
Government expenditure -फिजूलखर्ची के सरकारी स्मारक: अधूरे और गैर-उपयोगी प्रोजेक्ट्स पर 414.56 करोड़ खर्च
राज्य सरकार द्वारा स्काईवॉक और सीबीडी जैसी अधूरी परियोजनाओं पर अब तक 414.56 करोड़ रुपए खर्च किए जा चुके हैं, जो कि परिवहन विभाग के पूरे वार्षिक बजट से लगभग दोगुनी राशि है। इसके बावजूद ये परियोजनाएं या तो अधूरी हैं या फिर उनका उद्देश्य पूरा नहीं हो सका है। यह स्थिति राज्य की प्रशासनिक योजना और संसाधन प्रबंधन पर गंभीर सवाल खड़े करती है।
स्काईवॉक प्रोजेक्ट: अधूरा निर्माण, बढ़ती लागत
राजधानी रायपुर के शास्त्री चौक से आंबेडकर अस्पताल तक पैदल यात्रियों की सुविधा के लिए वर्ष 2017-18 में स्काईवॉक निर्माण की योजना बनाई गई थी। तत्कालीन भाजपा सरकार ने इसके लिए 64 करोड़ रुपये स्वीकृत किए और निर्माण कार्य जल्दबाज़ी में शुरू कर दिया गया। वर्ष 2021 तक प्रोजेक्ट पूरा होना था, लेकिन सरकार परिवर्तन के बाद इसे रोक दिया गया। अब फिर से इसे पूरा करने के लिए 38 करोड़ रुपये अतिरिक्त खर्च करने की योजना बनाई जा रही है।
सीबीडी प्रोजेक्ट: मेंटेनेंस के अभाव में खंडहर
नवा रायपुर में 2018 में 100 करोड़ रुपये की लागत से सेंट्रल बिजनेस डिस्ट्रिक्ट (CBD) कॉम्प्लेक्स तैयार किया गया। यह 7 मंजिला इमारत आज खंडहर जैसी स्थिति में है। अधिकांश चैंबर और शोरूम खाली पड़े हैं, और रखरखाव न होने से इसकी हालत बिगड़ती जा रही है।
कवर्धा बस स्टैंड: 8 साल से बंद
जुनवानी रोड पर 10 करोड़ की लागत से बना नया बस स्टैंड 8 साल से बंद पड़ा है। लोकार्पण के बाद भी बस संचालन शुरू नहीं हो सका क्योंकि यह शहर से 6 किलोमीटर दूर स्थित है।
बिलासपुर का सीपत हॉस्पिटल: अस्पताल नहीं, मवेशियों का अड्डा
सीपत में 8 करोड़ की लागत से बना 100 बेड का अस्पताल 7 साल से बिना डॉक्टर और स्टाफ के खाली पड़ा है। यहां अब ग्रामीण मवेशी बांधते हैं।
साइंस कॉलेज ऑडिटोरियम: लागत बढ़ी, निर्माण अधूरा
बिलासपुर के साइंस कॉलेज में 720 सीटों वाला ऑडिटोरियम 2019 तक पूरा होना था, लेकिन अभी भी अधूरा है। इसकी लागत शुरू में 13.4 करोड़ थी जो अब 22 करोड़ तक पहुंच चुकी है।
टूरिज्म प्रोजेक्ट्स: 150 करोड़ में बने 16 रिसोर्ट-मोटल जर्जर
राज्य के 10 जिलों में 150 करोड़ की लागत से 16 रिसोर्ट-मोटल बनवाए गए थे, जो रखरखाव के अभाव में खंडहर में बदल चुके हैं। रायपुर के नजदीक तूता गांव का मोटल तो अब भी मुख्य सड़क से जुड़ा ही नहीं है।
बूढ़ा तालाब सौंदर्यकरण: 36 करोड़ खर्च के बाद बंद
36 करोड़ की लागत से म्यूजिकल फाउंटेन और फ्लोटिंग पाथवे बनवाया गया, जो अब सालभर से बंद पड़ा है। पाथवे खराब हो चुका है और कोई रखरखाव नहीं किया गया।
जवाबदेही और दृष्टिकोण की कमी
इन सभी प्रोजेक्ट्स में प्रशासनिक फिजिबिलिटी रिपोर्ट की कमी, जल्दबाजी में निर्णय और रखरखाव की अनदेखी प्रमुख कारण रहे हैं। नतीजतन, ये परियोजनाएं अब फिजूलखर्ची के स्मारक बन गई हैं।
प्रशासनिक प्रतिक्रिया: PWD मंत्री अरुण साव के अनुसार, स्काईवॉक की उपयोगिता को लेकर जांच कमेटी की रिपोर्ट में सकारात्मक संकेत मिले हैं और इसके पूरा होने पर इसका लाभ जनता को मिलेगा। वहीं स्वास्थ्य सेवाएं निदेशक प्रियंका शुक्ला ने सीपत हॉस्पिटल की स्थिति पर जानकारी लेकर नियमानुसार कार्यवाही की बात कही है।
Source – Dainik Bhaskar