लेकिन पाकिस्तान ने आतंकवाद को बढ़ावा देकर इस भावना को तोड़ा है। अब यह स्पष्ट किया गया है कि जब तक पाकिस्तान अपने आतंकवाद समर्थन के रुख को पूरी तरह छोड़ नहीं देता, संधि को बहाल नहीं किया जाएगा।
मंत्रालय ने पाकिस्तान के उस बयान पर भी प्रतिक्रिया दी जिसमें उन्होंने भारत की सैन्य कार्रवाई को हल्के में लेने की कोशिश की थी। विदेश मंत्री डार के दावों पर टिप्पणी करते हुए जायसवाल ने कहा कि ऑपरेशन सिंदूर के तहत पाकिस्तान के बहावलपुर, मुरीदके और मुजफ्फराबाद जैसे आतंकी ठिकानों को ध्वस्त कर दिया गया है। भारतीय सेना ने पाकिस्तान की सैन्य क्षमताओं को गंभीर नुकसान पहुंचाया है।
उन्होंने यह भी कहा कि पाकिस्तान का यह पुराना चलन है कि हारने के बाद भी वह जीत का दावा करता है। 1971, 1975 और 1999 के युद्धों में भी यही रवैया देखने को मिला था। लेकिन सैटेलाइट इमेज और जमीनी हकीकत साफ बता रही है कि पाकिस्तान को मुंह की खानी पड़ी है।
परमाणु युद्ध की अटकलों पर जवाब देते हुए विदेश मंत्रालय ने कहा कि भारत की सारी सैन्य कार्रवाई पारंपरिक दायरे में रही है। पाकिस्तान की नेशनल कमांड अथॉरिटी की बैठक की चर्चा जरूर हुई थी, लेकिन बाद में खुद पाकिस्तानी विदेश मंत्री ने इसका खंडन कर दिया। भारत ने साफ कहा है कि वह किसी भी परमाणु ब्लैकमेलिंग के आगे नहीं झुकेगा और आतंकवाद को किसी भी रूप में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
पहलगाम हमले के पीछे सक्रिय आतंकी संगठन टीआरएफ (The Resistance Front) पर प्रतिबंध लगाने के लिए भारत संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की 1267 प्रतिबंध समिति से संपर्क कर रहा है। विदेश मंत्रालय ने स्पष्ट किया कि टीआरएफ, लश्कर-ए-तैयबा का ही मुखौटा है और इसके खिलाफ पर्याप्त सबूत मौजूद हैं। भारत लगातार इस संगठन को वैश्विक आतंकी सूची में शामिल करने की दिशा में काम कर रहा है।
भारत ने यह भी स्पष्ट किया कि पहलगाम हमले में भारतीय नागरिकों को निशाना बनाया गया और इसका संबंध सीमापार आतंकवाद से है। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने भी इस आतंकी घटना की निंदा की और अपराधियों को न्याय के कटघरे में लाने की मांग की है।
भारत ने रूस और यूक्रेन के बीच प्रत्यक्ष वार्ता का स्वागत किया है और उम्मीद जताई है कि यह संवाद दोनों देशों को शांति की ओर ले जाएगा। साथ ही बांग्लादेश में अवामी लीग पर प्रतिबंध को लेकर भारत ने चिंता जताई है। मंत्रालय ने कहा कि लोकतांत्रिक मूल्यों में कटौती और राजनीतिक स्पेस का संकुचन चिंताजनक है।
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Source -Amar Ujala
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