Hire Act 2025: भारत की आईटी इंडस्ट्री के लिए नई चुनौती
अमेरिका में पेश किया गया Hire Act 2025 भारत की आईटी इंडस्ट्री के लिए बड़ी मुश्किलें खड़ी कर सकता है। अगर यह प्रस्तावित कानून 1 जनवरी 2026 से लागू होता है, तो अमेरिकी कंपनियों को विदेशी आउटसोर्सिंग सेवाओं पर 25% तक टैक्स देना होगा।
भारतीय आईटी इंडस्ट्री पर झटका
इंडस्ट्री एक्सपर्ट्स का कहना है कि इस टैक्स से अमेरिकी कंपनियों का बोझ 60% तक बढ़ सकता है। ऐसे में कंपनियों को अपने ग्लोबल आउटसोर्सिंग मॉडल पर फिर से विचार करना होगा। अगर उन्होंने ऐसा नहीं किया, तो उन्हें राज्य और स्थानीय करों के साथ-साथ उत्पाद शुल्क भी चुकाना पड़ेगा, जिससे लागत कई गुना बढ़ जाएगी।
अमेरिकी सीनेट में पेश हुआ प्रस्ताव
यह प्रस्ताव अमेरिकी रिपब्लिकन सीनेटर बर्नी मोरेनो (ओहायो) द्वारा पेश किया गया है। बिल का पूरा नाम Halting International Relocation of Employment (HIRE) Act है।
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प्रस्तावित कानून पास होने पर अमेरिकी कंपनियों को विदेशी श्रमिकों को रोजगार देने पर 25% टैक्स देना होगा।
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इस टैक्स से मिलने वाला राजस्व अमेरिका के मिडिल क्लास विकास कार्यक्रमों में खर्च किया जाएगा।
आउटसोर्सिंग की परिभाषा
इस अधिनियम में आउटसोर्सिंग को अमेरिकी कंपनियों या टैक्सपेयर्स द्वारा किसी विदेशी इकाई को दिए गए सेवा शुल्क, प्रीमियम, रॉयल्टी या अन्य भुगतान के रूप में परिभाषित किया गया है।
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यह टैक्स दरअसल एक तरह का उत्पाद शुल्क है, न कि कॉरपोरेट आयकर।
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असर केवल उन सेवाओं पर होगा जिन्हें अमेरिकी उपभोक्ता सीधे तौर पर इस्तेमाल करेंगे।
भारत पर सबसे ज्यादा असर
भारत की आईटी कंपनियां अमेरिका के सबसे बड़े बाजार पर निर्भर हैं। ऐसे में Hire Act 2025 लागू होने पर भारतीय सर्विस एक्सपोर्ट्स और आईटी सेक्टर पर गहरा प्रभाव पड़ सकता है। विशेषज्ञों के मुताबिक, यह कानून भारतीय कंपनियों के लिए काफी चुनौतीपूर्ण स्थिति पैदा करेगा।
