India lost 4th home test match-
भारतीय टीम रविवार को कोलकाता टेस्ट 30 रन से हार गई और साउथ अफ्रीका के खिलाफ 2 मैचों की सीरीज में 0-1 से पिछड़ गई।
ईडन गार्डन्स में 124 रन के लक्ष्य का पीछा करते हुए टीम इंडिया सिर्फ 93 रन पर ऑल-आउट हो गई। यह पिछले एक साल में भारत की घरेलू मैदान पर चौथी टेस्ट हार है।
हार के बाद विशेषज्ञों ने पिच को जिम्मेदार ठहराया, तो कुछ ने बल्लेबाजी पर सवाल उठाए। लेकिन बड़ा सवाल यह है कि क्या भारतीय बल्लेबाज स्पिनर्स के खिलाफ संघर्ष करने लगे हैं?
गौतम गंभीर बोले – “पिच ठीक थी, बल्लेबाजी खराब रही”
भारत के हेड कोच गौतम गंभीर ने कहा,
“पिच इतनी खराब नहीं थी कि बल्लेबाजी न हो सके। यह वही पिच थी, जैसी हम चाहते थे। हमारे बल्लेबाजों को स्पिन के खिलाफ स्किल और मानसिक मजबूती पर और काम करना होगा।”
गंभीर सही भी हैं, क्योंकि कोलकाता टेस्ट में भारत के 60% विकेट स्पिनर्स ने लिए।
टीम इंडिया के 20 में से 12 खिलाड़ी स्पिन गेंदबाजों के खिलाफ आउट हुए।
क्या भारत स्पिन के खिलाफ कमजोर हो रहा है?
आंकड़े यही बता रहे हैं।
पिछले एक साल में भारतीय पिचों पर खेले गए 6 टेस्ट मैचों में टीम इंडिया के 87 विकेट गिरे, जिनमें से:
60 विकेट स्पिनर्स ने लिए (69%)
27 विकेट पेसर्स ने लिए (31%)
यानी घरेलू पिचें स्पिनरों के लिए अनुकूल होने के बावजूद भारतीय बल्लेबाज उन्हीं में संघर्ष कर रहे हैं।
सरफराज, पाटीदार जैसे घरेलू स्टार्स को नजरअंदाज क्यों?
स्पिन खेलने की क्षमता घटने के दो बड़े कारण विशेषज्ञ बता रहे हैं:
1️⃣ एक ही सेट प्लेयर्स को लगातार मौके
सरफराज खान, रजत पाटीदार और श्रेयस अय्यर जैसे रेड-बॉल स्पेशलिस्ट घरेलू क्रिकेट में लगातार रन बना रहे हैं,
लेकिन टेस्ट टीम में उनके लिए दरवाजे लगभग बंद हैं।
2️⃣ टेस्ट स्टार खिलाड़ी घरेलू क्रिकेट से दूर
सचिन तेंदुलकर, राहुल द्रविड़ और लक्ष्मण जैसे दिग्गज नियमित रूप से रणजी खेलते थे।
आज के शीर्ष भारतीय बल्लेबाज घरेलू क्रिकेट कम खेलते हैं, जिससे:
स्पिन खेलने की क्षमता घट रही
घरेलू पिचों का अनुभव कम हो रहा
रेड-बॉल तकनीक कमजोर हो रही है
सरफराज और पाटीदार को पिछली होम सीरीज में मौका मिला, लेकिन 2–4 मैच की खराबी में ही बाहर कर दिया गया।
इसके उलट कुछ खिलाड़ियों को लगातार बैक-अप मिलता रहा।
25 साल में क्या बदला?
2000 से पहले स्पिन खेलना भारत की सबसे बड़ी ताकत थी।
अजहरुद्दीन, द्रविड़, लक्ष्मण, सचिन — सभी स्पिन पर महारथी थे।
लेकिन BCCI ने विदेशी दौरों में जीतने के लिए तेज़ पिचों पर खेलने की आदत डलवाई।
नतीजा:
✔ ऑस्ट्रेलिया में 2018 और 2021 में ऐतिहासिक जीत
✘ भारत में स्पिन खेलने की पारंपरिक ताकत कमजोर
पिछले साल न्यूजीलैंड ने भारत को 3-0 से क्लीन स्वीप किया।
यह 24 साल बाद किसी टीम का भारत में पहला क्लीन स्वीप था — इससे पहले 2000 में साउथ अफ्रीका ने भारत को 2-0 से हराया था।
अब फिर एक बार क्लीन स्वीप का खतरा मंडरा रहा है।
घरेलू पिच पर पार्ट टाइम स्पिनर्स तक परेशान कर रहे
न्यूजीलैंड के आखिरी दौरे में भारतीय बल्लेबाज अपने ही घर में पार्ट टाइम स्पिनर्स को नहीं खेल सके।
तभी से यह चर्चा तेज है कि भारतीय बल्लेबाजों की स्पिन के खिलाफ तकनीक कमज़ोर हो रही है।
हालाँकि वेस्टइंडीज के खिलाफ पिछली सीरीज में भारत ने 2-0 से जीत हासिल की थी, लेकिन वह टीम अपेक्षाकृत कमजोर मानी जाती है।
