
Anti Conversion Law
छत्तीसगढ़ शराब घोटाला- ढेबर को मिले 90 करोड़, 3200 करोड़ तक पहुंचा घोटाला
रायपुर |
छत्तीसगढ़ का बहुचर्चित शराब घोटाला अब 3200 करोड़ रुपए तक पहुंच गया है। इस घोटाले में सिंडिकेट प्रमुख कारोबारी अनवर ढेबर को 90 करोड़ से ज्यादा की रकम प्राप्त होने का खुलासा हुआ है। यह राशि उन्होंने रिश्तेदारों, चार्टर्ड अकाउंटेंट और कंपनियों के नाम से इन्वेस्ट की। यह जानकारी आर्थिक अपराध अनुसंधान शाखा (EOW) की चालान रिपोर्ट में सामने आई है।
अनवर ढेबर को कैसे मिली घोटाले की रकम?
EOW के अनुसार, डिस्टलरी से कमीशन और B पार्ट की नकली शराब बिक्री से प्राप्त रकम में से 15% हिस्सा अनवर ढेबर को जाता था। यह रकम विकास अग्रवाल और सुब्बू के माध्यम से वसूली जाती थी, जिन्हें शराब दुकानों से पैसे इकट्ठा करने की जिम्मेदारी दी गई थी।
घोटाले की संरचना: कैसे बना सिंडिकेट?
घोटाले की शुरुआत फरवरी 2019 में हुई, जब अनवर ढेबर ने होटल वेनिंगटन, रायपुर में प्रमुख डिस्टलरी मालिकों की मीटिंग बुलाई। इसमें नवीन केडिया, भूपेंद्र पाल सिंह भाटिया, राजेंद्र जायसवाल, हीरालाल जायसवाल, और अन्य लोग शामिल हुए। बैठक में यह तय किया गया कि प्रति पेटी कमीशन के बदले शराब की कीमतें बढ़ाई जाएंगी और तीन हिस्सों A, B और C में पूरा सिस्टम विभाजित किया जाएगा।
A. डिस्टलरी से कमीशन (Commission from Distillers)
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2019 में प्रति पेटी 75 रुपये और बाद में 100 रुपये कमीशन लिया गया।
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इस नुकसान की भरपाई के लिए शराब की दरें बढ़ाई गईं।
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ओवर बिलिंग के जरिये अतिरिक्त लाभ दिया गया।
B. नकली होलोग्राम के जरिए सरकारी दुकानों से शराब बिक्री
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नकली होलोग्राम वाली शराब को सरकारी दुकानों से बेचवाया गया।
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होलोग्राम, खाली बोतल और ट्रांसपोर्ट की जिम्मेदारी अरविंद सिंह और अमित सिंह को दी गई।
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MRP पहले 2880 रुपए और फिर 3840 रुपए प्रति पेटी कर दी गई।
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40 लाख पेटी शराब बेचे जाने का EOW को साक्ष्य मिला है।
C. सप्लाई जोन में हेराफेरी कर उगाही
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राज्य को 8 जोन में बांट कर प्रत्येक डिस्टलरी का क्षेत्र तय किया गया।
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जोन तय करने में हर साल कमीशन लिया गया।
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डिस्टलरी मालिकों से 52 करोड़ रुपए C-पार्ट के रूप में वसूले गए।
अब तक 13 गिरफ्तारियां
इस मामले में अब तक जिन लोगों को गिरफ्तार किया गया है उनमें शामिल हैं:
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कवासी लखमा (पूर्व आबकारी मंत्री)
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अनवर ढेबर (मुख्य आरोपी)
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अरुणपति त्रिपाठी (IAS)
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अनिल टुटेजा (IAS)
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अरविंद सिंह
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त्रिलोक सिंह ढिल्लन
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अनुराग द्विवेदी
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अमित सिंह
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दीपक दुआरी
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दिलीप टुटेजा
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सुनील दत्त
निष्कर्ष
शराब घोटाला अब केवल भ्रष्टाचार का मामला नहीं, बल्कि सुनियोजित आर्थिक अपराध का एक बड़ा उदाहरण बन चुका है। EOW और ED की कार्रवाई आगे भी जारी रहेगी, और अनुमान लगाया जा रहा है कि अंतिम घोटाला आंकड़ा 3200 करोड़ से भी अधिक हो सकता है।
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