
कोरबा में नाबालिग से दुष्कर्म के मामले में हाईकोर्ट ने सख्त फैसला सुनाया
छत्तीसगढ़ के कोरबा में सात वर्षीय मासूम के साथ यौन हिंसा के मामले में हाईकोर्ट ने एक अहम निर्णय दिया है। कोर्ट ने कहा कि पीड़िता का बयान इस तरह के मामलों में सबसे महत्वपूर्ण सबूत होता है, जिसके आधार पर आरोपी को दोषी ठहराया जा सकता है। हाईकोर्ट ने आरोपी की अपील खारिज करते हुए उसे आजीवन कारावास की सजा बरकरार रखी। यह फैसला चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा और जस्टिस अरविंद कुमार वर्मा की डिवीजन बेंच ने सुनाया।
मामले की पृष्ठभूमि
16 मार्च, 2022 को पीड़िता की मां ने कोरबा के सिटी कोतवाली थाने में शिकायत दर्ज कराई थी। उन्होंने आरोप लगाया कि आरोपी ने उनकी बेटी को चॉकलेट देने के बहाने अपने साथ ले गया और फिर उसके साथ दुष्कर्म किया। इस दौरान उसने बच्ची को डरा-धमकाकर चुप रहने की हिदायत दी। घटना के बाद बच्ची ने घर पहुंचकर अपनी मां को सारी बात बताई, जिसके बाद पुलिस ने आरोपी रितेश उर्फ पप्पू मामा को गिरफ्तार कर लिया।
ट्रायल कोर्ट का फैसला और हाईकोर्ट की सुनवाई
ट्रायल कोर्ट ने पीड़िता के बयान और साक्ष्यों के आधार पर आरोपी को दोषी ठहराते हुए उसे उम्रकैद की सजा सुनाई थी। हालांकि, आरोपी ने हाईकोर्ट में अपील दायर कर दावा किया कि ट्रायल कोर्ट ने सबूतों का सही मूल्यांकन नहीं किया और उसकी उम्र की पुष्टि के लिए अस्थि परीक्षण (बोन ऑसिफिकेशन टेस्ट) भी नहीं कराया गया।
लेकिन शासन की ओर से दलील दी गई कि आरोपी ने एक जघन्य अपराध किया है और इसमें किसी तरह की रियायत नहीं दी जानी चाहिए। हाईकोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि पीड़िता के बयान पर कोई संदेह नहीं है और उसकी गवाही ही आरोपी को सजा दिलाने के लिए पर्याप्त है। इसलिए, अपील खारिज कर दी गई और ट्रायल कोर्ट का आदेश बरकरार रखा गया।
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Source -Dainik Bhaskar