H-1B Visa Fee Hike: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने H-1B वीजा को लेकर बड़ा झटका दिया है। अब H-1B वीजा की सालाना फीस 1000 डॉलर से बढ़ाकर सीधे 1,00,000 अमेरिकी डॉलर कर दी गई है। ट्रंप प्रशासन का कहना है कि यह कदम अमेरिकी कामगारों की सुरक्षा और केवल “सुपर स्किल्ड प्रोफेशनल्स” को ही अमेरिका में एंट्री देने के लिए उठाया गया है।
🔹 क्यों बढ़ाई गई फीस?
व्हाइट हाउस के स्टाफ सचिव विल शार्फ ने कहा कि H-1B वीजा प्रोग्राम का सबसे ज्यादा दुरुपयोग होता है। कई कंपनियां सामान्य स्किल वाले विदेशी कर्मचारियों को लाकर अमेरिकी वर्कफोर्स पर असर डाल रही थीं। नई पॉलिसी के तहत अब कंपनियों को सिर्फ बेहद योग्य और असाधारण टैलेंट को ही अमेरिका लाने की अनुमति होगी।
🔹 भारतीय IT सेक्टर पर सीधा असर
यह फैसला सीधे तौर पर भारतीय IT कंपनियों – TCS, Infosys, Wipro, HCL Tech जैसी दिग्गज फर्मों और हजारों भारतीय पेशेवरों पर असर डालेगा।
अब किसी कर्मचारी के लिए H-1B वीजा की तीन साल की वैधता पर कंपनियों को कुल 3 लाख डॉलर तक खर्च करने होंगे।
इससे कंपनियों की लागत बढ़ेगी और भारतीय पेशेवरों की अमेरिका में नौकरी की संभावना प्रभावित हो सकती है।
कई कंपनियां कम स्किल वाले कर्मचारियों को भेजने की बजाय सिर्फ हाई-स्किल्ड प्रोफेशनल्स को ही अमेरिका भेज पाएंगी।
🔹 ट्रंप प्रशासन का तर्क
अमेरिका को बेहतरीन टैलेंट चाहिए, न कि औसत या लो-स्किल्ड कर्मचारी।
100 अरब डॉलर से ज्यादा की अतिरिक्त राशि वीजा फीस से सरकार जुटाएगी।
यह रकम टैक्स कटौती और कर्ज चुकाने में इस्तेमाल की जाएगी।
🔹 भारतीय प्रोफेशनल्स पर असर
भारत से हर साल हजारों लोग H-1B वीजा पर अमेरिका जाते हैं।
इतनी भारी फीस से छोटे IT स्टार्टअप और मिड-लेवल कंपनियों के लिए वीजा अप्लाई करना मुश्किल हो जाएगा।
अब अमेरिका में नौकरी पाने का मौका सिर्फ टॉप टैलेंट तक सीमित हो सकता है।
📌 निष्कर्ष:
ट्रंप का यह फैसला भारतीय IT इंडस्ट्री के लिए बड़ा झटका साबित हो सकता है। जहां एक ओर अमेरिकी सरकार का दावा है कि इससे लोकल वर्कर्स को फायदा होगा, वहीं भारतीय कंपनियों और प्रोफेशनल्स के लिए यह अतिरिक्त बोझ और नौकरी के अवसरों में कमी ला सकता है।
