Government Closely Monitors GST Rate Cut: 22 सितंबर से लागू जीएसटी कटौती के बाद रोजमर्रा की करीब 99% वस्तुओं की कीमतें कम होनी चाहिए थीं। लेकिन शिकायतें मिली हैं कि कई कंपनियां उपभोक्ताओं को पूरा फायदा नहीं दे रही हैं। अब सरकार दाल, तेल, शैम्पू, मक्खन, टूथपेस्ट जैसे प्रोडक्ट्स की कीमतों पर कड़ी नजर रख रही है।
क्या है मामला?
22 सितंबर से GST कटौती लागू हुई थी। इसके बाद 54 जरूरी वस्तुओं (जैसे शैम्पू, टूथपेस्ट, मक्खन, केचप, आइसक्रीम, AC, TV, सीमेंट आदि) की कीमतें घटनी चाहिए थीं। लेकिन कई ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म्स पर पुराने रेट पर ही प्रोडक्ट बिकने की शिकायतें मिलीं। सरकार ने केंद्रीय जीएसटी अधिकारियों को आदेश दिया है कि वे हर महीने ब्रांड-वार एमआरपी रिपोर्ट तैयार करके सीबीआईसी (CBIC) को सौंपें।
कंपनियों का तर्क
कुछ ई-कॉमर्स कंपनियों का कहना है कि यह तकनीकी गड़बड़ी की वजह से हुआ। वहीं कुछ ने दावा किया कि वे उपभोक्ताओं तक GST कटौती का फायदा पहुंचा रहे हैं। लेकिन वित्त मंत्रालय ने साफ किया है कि किसी भी हालत में GST कटौती का सीधा फायदा उपभोक्ताओं तक पहुंचना चाहिए।
सरकार का सख्त रुख और असर
सरकार ई-कॉमर्स कंपनियों को मुनाफाखोरी-रोधी प्रणाली के तहत जवाबदेह बना रही है। निगरानी बढ़ने से कंपनियों के मुनाफे और निवेशकों पर असर पड़ सकता है। निवेशकों के बीच संदेह बढ़ने से ई-कॉमर्स कंपनियों के शेयरों में अल्पकालिक उतार-चढ़ाव देखने को मिल सकता है। लंबे समय में अगर कंपनियां कीमतें बढ़ा नहीं पातीं, तो उनके लाभ मार्जिन पर असर पड़ सकता है।
